कैथल की सिविल सर्जन श्रीमती रेनू चावला के निर्देश पर राजौंद के गांव मंडवाल में मंगलवार को ‘बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के तहत एक बैठक आयोजित की गई। वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप सिंह की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी मोइन खान और एमपीडब्ल्यू (फीमेल) अनीता ने ग्रामीणों को संबोधित किया। बैठक में बताया गया कि गांव में लिंगानुपात काफी कम है। अधिकारियों ने ग्रामीणों से लिंग जांच न करवाने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कोई व्यक्ति लिंग जांच करवाता है, तो इसकी सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग को दी जाए ताकि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके। गर्भधारण के बाद रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी एमपीडब्ल्यू अनीता ने गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सलाह दी कि वे गर्भधारण के 10 सप्ताह के भीतर अपना पंजीकरण अवश्य करवा लें। इससे सभी गर्भवती महिलाओं का विवरण समय पर ऑनलाइन दर्ज किया जा सकेगा। मोइन खान और अनीता ने इस बात पर जोर दिया कि एक शिक्षित लड़की दो परिवारों को शिक्षित और संभाल सकती है। इसलिए लड़कियों का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। इस अवसर पर ग्रामीणों ने शपथ ली कि गांव में कोई भी लिंग जांच नहीं करवाएगा और हर बेटी को शिक्षित अवश्य करेगा। भ्रूण लिंग जांच कराने पर 5 साल की सजा अधिकारियों ने बताया कि लिंग जांच में शामिल पाए जाने वाले व्यक्ति को सरकार के निर्देशानुसार 5 साल की कैद और 50,000 रुपए का जुर्माना हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति लिंग जांच से संबंधित सूचना स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों को देता है, तो उसका नाम गुप्त रखा जाएगा और शिकायत सही पाए जाने पर उसे 1 लाख रुपए का इनाम दिया जाएगा। अनीता ने गांव की आशा कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में गर्भवती महिलाओं से प्रतिदिन मिलें। इसका उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या किसी गर्भवती महिला ने अल्ट्रासाउंड करवाया है और उसके बाद गर्भपात कराया है।


