बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन की ओर से मंगलवार को घोषणा पत्र जारी कर दी गई। महागठबंधन के घोषणा पत्र में पुरानी पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने का भी वादा किया गया है। इसके बाद एक बार फिर से ओपीएस पर चर्चा शुरू हो गई है।
बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन की ओर से मंगलवार को चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया गया। घोषणा पत्र का नाम ‘तेजस्वी प्रण’दिया गया है। इसमें बिहार में आईटी पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक जोन (एसईजेड), माई बहिन योजना के तहत महिलाओं को ढाई हजार रुपये हर महीने देने और जीविका दीदी के लिए कई घोषणाओं के साथ साथ तेजस्वी यादव ने जिस परिवार के पास सरकारी नौकरी नहीं है, उस परिवार में एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने और सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की घोषणा की गई है। सरकारी कर्मचारी को ओपीएस देने की घोषणा को महागठबंधन का मास्टरस्ट्रोक समझा जा रहा है। सरकारी कर्मचारी इसकी पिछले कई सालों से मांग कर रहे हैं।
सरकारी कर्मचारी क्यों कर रहे इसकी मांग
केंद्र में बीजेपी की सरकार आने के बाद राजनीतिक दलों ने इसे मुद्दा बनाना शुरू किया। लेकिन, बीजेपी और एनडीए में शामिल राजनीतिक दल पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने का समर्थन नहीं करते हैं। जबकि महागठबंधन में शामिल सभी दल इसका समर्थन कर रहे हैं। 2004 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम को खत्म कर न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू किया था। इसके साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया था।
क्यों हो रहा विरोध
2004 के बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारी के लिए एनपीएस लागू किया गया है। इस स्कीम में सरकारी कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद पेंशन कितना मिलेगा वह निश्चित नहीं है। जबकि पुरानी पेंशन योजना में जो राशि मिलना था वह स्पष्ट था। जैसे उनको पता होता था कि अंतिम वेतन की आधी रकम पेंशन के रूप में मिलेगा। उसमें महंगाई भत्ता भी जुड़ा रहेगा। पेंशन भी समय समय पर बढ़कर मिलेगा। इसके साथ ही पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं हुआ करता था। लेकिन, नई व्यवस्था शेयर बाजार में निवेश पर आधारित है। इसलिए पता नहीं चल पाता है कि रिटायरमेंट के बाद कितना पैसा पेंशन के रूप में मिलेगा।
महागठबंधन ने क्यों किया ओपीएस का वादा
महागठबंधन की ओर से बिहार चुनाव को लेकर जारी घोषणा पत्र में सरकारी कर्मचारियों को ओपीएस का लाभ देने की बात कही गई है। कांग्रेस ने इससे पहले राजस्थान चुनाव, मध्यप्रदेश और हिमाचल चुनाव में इसकी चर्चा कर चुकी है। कांग्रेस को इसका लाभा भी मिला है। इसको देखते हुए महागठबंधन ने बिहार में इसकी चर्चा किया है। क्योंकि बिहार में सरकारी नौकरी का बहुत क्रेज है, इसे देखते हुए विपक्षी महागठबंधन ने इस मांग का घोषणा पत्र में चर्चा कर एक बार फिर से समर्थन किया है। महागठबंधन ने तेजस्वी याद के नेतृत्व में अपनी सरकार बनने की स्थिति में राज्य के सरकारी कर्मचारियों के लिए ओपीएस का ऐलान किया है।


