बक्सर में ट्रेन से गिरकर युवक की मौत:जीआरपी और मुफस्सिल थाना पुलिस में विवाद, शव तीन घंटे तक पड़ा रहा ट्रैक पर

बक्सर में ट्रेन से गिरकर युवक की मौत:जीआरपी और मुफस्सिल थाना पुलिस में विवाद, शव तीन घंटे तक पड़ा रहा ट्रैक पर

बक्सर के चौसा-बक्सर रेलवे स्टेशन के बीच एक युवक की ट्रेन से गिरकर मौत हो गई। घटना के बाद जीआरपी और मुफस्सिल थाना के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि मृतक का शव तीन घंटे तक ट्रैक किनारे पड़ा रहा। घटना ने प्रशासनिक तालमेल की कमी और मानवीय संवेदना की कमी को उजागर कर दिया है। हादसा चौसा स्टेशन के समीप घटना गुरुवार दोपहर की है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लगभग 30 वर्षीय अज्ञात युवक अप सिकंदराबाद एक्सप्रेस से गिर गया। हादसा चौसा स्टेशन के पास 76बी रेलवे गेट और पोल संख्या 671/9 के निकट हुआ। अनुमान है कि युवक ट्रेन के गेट पर बैठकर यात्रा कर रहा था, इसी दौरान असंतुलित होकर गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस इकाइयों में टकराव हादसे की सूचना पर बक्सर जीआरपी और मुफस्सिल थाना पुलिस दोनों मौके पर पहुंचे। घटनास्थल किसके अधिकार क्षेत्र में है, इसको लेकर दोनों इकाइयों में विवाद उत्पन्न हो गया। जीआरपी प्रभारी विजेंद्र कुमार का कहना था कि “घटनास्थल आउटर सिग्नल के बाहर है, अतः यह स्थानीय थाना (मुफस्सिल) का मामला है।” दूसरी ओर मुफस्सिल थाना के अधिकारियों ने कहा कि “मामला रेलवे ट्रैक पर हुआ है, इसलिए जीआरपी की जिम्मेदारी है।” स्थानीय लोगों में आक्रोश इस आपसी टकराव के कारण मृत युवक का शव तीन घंटे तक यूं ही पड़ा रहा, जिससे मौके पर मौजूद लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया। घटना स्थल पर उपस्थित लोगों ने प्रशासन की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई। स्थानीय समाजसेवी राजेश पांडेय ने कहा, “चाहे जीआरपी हो या स्थानीय थाना, सबसे पहले इंसानियत दिखानी चाहिए थी। शव को इस तरह लावारिस छोड़ देना अमानवीय और शर्मनाक है।” उच्च अधिकारियों ने किया हस्तक्षेप करीब तीन घंटे तक चली खींचतान के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप पर मुफस्सिल थाना ने शव को उठवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फिलहाल मृतक की पहचान नहीं हो पाई है और पुलिस मामले की जांच में जुटी है। प्रशासनिक असमंजस ने बढ़ाई असुरक्षा की भावना यह घटना एक बार फिर प्रशासनिक समन्वय की कमी को उजागर करती है। रेल प्रशासन की चुप्पी और पुलिस इकाइयों की आपसी जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति आम लोगों में असुरक्षा की भावना को बढ़ाती है। साथ ही, यह घटनाएं दर्शाती हैं कि दुर्घटनाओं से निपटने के लिए तत्काल और स्पष्ट जिम्मेदारी तय करना जरूरी है। बक्सर के चौसा-बक्सर रेलवे स्टेशन के बीच एक युवक की ट्रेन से गिरकर मौत हो गई। घटना के बाद जीआरपी और मुफस्सिल थाना के बीच क्षेत्राधिकार को लेकर विवाद हो गया। यह विवाद इतना बढ़ गया कि मृतक का शव तीन घंटे तक ट्रैक किनारे पड़ा रहा। घटना ने प्रशासनिक तालमेल की कमी और मानवीय संवेदना की कमी को उजागर कर दिया है। हादसा चौसा स्टेशन के समीप घटना गुरुवार दोपहर की है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लगभग 30 वर्षीय अज्ञात युवक अप सिकंदराबाद एक्सप्रेस से गिर गया। हादसा चौसा स्टेशन के पास 76बी रेलवे गेट और पोल संख्या 671/9 के निकट हुआ। अनुमान है कि युवक ट्रेन के गेट पर बैठकर यात्रा कर रहा था, इसी दौरान असंतुलित होकर गिर पड़ा और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस इकाइयों में टकराव हादसे की सूचना पर बक्सर जीआरपी और मुफस्सिल थाना पुलिस दोनों मौके पर पहुंचे। घटनास्थल किसके अधिकार क्षेत्र में है, इसको लेकर दोनों इकाइयों में विवाद उत्पन्न हो गया। जीआरपी प्रभारी विजेंद्र कुमार का कहना था कि “घटनास्थल आउटर सिग्नल के बाहर है, अतः यह स्थानीय थाना (मुफस्सिल) का मामला है।” दूसरी ओर मुफस्सिल थाना के अधिकारियों ने कहा कि “मामला रेलवे ट्रैक पर हुआ है, इसलिए जीआरपी की जिम्मेदारी है।” स्थानीय लोगों में आक्रोश इस आपसी टकराव के कारण मृत युवक का शव तीन घंटे तक यूं ही पड़ा रहा, जिससे मौके पर मौजूद लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया। घटना स्थल पर उपस्थित लोगों ने प्रशासन की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई। स्थानीय समाजसेवी राजेश पांडेय ने कहा, “चाहे जीआरपी हो या स्थानीय थाना, सबसे पहले इंसानियत दिखानी चाहिए थी। शव को इस तरह लावारिस छोड़ देना अमानवीय और शर्मनाक है।” उच्च अधिकारियों ने किया हस्तक्षेप करीब तीन घंटे तक चली खींचतान के बाद वरिष्ठ अधिकारियों के हस्तक्षेप पर मुफस्सिल थाना ने शव को उठवाया और पोस्टमार्टम के लिए भेजा। फिलहाल मृतक की पहचान नहीं हो पाई है और पुलिस मामले की जांच में जुटी है। प्रशासनिक असमंजस ने बढ़ाई असुरक्षा की भावना यह घटना एक बार फिर प्रशासनिक समन्वय की कमी को उजागर करती है। रेल प्रशासन की चुप्पी और पुलिस इकाइयों की आपसी जिम्मेदारी टालने की प्रवृत्ति आम लोगों में असुरक्षा की भावना को बढ़ाती है। साथ ही, यह घटनाएं दर्शाती हैं कि दुर्घटनाओं से निपटने के लिए तत्काल और स्पष्ट जिम्मेदारी तय करना जरूरी है।  

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