एप पर फोटो अपलोड करते ही पता लगेगा सर्वाइकल कैंसर:HBTU के पीएचडी स्कालर ने एप किया डेवलप, 93 प्रतिशत एक्यूरेसी

सर्वाइकल कैंसर से परेशान महिलाओं को जांच व पहले से जागरुक करने के लिए जल्द ही अस्पतालों व लैब के चक्कर लगाने की जरुरत नहीं होगी। हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के दो पीएचडी स्कॉलर ने एक ऐसा एप तैयार किया है, जिसमें फोटो अपलोड करते ही रिपोर्ट चंद मिनटों में सामने आ जाएगी। एआई तकनीक पर काम करता है एप एचबीटीयू के मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट से पीएचडी कर रहे अभय द्विवेदी और अनामिका मिश्रा पांडेय ने बताया कि उन्होंने एक एप डेवलप किया है। इस एप में एआई के डीप लर्निंग मैथड के सीएनएन बेस्ड तकनीक का उपयोग किया गया है। इसमें एप को ऑन करने के बाद उसी से मरीज के इंफेक्टेड स्थान का फोटो क्लिक करके अपलोड कराया जाएगा, जिसके बाद चंद मिनटों में एआई बेस्ड तकनीक से रिपोर्ट को सामने ला देगी। इनकी स्टार्टअप कंपनी आईआईटी कानपुर में इंक्यूबेट है। कैंसर की स्टेज व खतरे को करेगा आगाह इस एप की खासियत यह है कि इसमें फोटो अपलोड करते ही कैंसर की स्टेज को बताता है। इसमें एआई के जरिए कैंसर होने के लक्षणों के आधार पर यदि भविष्य में कैंसर हो सकता है तो इसको भी चेताया जाएगा। दावा है कि यह एप सात साल पहले ही कैंसर के खतरे से आगाह भी कर देगा। गांव की महिलाओं के लिए मुश्किल है जांच अनामिका मिश्रा पांडेय ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में एक बड़ी बीमारी है। गांव की बात करें तो केवल जीएसवीएम में व एक निजी अस्पताल में इसकी जांच संभव है। ऐसे में कमजोर आय वर्ग व गांव की महिलाओं के लिए इसकी जांच करा पाना मुश्किल होता है। इस एप के बाजार में आने के बाद आशा, एएनएम व हेल्थ वर्कर गांवों में जाकर इसका उपयोग करके सर्वाइकल कैंसर का पता लगा सकती हैं, इसके साथ साथ महिलाओं को जागरुक भी कर सकती हैं। 800 फोटो की अपलोड, 93 प्रतिशत मिली एक्यूरेसी अनामिका ने बताया कि अभी पायलट के तौर पर जीएसवीएम मेडिकल कालेज के सहयोग से 800 फोटो लेकर इस एप में अपलोड की गई। परिणाम में पाया गया कि इस एप व मेडिकल कालेज की रिपोर्ट में 93 प्रतिशत एक्यूरेसी है। अभी कई अन्य तरह की लाखों इमेज को अपलोड करके इस एप की एक्यूरेसी को 99 से 100 प्रतिशत के बीच लाया जाएगा। इनका अगला पायलट एसजीपीजीआई के साथ चलेगा। पीजीआई, स्टार्ट इन यूपी व बिट्स पिलानी से मिला फंड अभय द्विवेदी ने बताया कि इस एप को डेवलप करने के लिए एसजीपीजीआई से सात लाख का फंड मिला है। इसके अलावा स्टार्ट इन यूपी से 15 लाख और बिट्स पिलानी से 15 लाख का फंड स्वीकृत हुआ है। आईआईटी व जीएसवीएम भी साथ में इनके इस एप को डेवलप करने में तकनीकी व मेडिकल क्षेत्र के जानकार भी इनका सहयोग कर रहे हैं। जीएसवीएम मेडिकल कालेजकी डॉ. नीना गुप्ता इनकी प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर व मेंटर हैं। तकनीकी सहयोग के लिए आईआईटी कानपुर के डॉ. आशुतोष मोदी इनके एआई मेंटर हैं। कैसे सामने आती है रिपोर्ट एप डेवलप करने वाले पीएचडी स्कॉलर ने बताया कि एप में सर्वाइकल कैंसर की अलग अलग स्टेज व महसूस होने पर जांच कराने वाली महिलाओं के संक्रमित स्थान की फोटो व रिपोर्ट का डेटा सेव किया जा रहा है। जांच के समय एप पर फोटो अपलोड होते ही वह सेव डेटा के आधार पर मिलते जुलते लक्षणों से एआई के जरिए रिपोर्ट बनाकर चंद मिनटों में सामने ला देता है। बताया जा रहा है इस एप के बाजार में आने के बाद रिपोर्ट के आधार पर महिलाएं सजग होकर मेडिकल जांच करा सकती व अपना इलाज करा सकती हैं। जांच में अहम भूमिका निभाएगा मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रो. जितेंद्र भास्कर ने बताया कि हमारे स्टूडेंट्स की कंपनी सर्वाइकल कैंसर को पता लगाने वाला एप डेवलप कर रही है। इनको पीजीआई, स्टार्ट इन यूपी व बिट्स पिलानी से फंड भी मिला है। यह एप मार्केट में आते ही सर्वाइकल कैंसर की जांच में अहम भूमिका निभाएगा।

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