NCRB की तरफ से जारी किए 2022 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 65% हत्याएं संपत्ति को लेकर विवादों या व्यावसायिक विवादों के चलते हुईं। पटना में प्रति वर्ष औसतन 82 हिंसा के मामले सामने आए हैं। इस मामले में दूसरे जिले भी कम नहीं हैं। इस अध्ययन में पटना के बाद मोतिहारी, सारण, गया, मुजफ्फरपुर और वैशाली का नाम अपराध में पायदान पर क्रमश: आया है। मोतिहारी में 49.53, सारण 44.08, गया 43.50, मुजफ्फरपुर 39.93 और वैशाली में 37.90 मामले प्रति वर्ष दर्ज किए जा रहे हैं।
बिहार में साल के अंत में विधानसभा चुनाव है। करीब 20 साल से सत्ता की चाबी थामे बैठे नीतीश कुमार की बिहार में पकड़ ढीली पड़ती जा रही है.. यही वजह है कि अब बिहार में सुशासन बनाम जंगलराज हो गया है। दरअसल, बिहार में अपराधियों के हौंसले इतने बुलंद हो गए है कि अब पटना हिंसा की राजधानी बन रही है और यहां सरेआम हत्या हो रही है। ताजा मामला दिग्गज कारोबारी गोपाल खेमका का है.. जिनकी शुक्रवार देर रात घर के बाहर ही गोली मारकर हत्या कर दी। 7 साल पहले उनके बेटे गुंजन खेमका का भी मर्डर हुआ था। बिहार में साल 2000 से पहले इसी तरह अपहरण, फिरौती और हत्या का दौर चला था। उस वक्त के शासन को बिहार में जंगलराज कहा जाने लगा। नीतीश कुमार की पार्टी जब से सत्ता में आई। तब से उन्हें सुशासन बाबू कहा जाने लगा। सत्ता में आज भी वो सुशासन बाबू ही हैं लेकिन बिहार में अपराध की एक बार फिर से बहार आ गई है। 4 जुलाई 2025 को अपराधियों ने पटना के सेंटर में गांधी मैदान के पास बड़े व्यापारी गोपाल खेमका की गोली मारकर हत्या कर दी। पिछले महीने अंजनी सिंह नाम के एक बड़े कारोबारी की पटना में हत्या कर दी गई थी। ऐसे में बिगड़ी कानून व्यवस्था को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है और बिहार में आए दिन हो रही हत्याओं को जंगलराज बता रहा है।
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