नर्मदानगर से आज मुख्यमंत्री नर्मदा में मगरमच्छ छोड़ेंगे:मछुआरा संगठनों ने किया विरोध, कहा- साक्षात मौत परोसी जा रही

नर्मदानगर से आज मुख्यमंत्री नर्मदा में मगरमच्छ छोड़ेंगे:मछुआरा संगठनों ने किया विरोध, कहा- साक्षात मौत परोसी जा रही

खंडवा के नर्मदानगर में गुरुवार दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव नर्मदा नदी में मगरमच्छ छोड़ेंगे। जिला प्रशासन ने कार्यक्रम की तैयारियां पूरी कर ली हैं। सरकार का कहना है कि मगरमच्छों का आवास नर्मदा की धारा में अनुकूल है। वहीं मछुआरा संगठनों ने इस फैसले का विरोध किया है और इसे आजीविका के लिए बड़ा खतरा बताया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य सरकार ‘पुण्य सलिला मां नर्मदा के वाहन मगरमच्छ को मां नर्मदा में बसाने’ के संकल्प को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि मगरमच्छों के आवास के लिए नर्मदा जी की धारा अत्यंत अनुकूल है। प्रशासन ने नर्मदानगर में कार्यक्रम स्थल पर सभी तैयारियां कर ली हैं। मछुआरा कांग्रेस ने कहा- साक्षात मौत परोस रहे मुख्यमंत्री मछुआरा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सदाशिव भंवरिया ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इंदिरा सागर डेम के तीन जिलों खंडवा, हरदा व देवास जिलों के उन हजारों मछुआरों को साक्षात मौत परोसते हुए अनगिनत मगरमच्छ व घड़ियाल छोड़ेंगे, करीब एक लाख हेक्टेयर जलक्षेत्र के इस जलाशय में मगरमच्छों और घड़ियालों का परिवार बढ़ने लगेगा। उन्होंने आगे कहा कि इंदिरा सागर जलाशय में डूब प्रभावित व विस्थापित तमाम मछुआरे आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है, जो बड़ी नाव या बोट से मत्स्याखेट नहीं करते। इन मछुआरों के पास एक से दो फीट ऊंचाई की छोटी-छोटी नावें ही है, जिनके पास नांव नहीं है वह बस या ट्रक के टायर ट्यूब पर बैठ नंगे पैरों से पानी काट कर मछलियां पकड़ते हैं। ऐसे मछुआरों को यह मगरमच्छ आए दिन अपना शिकार बनाएंगे। उन्हें साक्षात मौत परोसने के लिए मुख्यमंत्री आ रहे है।
फैसले का मछुआरा समाज विरोध करेंगा कहार माझी समाज व फिशरमैन कांग्रेस के अध्यक्ष अश्विनी चौहान ने कहा कि इंदिरा सागर डेम में सैकड़ों मछुआरे दिन रात मछली पकड़ कर अपना जीवन यापन करते हैं। उनके लिए यह खतरे की घंटी है। इस कार्यक्रम का पूरा मछुआरा समाज पुरजोर विरोध करता है। सभी समाज जन आक्रोशित है, सीएम से निवेदन है कि यह घड़ियाल और मगरमच्छ आप चंबल में ही रहने दें, यहां रोजगार का साधन दें। पहले ओंकारेश्वर के जंगलों में तेंदुए छोड़ने से नर्मदा परिक्रमावसियों की जान पर बन आई है और अब मगरमच्छ छोड़ रहे है। जो कि पानी के अलावा धूप सेंकने के लिए बाहर भी आते है। जब डैम के गेट खुलेंगे तो स्वाभाविक है कि मगरमच्छ ओंकारेश्वर और नर्मदा घाटों तक आएंगे। जिससे कि नर्मदा स्नान पर खतरा मंडराएगा। पर्याप्त पानी होने के बावजूद खंडवा जिला अति पिछड़े जिलों में गिना जाता है। इस फैसले से पूरा मछुआरा समाज आहत है, रणनीति बनाकर विरोध करेंगे। सीएम बोले- ऐसा स्थान चुनेंगे, जहां लोगों को खतरा न हो मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में सभी प्रकार के वन्यजीवों के संरक्षण का अभियान चल रहा है। भारतीय संस्कृति में मनुष्य एवं वन्य जीव परस्पर एक-दूसरे पर निर्भर हैं। मां नर्मदा जी का वाहन निर्मल जल में अठखेलियां करता दिखाई देगा। नर्मदा जी में मगरमच्छों को छोड़ते समय इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाएगा कि इस जलीय जीव को ऐसे स्थान पर छोड़ा जाए, जहां लोगों को इससे खतरा न हो। मगरमच्छ की मौजूदगी मां नर्मदा के लिए शुभ होगी और यह जल की धारा को सशक्त बनाएगी।

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