शराब के साथ वीडियो वायरल होने के बाद जमादार सस्पेंड:मधेपुरा में चोरी केस का सामान छोड़ने के लिए कर रहे थे घूस की मांग; SP ने की कार्रवाई

शराब के साथ वीडियो वायरल होने के बाद जमादार सस्पेंड:मधेपुरा में चोरी केस का सामान छोड़ने के लिए कर रहे थे घूस की मांग; SP ने की कार्रवाई

सोशल मीडिया पर आर्थिक लाभ के लिए बातचीत का वीडियो वायरल होने के बाद मधेपुरा एसपी संदीप सिंह ने शंकरपुर थाना में पदस्थापित जमादार उत्तम कुमार मंडल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। एएसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई इस कार्रवाई के बाद निलंबित जमादार को सिंहेश्वर पुलिस केंद्र में रहने का आदेश दिया गया है। वायरल वीडियो में बेड पर बैठकर पैसे मांगते दिखे जमादार वायरल वीडियो में जमादार उत्तम कुमार मंडल एक व्यक्ति से निजी आर्थिक लाभ की बातचीत करते नजर आ रहे हैं। उनके सामने प्लास्टिक और शराब जैसी दिखने वाली बोतलें पड़ी दिख रही हैं। बेड पर आराम से बैठे मंडल कथित तौर पर जब्त किए गए सामान को छुड़ाने के लिए पैसों की मांग करते हुए दिखाई देते हैं।वीडियो के वायरल होते ही जिले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे। जांच में खुलासा—वीडियो 2024 का, केस से जुड़े सामान छुड़ाने के नाम पर मांग रहे थे पैसे एसपी ने मामले की जांच सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को सौंपी थी।जांच में थाना अध्यक्ष समेत पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई, जिसमें यह सामने आया कि वीडियो वर्ष 2024 का है और शंकरपुर थाना कांड संख्या 220/24 के जब्त सामान को छुड़ाने के लिए जमादार मंडल अभियुक्त पक्ष से पैसे मांग रहे थे। चोरी केस के आरोपी द्वारा जब्त सामान छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा था। एएसपी की रिपोर्ट—अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और वर्दी की गरिमा को ठेस एएसपी की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि शराब की बोतल जैसे संदिग्ध पदार्थ के बीच बैठना। जब्त सामान छोड़ने के नाम पर पैसों की मांग करना और वर्दी की मर्यादा के खिलाफ व्यवहार करना गंभीर अनुशासनहीनता है। इससे पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट में जमादार की कार्यशैली को मनमानी व स्वेच्छाचारिता बताया गया है। मामले की गंभीरता देखते हुए एसपी संदीप सिंह ने उत्तम कुमार मंडल को तुरंत निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय सिंहेश्वर पुलिस केंद्र तय किया गया है। वायरल वीडियो के बाद जिले में पुलिस की साख एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इससे पहले भी शराबबंदी से जुड़ी कार्रवाई के दौरान पुलिसकर्मियों पर अनियमितता के आरोप सामने आ चुके हैं, लेकिन इस मामले में विभाग की तत्काल कार्रवाई ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि निजी लाभ के लिए पुलिस पद का दुरुपयोग किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सोशल मीडिया पर आर्थिक लाभ के लिए बातचीत का वीडियो वायरल होने के बाद मधेपुरा एसपी संदीप सिंह ने शंकरपुर थाना में पदस्थापित जमादार उत्तम कुमार मंडल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। एएसपी की जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई इस कार्रवाई के बाद निलंबित जमादार को सिंहेश्वर पुलिस केंद्र में रहने का आदेश दिया गया है। वायरल वीडियो में बेड पर बैठकर पैसे मांगते दिखे जमादार वायरल वीडियो में जमादार उत्तम कुमार मंडल एक व्यक्ति से निजी आर्थिक लाभ की बातचीत करते नजर आ रहे हैं। उनके सामने प्लास्टिक और शराब जैसी दिखने वाली बोतलें पड़ी दिख रही हैं। बेड पर आराम से बैठे मंडल कथित तौर पर जब्त किए गए सामान को छुड़ाने के लिए पैसों की मांग करते हुए दिखाई देते हैं।वीडियो के वायरल होते ही जिले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे। जांच में खुलासा—वीडियो 2024 का, केस से जुड़े सामान छुड़ाने के नाम पर मांग रहे थे पैसे एसपी ने मामले की जांच सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को सौंपी थी।जांच में थाना अध्यक्ष समेत पुलिसकर्मियों से पूछताछ की गई, जिसमें यह सामने आया कि वीडियो वर्ष 2024 का है और शंकरपुर थाना कांड संख्या 220/24 के जब्त सामान को छुड़ाने के लिए जमादार मंडल अभियुक्त पक्ष से पैसे मांग रहे थे। चोरी केस के आरोपी द्वारा जब्त सामान छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा था। एएसपी की रिपोर्ट—अनुशासनहीनता, भ्रष्टाचार और वर्दी की गरिमा को ठेस एएसपी की रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि शराब की बोतल जैसे संदिग्ध पदार्थ के बीच बैठना। जब्त सामान छोड़ने के नाम पर पैसों की मांग करना और वर्दी की मर्यादा के खिलाफ व्यवहार करना गंभीर अनुशासनहीनता है। इससे पुलिस की छवि को नुकसान पहुंचा है। रिपोर्ट में जमादार की कार्यशैली को मनमानी व स्वेच्छाचारिता बताया गया है। मामले की गंभीरता देखते हुए एसपी संदीप सिंह ने उत्तम कुमार मंडल को तुरंत निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय सिंहेश्वर पुलिस केंद्र तय किया गया है। वायरल वीडियो के बाद जिले में पुलिस की साख एक बार फिर सवालों के घेरे में है। इससे पहले भी शराबबंदी से जुड़ी कार्रवाई के दौरान पुलिसकर्मियों पर अनियमितता के आरोप सामने आ चुके हैं, लेकिन इस मामले में विभाग की तत्काल कार्रवाई ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि निजी लाभ के लिए पुलिस पद का दुरुपयोग किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।  

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