चंडीगढ़ में मिलिट्री लिटरेचर फेस्टिवल में पहुंचे सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत की अहम स्थिति है। हम कई देशों के लिए सबसे पहले मदद करने वाले और पसंदीदा साझेदार हैं। भारत एक समुद्री और जमीनी दोनों तरह की ताकत है, लेकिन हमारा जमीनी इलाका सीमित है। हम पश्चिम में अफगानिस्तान की ओर नहीं बढ़ सकते, उत्तर में चीन की वजह से और पूर्व में म्यांमार के संघर्षों के कारण सीमित हैं। इसलिए भारत का भविष्य समुद्र से जुड़ा है। चीन भी जमीन और समुद्र दोनों में ताकतवर है। उसे पूर्व और दक्षिण चीन सागर के जरिए प्रशांत महासागर तक पहुंच है। उसकी ज्यादातर आबादी और विकास तटीय इलाकों में केंद्रित है, जिससे वह ‘रिमलैंड पावर’ कहलाता है। हालांकि इतिहास में चीन ज्यादातर जमीनी व्यापार मार्गों पर निर्भर रहा है, सिवाय उस समय के जब एडमिरल झेंग ही ने समुद्री यात्राएं की थीं। भारत दुनिया की ताकत का संतुलन बदल सकता है – सीडीएस सीडीएस ने कहा कि हिंद महासागर अब दुनिया का सबसे जरूरी समुद्री रास्ता बन गया है। यह एशिया के कारखानों, मध्य पूर्व के तेल उत्पादक देशों और अफ्रीका के बाजारों को जोड़ता है। दुनिया का लगभग 80% तेल व्यापार और एक-तिहाई समुद्री सामान इसी रास्ते से गुजरता है। अमेरिका का ध्यान अब ‘पैसिफिक’ से ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र पर और चीन का यहां बड़ा निवेश इसकी अहमियत दिखाता है। भारत इस पूरे क्षेत्र के बीच में है — राजनीतिक रूप से स्थिर, सैन्य रूप से मजबूत और ऐसा देश जो दुनिया की ताकत का संतुलन बदल सकता है। घटनाओं ने जमीनी स्तर पर सोचने के लिए मजबूर किया सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि अगर आप 20वीं सदी की भू-राजनीतिक घटनाओं को देखें जैसे भारत का बंटवारा, पाकिस्तान का बनना और चीन के साथ हमारा युद्ध तो इन सबने भारत को ज्यादातर जमीनी नजरिए से सोचने पर मजबूर किया। लेकिन अगर आप भारत के भूगोल को देखें, तो साफ है कि भारत एक जमीनी और समुद्री दोनों तरह की शक्ति है।
चंडीगढ़ में CDS बोले-भारत का भविष्य समुद्र से जुड़ा:हमारा जमीनी इलाका सीमित, हम कई देशों के लिए सबसे पहले मदद करने वाले


