भारत-पाकिस्तान में कई बार हुआ सीज़फ़ायर, हर बार शांति का स्थाई समाधान नहीं निकला

भारत-पाकिस्तान में कई बार हुआ सीज़फ़ायर, हर बार शांति का स्थाई समाधान नहीं निकला

India-Pakistan Ceasefire: भारत के कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले (Pahalgam terror attack) के बाद भारतीय सेना की ओर से ऑपरेशन सिन्दूर ( Operation Sindoor) शुरू होने और जंग के हालात पैदा होने के बाद के बाद अमेरिका की पहल पर इस बार भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर हो गया है। सीज़फ़ायर होना कोई नई बात नहीं है। दोनों देशों के बीच सीज़फ़ायर (Cease Fire) की कोशिशें इतिहास में कई बार हुई हैं, लेकिन हर बार इन प्रयासों को सीमित सफलता ही मिली है। ये सीज़फ़ायर अक्सर अंतरराष्ट्रीय दबाव, युद्ध की थकान या कूटनीतिक वार्ताओं के कारण हुए हैं।

सन 1949 का पहला सीज़फ़ायर : संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुआ

भारत और पाकिस्तान के बीच पहला सीज़फ़ायर 1947-48 के कश्मीर युद्ध के बाद हुआ। यह युद्ध अक्टूबर 1947 में शुरू हुआ था, जब पाकिस्तान समर्थित कबाइलियों और सेना ने कश्मीर पर हमला किया। जवाब में भारत ने सेना भेजी। करीब एक साल तक चले इस संघर्ष के बाद, 1 जनवरी 1949 को संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता में युद्धविराम की घोषणा हुई। इसके तहत एक “लाइन ऑफ कंट्रोल” (तब सीज़फ़ायर लाइन) तय हुई, जो आज तक विवाद का केंद्र बनी हुई है।

सन 1965 युद्ध के बाद ताशकंद समझौता

सन 1965 का भारत-पाक युद्ध, पाकिस्तान की ओर से ऑपरेशन जिब्राल्टर के जरिए जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ से शुरू हुआ। युद्ध में भारी नुकसान और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते दोनों देश 22 सितंबर 1965 को संयुक्त राष्ट्र के आग्रह पर युद्धविराम पर सहमत हुए। इसके बाद सोवियत संघ की मध्यस्थता में ताशकंद समझौता (जनवरी 1966) हुआ, जहां तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और जनरल अय्यूब खान मिले। हालांकि यह समझौता एक स्थायी समाधान नहीं दे सका।

सन 1971 युद्ध के बाद शिमला समझौता

सन 1971 का भारत-पाक युद्ध पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के स्वतंत्रता संग्राम और पाकिस्तान के दमन के चलते हुआ। भारत की निर्णायक जीत के बाद 17 दिसंबर 1971 को युद्ध विराम हुआ, और बाद में शिमला समझौता (2 जुलाई 1972) हुआ। इसके तहत 1949 की सीज़फ़ायर को लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) का दर्जा दिया गया और दोनों देशों ने विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की प्रतिबद्धता जताई।

सन 2003 का सीज़फ़ायर – अहम मोड़

1999 के कारगिल युद्ध और फिर 2001 के संसद हमले के बाद भारत-पाक सीमा पर लगातार गोलीबारी होती रही। हालात इतने खराब हो गए कि दोनों देश युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे। अंततः, नवंबर 2003 में दोनों देशों ने एलओसी पर पूर्ण सीज़फ़ायर करने का ऐलान किया। यह सीज़फ़ायर बहुत हद तक प्रभावी रहा और सीमाओं पर कुछ सालों तक अपेक्षाकृत शांति बनी रही।

सन 2021 का ताजा सीज़फ़ायर समझौता

सीमा पर बढ़ती हिंसा और नागरिकों की मौतों को देखते हुए, 25 फरवरी 2021 को दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच बातचीत हुई और एक बार फिर सीज़फ़ायर की पुर्नपुष्टि की गई। यह निर्णय बिना किसी अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के हुआ,वहीं दोनों देशों के बीच सीधे बातचीत से हु,जिसे कूटनीति के लिहाज से सकारात्मक संकेत माना गया।

सीज़फ़ायर केवल “अस्थायी विराम” ही रहेंगे

भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फ़ायर भले ही कई बार हुए हों, लेकिन स्थायी शांति की राह हमेशा टेढ़ी रही है। जब तक सीमा पार से आतंकवाद और घुसपैठ की घटनाएं नहीं रुकेंगी, तब तक। स्थायी समाधान केवल राजनीतिक इच्छा शक्ति, द्विपक्षीय वार्ता और विश्वास निर्माण से ही संभव है।

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