केंद्र सरकार और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की ओर से थाई मांगुर मछली प्रतिबंधित है। इसकी अवैध बिक्री रोकने के लिए नालंदा जिला मत्स्य विभाग एक व्यापक छापेमारी अभियान शुरू करने की तैयारी में है। जिला प्रशासन का यह कदम उन कारोबारियों के खिलाफ है, जो मुनाफे के लालच में प्रतिबंध की अवहेलना करते हुए इस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मछली की बिक्री जारी रखे हुए हैं। जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद ने बताया कि थाई मांगुर की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है। बावजूद, शिकायत मिल रही है कि मंडियों में इसे बेचा जा रहा है। ऐसे कारोबारियों पर कार्रवाई के लिए जल्द छापेमारी अभियान शुरू होगा। मछली धड़ल्ले से बेचने की सूचना विभाग को मिली जानकारी के अनुसार, नालंदा के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की मछली मंडियों में यह प्रतिबंधित मछली धड़ल्ले से बेची जा रही है। कारोबारी इसे झारखंड के रास्ते बंगाल से मंगवाकर स्थानीय बाजारों में पहुंचा रहे हैं। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कारोबारी कार्रवाई से बचने के लिए अत्यंत सावधानी बरत रहे हैं। नवादा रास्ते से छोटी गाड़ियों में प्लास्टिक या फोम के बंद बक्सों में छुपाकर थाई मांगुर को शहर में लाया जा रहा है। इससे भी गंभीर बात यह है कि इस विदेशी प्रजाति की मछली को देसी मांगुर के नाम से बेचा जा रहा है, जिससे आम उपभोक्ता धोखे में पड़ जाते हैं। जलीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व होता खत्म थाई मांगुर को प्रतिबंधित करने के पीछे पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंताएं हैं। यह मांसाहारी मछली अत्यंत आक्रामक प्रकृति की है और इसकी उपस्थिति से स्थानीय मछली प्रजातियों का पूरी तरह से विनाश हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिस भी तालाब या जलाशय में यह मछली पहुंच जाती है, वहां अन्य प्रजातियों की मछलियां और जलीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इसकी तीव्र प्रजनन दर और भक्षण की प्रवृत्ति के कारण यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है। कैंसर की बढ़ती संभावना चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, थाई मांगुर में आयरन और लेड की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसके नियमित सेवन से कैंसर सहित अनेक गंभीर रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। जागरूकता की कमी के कारण आम लोग अनजाने में इस हानिकारक मछली का सेवन कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है। जिला प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए एक समग्र रणनीति तैयार की है। मत्स्य विभाग पुलिस प्रशासन के सहयोग से व्यापक छापेमारी अभियान चलाएगा। इस अभियान में न केवल बिक्री स्थलों पर कार्रवाई होगी, बल्कि सप्लाई चेन को भी तोड़ने का प्रयास किया जाएगा। शंभु प्रसाद ने स्पष्ट किया कि अभियान की सफलता के लिए पुलिस-प्रशासन से भी मदद ली जाएगी। पकड़े जाने पर कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। केंद्र सरकार और राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की ओर से थाई मांगुर मछली प्रतिबंधित है। इसकी अवैध बिक्री रोकने के लिए नालंदा जिला मत्स्य विभाग एक व्यापक छापेमारी अभियान शुरू करने की तैयारी में है। जिला प्रशासन का यह कदम उन कारोबारियों के खिलाफ है, जो मुनाफे के लालच में प्रतिबंध की अवहेलना करते हुए इस स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मछली की बिक्री जारी रखे हुए हैं। जिला मत्स्य पदाधिकारी शंभु प्रसाद ने बताया कि थाई मांगुर की बिक्री पर पूरी तरह से पाबंदी है। बावजूद, शिकायत मिल रही है कि मंडियों में इसे बेचा जा रहा है। ऐसे कारोबारियों पर कार्रवाई के लिए जल्द छापेमारी अभियान शुरू होगा। मछली धड़ल्ले से बेचने की सूचना विभाग को मिली जानकारी के अनुसार, नालंदा के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों की मछली मंडियों में यह प्रतिबंधित मछली धड़ल्ले से बेची जा रही है। कारोबारी इसे झारखंड के रास्ते बंगाल से मंगवाकर स्थानीय बाजारों में पहुंचा रहे हैं। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कारोबारी कार्रवाई से बचने के लिए अत्यंत सावधानी बरत रहे हैं। नवादा रास्ते से छोटी गाड़ियों में प्लास्टिक या फोम के बंद बक्सों में छुपाकर थाई मांगुर को शहर में लाया जा रहा है। इससे भी गंभीर बात यह है कि इस विदेशी प्रजाति की मछली को देसी मांगुर के नाम से बेचा जा रहा है, जिससे आम उपभोक्ता धोखे में पड़ जाते हैं। जलीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व होता खत्म थाई मांगुर को प्रतिबंधित करने के पीछे पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर चिंताएं हैं। यह मांसाहारी मछली अत्यंत आक्रामक प्रकृति की है और इसकी उपस्थिति से स्थानीय मछली प्रजातियों का पूरी तरह से विनाश हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिस भी तालाब या जलाशय में यह मछली पहुंच जाती है, वहां अन्य प्रजातियों की मछलियां और जलीय जीव-जंतुओं का अस्तित्व समाप्त हो जाता है। इसकी तीव्र प्रजनन दर और भक्षण की प्रवृत्ति के कारण यह स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक गंभीर खतरा बन गई है। कैंसर की बढ़ती संभावना चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, थाई मांगुर में आयरन और लेड की अत्यधिक मात्रा पाई जाती है, जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसके नियमित सेवन से कैंसर सहित अनेक गंभीर रोगों के होने की संभावना बढ़ जाती है। जागरूकता की कमी के कारण आम लोग अनजाने में इस हानिकारक मछली का सेवन कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है। जिला प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए एक समग्र रणनीति तैयार की है। मत्स्य विभाग पुलिस प्रशासन के सहयोग से व्यापक छापेमारी अभियान चलाएगा। इस अभियान में न केवल बिक्री स्थलों पर कार्रवाई होगी, बल्कि सप्लाई चेन को भी तोड़ने का प्रयास किया जाएगा। शंभु प्रसाद ने स्पष्ट किया कि अभियान की सफलता के लिए पुलिस-प्रशासन से भी मदद ली जाएगी। पकड़े जाने पर कारोबारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।
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