यमुनानगर में डिलीवरी के दौरान बच्चे की मौत:परिजनों ने डॉक्टर लगाया लापरवाही का आरोप, बोले: सिजेरियन करने में की देरी

यमुनानगर में डिलीवरी के दौरान बच्चे की मौत:परिजनों ने डॉक्टर लगाया लापरवाही का आरोप, बोले: सिजेरियन करने में की देरी

यमुनानगर में डिलीवरी के बाद बच्चे की मौत का मामला सामने आया है, जिसमें परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। परिजनों का कहना है कि लेबर पेन के चलते डॉक्टर को कई बार सिजेरियन के लिए कहा गया, लेकिन डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी करने की बात कहते हुए देरी करते रहे। जब पेशेंट को डिलीवरी के लिए अंदर लेकर गए तो तुरंत सिजेरियन करने का डिसीजन ले लिया, जिसके बाद ऑपरेशन हुआ और बच्चे की मौत हो गई। वहीं इस मामले में डॉक्टर ने सारे आरोप झूठे बताते हुए कहा कि परिजनों को सिजेरियन के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने नॉर्मल डिलीवरी की इच्छा के चलते परिजनों ने डिसीजन लेने में समय लगाया, जिस कारण ऑपरेशन में देरी हुई और महिला ने मृत बच्चे को जन्म दिया। चार बेटियों के बाद हुआ थो बेटा पैदा बच्चे की मौत पर परिजनों ने अस्पताल परिसर में हंगामा किया, जिसके बाद पुलिस भी मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास किया। वहीं परिजन लगातार डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग पर अड़े रहे। पुलिस द्वारा परिजनों की शिकायत लेकर बच्चे के शव को कब्जे में लिया गाया और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल यमुनानगर पहुंचाया गया। अंबाला के गांव सरदेहड़ी की निवासी पुष्पा ने बताया कि उसकी देवरानी सलोचना(35) पत्नी कुलदीप के पास चार लड़कियां हैं। लड़के की चाह में सात साल बाद बच्चे का प्रयास किया था। गर्भधारण के 9 माह पूरे होने पर मंगलवार को उसे यमुनानगर के देसवाल अस्पताल में एडमिट कराया गया। तबीयत बिगड़ने पर डॉक्टर को सिजेरियन के लिए बोला जब वह सलोचना को अस्पताल लेकर आए तो जांच में जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य पाए गए। सलोचना को पहले चार लड़कियां नॉर्मल डिलीवरी से हुई हैं। ऐसे में उम्मीद थी कि यह बच्चा भी नॉर्मल ही होगा। अस्पताल में एडमिट रखने के दौरान जब सलोचना की तबीयत बिगड़ी तो उन्होंने डॉक्टर को कहा कि उन्हें जच्चा और बच्चा दोनों सुरक्षित चाहिए जरूरत पड़े तो सिजेरियन कर दो। पुष्पा ने कहा कि एडमिट के दौरान सलोचना को कई बार दर्द हुआ, लेकिन डॉक्टर सिजेरियन न करके नॉर्मल डिलीवरी प्रेफर करती रही। आज सुबह करीब सात बजे सलोचना को डिलीवरी के लिए अंदर ले जाया गया। करीब 10 मिनट बाद डॉक्टर ने आकर कहा कि केस बिगड़ा हुआ है सिजेरियन करना पड़ेगा। एक लाख रुपए लेकर मामला शांत कराने का आरोप डॉक्टर द्वारा एक दम से सिजेरियन का डिसीजन लिया गया। सिजेरियन के बाद जब डॉक्टर दोबारा बाहर आई तो उन्हें बताया गया कि बच्चे की मौत हो चुकी है। परिजनों ने बच्चे की मौत के पीछे डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाया और अस्पताल में हंगामा किया। परिजनों ने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर ने उन्हें एक लाख रुपए लेकर मामला शांत करने को कहा है। सूचना मिलते ही डायल 112 और सेक्टर-17 हुडा थाने से पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को समझाने का प्रयास किया। अंत में परिजनों द्वारा थाने में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत सौंपी गई, जिसके बाद पुलिस द्वारा शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल यमुनानगर पहुंचाया गया, जिसका कल गुरुवार को पोस्टमॉर्टम होगा। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। डॉक्टर ने कहा सारे आरोप झूठे हैं, कोई लापरवाही नहीं हुई वहीं इस मामले में देसवाल अस्पताल की डॉक्टर प्रीति देसवाल ने कहा कि पेशेंट की कंडीशन को देखते हुए परिजनों को सिजेरियन के लिए कहा गया था, लेकिन वें नॉर्मल डिलीवरी कराने पर अड़े थे। पेशेंट को समय-समय पर चैक किया जा रहा था। लेबर पेन होने पर उसे डिलीवरी के लिए अंदर ले जाया गया, जहां केस बिगड़ता देख तुरंत परिजनों को सिजेरियन का सुझाव दिया गया। ऐसे में परिजनों ने डिसीजन लेने में काफी समय लगाया। उनकी अप्रूवल आने पर सिजेरियन किया तो बच्चा मृत पाया गया। अस्पताल की इस मामले में कोई लापरवाही नहीं रही है। बच्चे को बचाने के लिए उन्होंने पूरा प्रयास किया। वहीं डॉक्टर ने कहा कि उन्होंने किसी भी प्रकार की रकम देकर मामले शांत करने को नहीं कहा है। उनके ऊपर गलत इल्जाम लगाए जा रहे हैं।

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