बिहार के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह को भाजपा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया है। यह कदम राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के एक दिन बाद उठाया गया है। बिहार के आरा से पूर्व सांसद सिंह एनडीए नेतृत्व पर सवाल उठा रहे थे और राज्य की नीतीश कुमार सरकार पर गंभीर आरोप भी लगा रहे थे। भाजपा ने आज सुबह सिंह को भेजे एक नोटिस में कहा कि आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। यह अनुशासन के दायरे में आता है। पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है। इससे पार्टी को नुकसान हुआ है। इसलिए, निर्देशानुसार, आपको पार्टी से निलंबित किया जा रहा है और यह बताने के लिए कहा गया है कि आपको पार्टी से क्यों न निष्कासित कर दिया जाए। इसलिए, कृपया यह पत्र प्राप्त होने के एक सप्ताह के भीतर अपनी स्थिति स्पष्ट करें।
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पूर्व राजनयिक, सिंह मनमोहन सिंह के कार्यकाल में गृह सचिव रह चुके हैं। वे 2013 में भाजपा में शामिल हुए और 2014 और 2019 में आरा से दो बार सांसद चुने गए। 2017 में, उन्हें मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में ऊर्जा मंत्री बनाया गया। 2024 के लोकसभा चुनाव में वे अपनी सीट हार गए। आपको बता दें कि चुनावी राज्य बिहार में, पहले चरण के मतदान से कुछ ही दिन पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया था। आरके सिंह ने राज्य में बिजली घोटाले का चौंकाने वाला खुलासा किया था। पूर्व मंत्री ने आरोप लगाया था कि राज्य के बिजली विभाग में 62,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के मंत्रालय के कई अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं और उन्होंने इसकी केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से जाँच कराने की माँग की थी।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने शुक्रवार को बिहार विधानसभा चुनाव में अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए अपने अब तक के सर्वश्रेष्ठ नतीजों में से एक दर्ज किया और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को करारी हार दी। राजग की इस ऐतिहासिक जीत को ‘ब्रैंड मोदी नीतीश’ के रूप में देखा जा रहा है। इसके उलट, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन 34 सीट पर सिमट गया। चुनाव परिणामों में राजग की जीत का फैलाव ऐसा था कि निर्वाचन आयोग द्वारा जारी बिहार का चुनावी नक्शा हल्के हरे, केसरिया, जामुनी, नेवी ब्लू और सेरुलेन ब्लू रंगों से लगभग भर गया, जबकि ‘इंडिया’ गठबंधन के रंग सिर्फ छिटपुट रूप में दिखाई दिए। चुनाव नतीजों ने संकेत दिया कि मतदाताओं का भरोसा अब भी ‘ब्रैंड नीतीश’ पर कायम है।
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2005 से अब तक विभिन्न चुनावों में किए गए वादों को पूरा करने का उनका रिकॉर्ड जनता के विश्वास का केंद्र रहा। राज्य में 2010, 2015 और 2020 के चुनावों में ग्रामीण अवसंरचना, बिजली, शिक्षा, रोजगार और महिलाओं के सशक्तीकरण को लेकर किए गए वादों को उन्होंने पूरा किया, जिससे उनका जनाधार मजबूत हुआ। कुमार ने 2025 के चुनाव में एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया, जिसे जनता ने राजद नेता तेजस्वी यादव के प्रति परिवार में सरकारी नौकरी देने के वादे की तुलना में अधिक विश्वसनीय माना।


