भागवत बोले- समाज सिर्फ कानूनों से नहीं मजबूत नहीं होता:लोगों में संस्कृति से जुड़ाव और अपनापन होना जरूरी; भारत की सोच सबको एक मानने की

भागवत बोले- समाज सिर्फ कानूनों से नहीं मजबूत नहीं होता:लोगों में संस्कृति से जुड़ाव और अपनापन होना जरूरी; भारत की सोच सबको एक मानने की

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि समाज सिर्फ कानूनों से नहीं चलता। उसे मजबूत बनाने के लिए लोगों में संवेदनशीलता, अपनी संस्कृति से जुड़ाव और एक-दूसरे के प्रति अपनापन होना जरूरी है। यही बातें समाज में आपसी भाईचारा बढ़ाती हैं। नेले फाउंडेशन के 25 साल पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने ये बात कही। भागवत ने कहा कि लोगों के दिलों में एक-दूसरे के प्रति अपनापन होना चाहिए और यह भावना सच्चे मन से महसूस होनी चाहिए। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने अंदर की संवेदनशीलता को हमेशा जागरूक और जीवित रखें। भागवत ने कहा कि जब हमारा समाज एकजुट होगा, तब भारत आगे बढ़ेगा और दुनिया को रास्ता दिखाने वाला देश बन सकेगा। उन्होंने कहा कि भले ही कई देशों के पास धन, विज्ञान, ज्ञान और सेना की शक्ति है, लेकिन भारत की खासियत यह है कि हमारी परंपरा सभी को एक मानने की सोच पर आधारित है। भागवत बोले- एकता हमारी असली पहचान RSS प्रमुख ने कहा- एकता और संवेदनशीलता हमारी असली पहचान हैं, और ये उसी चेतना से आती हैं जो पूरे संसार को जोड़ती है। आज विज्ञान भी मानता है कि एक सार्वभौमिक चेतना है, जो किसी एक जगह की नहीं, बल्कि हर जगह मौजूद है, और उसी से सब कुछ पैदा होता है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने इस सोच को सिर्फ समझा ही नहीं, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी इसे अपने जीवन में अपनाया और पीढ़ियों तक आगे बढ़ाया। भारत के विकास के लिए यह अंदर की जागरूकता और एकता की भावना बहुत जरूरी है। भारत आगे बढ़े और बढ़ते हुए दुनिया को भी अपनापन और एकता का संदेश दे। भागवत ने नेले जैसी संस्थाओं और समाज में काम करने वाले समूहों की तारीफ की, जो लोगों में एकता और दया की भावना पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इनके काम ने न सिर्फ उनकी अपनी जिंदगी को बेहतर बनाया है, बल्कि दुनिया के लोगों को भी फायदा पहुंचाया है। उनका काम सफल, पुण्य का और सच में मूल्यवान है। RSS प्रमुख से जुड़ी ये 2 खबर भी पढ़ें… 11 अक्टूबर: RSS जैसी संस्था केवल नागपुर में बन सकती थी, यहां पहले से त्याग-समाज सेवा की भावना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत ने कहा, ‘देश में कई लोग हिंदुत्व पर गर्व करते थे और हिंदू एकता की बात करते थे, लेकिन RSS जैसी संस्था केवल नागपुर में ही बन सकती थी। यहां पहले से ही त्याग और समाज सेवा की भावना थी।’ उन्होंने कहा- RSS ने हाल ही में दशहरे पर अपने 100 साल पूरे किए। इसकी स्थापना साल 1925 में नागपुर में डॉ. हेडगेवार ने की थी। संगठन का उद्देश्य समाज में अनुशासन, सेवा, सांस्कृतिक जागरूकता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना था। पूरी खबर पढ़ें… 2 अक्टूबर: भागवत ने कहा था- निर्भरता मजबूरी न बने 2 अक्टूबर को विजयादशमी के मौके पर RSS के शताब्दी समारोह (100 men) पर मोहन भागवत ने कहा था कि पहलगाम हमले में आतंकियों ने धर्म पूछकर हिंदुओं की हत्या की। हमारी सरकार और सेना ने इसका जवाब दिया। इस घटना से हमें दोस्त और दुश्मन का पता चला। उन्होंने कहा था कि हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में समझ रखनी होगी। पहलगाम घटना हमें सिखा गई कि भले ही हम सभी के साथ दोस्ती का भाव रखते हैं और रखेंगे, लेकिन हमें अपनी सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग, समर्थ रहना पड़ेगा।भागवत ने 41 मिनट के भाषण में समाज में आ रहे बदलाव, सरकारों का रवैया, लोगों में बेचैनी, पड़ोसी देशों में उथल-पुथल, अमेरिकी टैरिफ का जिक्र किया था। पूरी खबर पढ़ें… ——————————— RSS से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… मुस्लिमों का साथ देने पर गांधी से नाराज एक कांग्रेसी ने बनाया RSS, उनकी आखिरी चिट्ठी पढ़ सब हैरान क्यों रह गए 27 सितंबर 1925, उस दिन विजयादशमी थी। हेडगेवार ने पांच लोगों के साथ अपने घर में एक बैठक बुलाई और कहा- आज से हम संघ शुरू कर रहे हैं। बैठक में हेडगेवार के साथ विनायक दामोदर सावरकर के भाई गणेश सावरकर, डॉ. बीएस मुंजे, एलवी परांजपे और बीबी थोलकर शामिल थे। 17 अप्रैल 1926 को हेडगेवार के संगठन का नामकरण हुआ- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS। पूरी खबर पढ़ें…

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