जिले में गोगुंदा-पिंडवाड़ा हाईवे के 6 ब्लैक स्पॉट के सुधार के लिए 100 करोड़ रुपए तो मिल गए, लेकिन सुखेर, बलीचा और देबारी हाईवे के ब्लैक स्पॉट का समाधान नहीं हो रहा है। सड़क सुरक्षा समिति बैठकों में हर बार इन पर चर्चा करती है। लेकिन इनके सुधार के लिए अब तक कोई ठोस समाधान नहीं ढूंढ पाई है। इसके साथ ही रॉन्ग साइड ड्राइविंग भी जानलेवा साबित हो रही है। पिछले 16 महीनों में जिले में 1630 सड़क हादसे हुए। इनमें 732 लोगों की जान गई। सर्वाधिक मौतें प्रतापनगर थाना क्षेत्र में 56 और सुखेर थाना क्षेत्र में 41 हुईं। इन इलाकों में गलत दिशा से आती तेज रफ्तार गाड़ियां हादसों की बड़ी वजह बनीं हैं। 2011–13 की सड़क सुरक्षा रिपोर्ट में उदयपुर के कई ब्लैक स्पॉट दर्ज किए गए थे। इनमें बलीचा चौराहे पर 24 मौतें, चीरवा घाटा–अमरखाजी मोड़ पर 22, कैलाशपुरी में 19, देबारी हाइवे पर 13, प्रतापनगर क्रॉसिंग पर 13 और भुवाणा बायपास पर 13 मौतें हुई हैं। केंद्रीय रिपोर्ट बताती है कि 2019 से 2023 के बीच रॉन्ग साइड ड्राइविंग से होने वाले हादसों में बढ़ोतरी हुई है। 2020 में 7332 मौतें, 2021 में 8122, 2023 में 9432 मौतें हुई हैं। ऐसे में औसतन हर दिन 24 लोग इस लापरवाही में जान गंवा रहे हैं। 5 माह पहले हुई सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सामने आया था कि उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर 5 ब्लैक स्पॉट के लिए मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा चुका हैं। इसकी स्वीक़ृति मिलने के बाद काम शुरू होगा। इसके बाद भी अब तक इनकी हालत चिंताजनक ही है। शहर में प्रमुख तीन हाईवे से रोजाना गुजर रहे 85 हजार वाहन बलीचा हाईवे से शहर में हर रोज 40 हजार से ज्यादा वाहनों का आना-जाना होता है। सुखेर हाईवे पर रोजाना 30 हजार वाहन गुजरते है। इसी तरह देबारी चौराहे से अहमदाबाद हाईवे पर 10 हजार, पिंडवाड़ा पर 5 हजार वाहन आते-जाते हैं। पिछले साल 20 दिसंबर को जयपुर में अजमेर हाइवे पर एलपीजी टैंकर में ब्लास्ट में 20 लोगों की जान चली गई थी। इसके उदयपुर का जिला प्रशासन और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की नींद खुली। एनएचएआई ने तीन दिनों में चित्तौड़गढ़ नेशनल हाईवे पर 93.4 किलोमीटर क्षेत्र में करीब 50 अनधिकृत कट बंद किए थे। अब एनएचएआई को अन्य ब्लैक स्पॉट पर भी बड़े हादसे का इंतजार है। भास्कर एक्सपर्ट- देबारी में ग्रेड बैलेंस खत्म करना होगा पीडब्ल्यूडी के रिटायर्ड एक्सईएन प्रभात कुमार सुखवाल का कहना है कि बलीचा, देबारी और सुखेर हाईवे ब्लैक स्पॉट को खत्म करने के लिए एनएचएआई को एनालिसिस ऑडिट करानी होगी। इसमें निकली खामियों के समाधान के बाद ही ये खत्म होंगे। देबारी में ग्रेड बैलेंस (ढलान) को खत्म करने के बाद ही हादसे थमेंगे। ब्लैक स्पॉट्स पर डिवाइडर, चेतावनी बोर्ड लगाने जरूरी हैं। ट्रैफिक पुलिस को गलत दिशा और तेज रफ्तार वालों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी।


