सिटी रिपोर्टर| टिकारी भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्ते सदियों से भावनाओं, परंपराओं और आदर्शों पर आधारित रहे हैं। लेकिन बदलते समय, आधुनिक जीवनशैली और वैश्विक प्रभावों के बीच अब माता-पिता और बच्चों के रिश्तों में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान में के. एस. साकेत पी.जी. कॉलेज, अयोध्या के समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने इन बदलते सामाजिक रिश्तों पर गहराई से चर्चा की। बदलते समय के साथ बदलती प्राथमिकताएं प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज की पीढ़ी शिक्षा, करियर, और आत्मनिर्भरता को पहले प्राथमिकता देती है। शादी, पारिवारिक दायित्व और सामाजिक अपेक्षाएं अब द्वितीयक बन चुकी हैं। युवा अब अपने जीवन के फैसलों में स्वतंत्र रहना चाहते हैं चाहे वह जीवनसाथी चुनना हो या जीवनशैली तय करना। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज के युवा अपने जीवन के विकल्पों और निजता को सबसे ऊपर रखते हैं। इससे पारंपरिक पारिवारिक संरचना में एक नई तरह की जटिलता सामने आ रही है। ये थे उपस्थित कार्यक्रम की शुरुआत समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो. एम. विजय कुमार शर्मा द्वारा वक्ता के परिचय से हुई। कार्यक्रम में प्रो. अनिल कुमार सिंह झा, डॉ. समापिका महापात्रा, डॉ. जितेंद्र राम, डॉ. हरेश नारायण पांडेय सहित कई प्राध्यापक और शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन डॉ. हरेश नारायण पांडेय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ नई पीढ़ी के बदलते आदर्श प्रो. त्रिपाठी ने रामायण प्रसंग के माध्यम से बदलते आदर्शों की बात करते हुए कहा कि माता सीता जैसे चरित्र आदर्श की परिभाषा थे, जबकि आज के युवा विशेषकर लड़कियाँ और लड़के – स्वतंत्रता और व्यक्तिगत निर्णय को आदर्श मानते हैं। उनका जीवन तेज़ी से बदलते सामाजिक मूल्यों से प्रभावित है, जिससे पारंपरिक और आधुनिक सोच में टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। सामाजिक विज्ञान के लिए शोध का नया क्षेत्र प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि ये बदलते रिश्ते और पारिवारिक संरचनाएं समाजशास्त्र के छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक समकालीन और अत्यंत प्रासंगिक शोध विषय बन सकते हैं। उन्होंने शोधार्थियों को प्रेरित किया कि वे इन जटिलताओं को समझें और सामाजिक बदलावों की गहराई में जाकर विश्लेषण करें। सिटी रिपोर्टर| टिकारी भारतीय समाज में पारिवारिक रिश्ते सदियों से भावनाओं, परंपराओं और आदर्शों पर आधारित रहे हैं। लेकिन बदलते समय, आधुनिक जीवनशैली और वैश्विक प्रभावों के बीच अब माता-पिता और बच्चों के रिश्तों में तेजी से परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग द्वारा आयोजित व्याख्यान में के. एस. साकेत पी.जी. कॉलेज, अयोध्या के समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने इन बदलते सामाजिक रिश्तों पर गहराई से चर्चा की। बदलते समय के साथ बदलती प्राथमिकताएं प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज की पीढ़ी शिक्षा, करियर, और आत्मनिर्भरता को पहले प्राथमिकता देती है। शादी, पारिवारिक दायित्व और सामाजिक अपेक्षाएं अब द्वितीयक बन चुकी हैं। युवा अब अपने जीवन के फैसलों में स्वतंत्र रहना चाहते हैं चाहे वह जीवनसाथी चुनना हो या जीवनशैली तय करना। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि आज के युवा अपने जीवन के विकल्पों और निजता को सबसे ऊपर रखते हैं। इससे पारंपरिक पारिवारिक संरचना में एक नई तरह की जटिलता सामने आ रही है। ये थे उपस्थित कार्यक्रम की शुरुआत समाजशास्त्रीय अध्ययन विभाग के प्रमुख प्रो. एम. विजय कुमार शर्मा द्वारा वक्ता के परिचय से हुई। कार्यक्रम में प्रो. अनिल कुमार सिंह झा, डॉ. समापिका महापात्रा, डॉ. जितेंद्र राम, डॉ. हरेश नारायण पांडेय सहित कई प्राध्यापक और शोधार्थी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन डॉ. हरेश नारायण पांडेय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ नई पीढ़ी के बदलते आदर्श प्रो. त्रिपाठी ने रामायण प्रसंग के माध्यम से बदलते आदर्शों की बात करते हुए कहा कि माता सीता जैसे चरित्र आदर्श की परिभाषा थे, जबकि आज के युवा विशेषकर लड़कियाँ और लड़के – स्वतंत्रता और व्यक्तिगत निर्णय को आदर्श मानते हैं। उनका जीवन तेज़ी से बदलते सामाजिक मूल्यों से प्रभावित है, जिससे पारंपरिक और आधुनिक सोच में टकराव की स्थिति पैदा हो रही है। सामाजिक विज्ञान के लिए शोध का नया क्षेत्र प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि ये बदलते रिश्ते और पारिवारिक संरचनाएं समाजशास्त्र के छात्रों और शोधार्थियों के लिए एक समकालीन और अत्यंत प्रासंगिक शोध विषय बन सकते हैं। उन्होंने शोधार्थियों को प्रेरित किया कि वे इन जटिलताओं को समझें और सामाजिक बदलावों की गहराई में जाकर विश्लेषण करें।
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