13 माह की बच्ची से 735 किलोमीटर दूर है टीचर मां, तबादले के लिए दिव्यांग पिता ने शुरू की अनोखी यात्रा…

13 माह की बच्ची से 735 किलोमीटर दूर है टीचर मां, तबादले के लिए दिव्यांग पिता ने शुरू की अनोखी यात्रा…

Rajasthan news: प्यार और संघर्ष की एक अविस्मरणीय कहानी राजस्थान के जैसलमेर से सामने आई है, जहाँ एक दिव्यांग पति अपनी दिव्यांग पत्नी के तबादले की गुहार लेकर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से मिलने के लिए 600 किलोमीटर से अधिक का सफर स्कूटी पर तय कर रहा है। यह यात्रा केवल एक व्यक्ति का निजी संघर्ष नहीं, बल्कि सैकड़ों शिक्षकों और उनके परिवारों की आवाज़ बन गई है। अनु रंगा, जो जैसलमेर में आरओ पानी का व्यवसाय करते हैं, 2014 में बीना से शादी की। दोनों पति-पत्नी दिव्यांग हैं। उनकी 13 महीने की एक दुधमुंही बच्ची, ध्रुविका है।

बीना रंगा 2019 में तृतीय श्रेणी शिक्षक के रूप में चयनित हुईं और पिछले चार सालों से बांसवाड़ा जिले के सेमलिया स्थित उच्च प्राथमिक स्कूल में कार्यरत हैं। बांसवाड़ा जैसलमेर से लगभग 735 किलोमीटर दूर है। इतनी लंबी दूरी और छोटी बच्ची की देखभाल के कारण इस दिव्यांग दंपत्ति के लिए यह दूरी और वियोग असहनीय हो गया है।

अनु रंगा ने अपने इस दर्द को मुख्यमंत्री तक पहुँचाने का फैसला किया। उन्होंने अपनी चार पहियों वाली स्कूटी पर अपने एक मित्र के साथ 24 अक्टूबर को जैसलमेर से जयपुर के लिए यात्रा शुरू की। पोकरण, फलोदी और नागौर होते हुए वे 26 अक्टूबर को राजधानी जयपुर पहुँचने की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि 27 अक्टूबर को मुख्यमंत्री से मिल सकें।

अनु रंगा ने दृढ़ निश्चय किया है कि जब तक उनकी पत्नी का तबादला जैसलमेर नहीं हो जाता, वे वापस नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री आवास के बाहर फुटपाथ पर भी सोने को तैयार हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादलों पर रोक ने अनु रंगा जैसे कई परिवारों के लिए संकट खड़ा कर दिया है। सरकार ने इन तबादलों पर रोक लगा रखी है, जिससे दूरदराज के इलाकों में कार्यरत शिक्षकों को पारिवारिक और मानसिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है। अनु रंगा ने उम्मीद जताई है कि मुख्यमंत्री उनकी समस्या को गंभीरता से लेते हुए, मानवीय आधार पर उनकी पत्नी का तबादला जैसलमेर करवाएंगे।

उनका कहना है, “यह मेरी अकेली लड़ाई नहीं है। यह न्याय और परिवार की भलाई की माँग है, जो सैकड़ों शिक्षक परिवार कर रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि सरकार मानवीय पक्ष को समझते हुए जल्द ही तबादलों पर से रोक हटाएगी और हमें अपने परिवार के साथ रहने का मौका देगी।” अनु रंगा की यह यात्रा सरकारी नियमों के सामने एक पति के अटूट प्रेम और साहस का प्रतीक बन गई है।

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