Charlie Hebdo: फ्रेंच मैग्ज़ीन शार्ली अब्दो पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आरोपी को 30 साल की सज़ा 

Charlie Hebdo: फ्रेंच मैग्ज़ीन शार्ली अब्दो पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आरोपी को 30 साल की सज़ा 

Charlie Hebdo: फ्रांसीसी मैग्ज़ीन शार्ली अब्दो पर हमले के पाकिस्तानी आरोपी को पेरिस कोर्ट ने 30 साल की सज़ा सुनाई है। इस आरोपी ने 2020 में शार्ली अब्दो के पूर्व कार्यालय (Charlie Hebdo Attack) के बाहर दो लोगों की चाकू से वार कर हत्या की कोशिश की थी। आरोपी का नाम जहीर महमूद है। जब उसने हमला किया था तब उसे ये लगा था कि शार्ली अब्दो का कार्यालय अभी इसी बिल्डिंग में ही है। 

धार्मिक कार्टून के खिलाफ शार्ली अब्दो पर भड़का था गुस्सा 

शार्ली अब्दो पर लगभग 14 साल पहले 2015 में भीषण हमला हुआ था। इस हमले में इस पत्रिका के 8 संपादकीय कर्मचारियों समेत 12 लोग मार दिए गए थे। शार्ली अब्दो ने मोेहम्मद पैगंबर का कार्टून प्रकाशित किया था। जिसके विरोध में कट्टर इस्लामिक संगठनों ने पत्रिका के कर्मियों पर भीषण हमला किया था। अल-कायदा ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी। इसके बाद कट्टरपंथी आतंकी संगठनों ने फ्रांस में कई हमले किए जिससे देश में धार्मिक तनाव फैल गया था।

इसके बाद 2015 के नरसंहार के मुकदमे की शुरुआत को चिह्नित करने के लिए शार्ली अब्दो ने 2 सितंबर, 2020 को फिर से पैगंबर मोहम्मद का कार्टून पत्रिका में छाप दिए। इससे गुस्साए चरमपंथियों ने शार्ली अब्दो पर फिर से हमला करने को कहा, जिसके बाद ये आरोपी महमूद शार्ली अब्दो के पूर्व पते पर पहुंच गया। ये समझकर कि, इस मैग्जीन का ऑफिस उसी बिल्डिंग में है जबकि कार्यालय वहां से शिफ्ट हो चुका था। उसने मांस काटने वाले चाकू से प्रीमियर लिग्नेस समाचार एजेंसी के दो कर्मचारियों पर हमला कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया। हालांकि कहा जाता है कि 2015 में हुए भीषण हमले के बाद शार्ली अब्दो ने अपना रुख बदल लिया था। 

कौन है आरोपी?

2020 में शार्ली अब्दो के पूर्व कार्यालय के बाहर हमला करने वाला आरोपी मूल रूप से पाकिस्तान से है। वो 2019 में अवैध रूप से फ्रांस पहुंचा था। पेरिस की अदालत में पेश की कई रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी महमूद कट्टरपंथी पाकिस्तानी उपदेशक खादिम हुसैन रिज़वी से प्रभावित था, इसने पैगंबर मोहम्मद का बदला लेने के लिए ईशनिंदा करने वालों का सिर काटने को कहा था। इसलिए महमूद को हत्या की कोशिश और आतंकवादी षड्यंत्र का दोषी करार दिया गया और उसके दोबारा फ्रांस में आने पर बैन लगा दिया गया। 

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