परीक्षा माफिया से मुलाकात के बाद रामबाबू ने बनाया नेटवर्क:NEET-2025 में स्कॉलर बैठाने के मामले में बड़ा खुलासा; दरभंगा के डॉक्टर ने कराई थी दोनों की मीटिंग

परीक्षा माफिया से मुलाकात के बाद रामबाबू ने बनाया नेटवर्क:NEET-2025 में स्कॉलर बैठाने के मामले में बड़ा खुलासा; दरभंगा के डॉक्टर ने कराई थी दोनों की मीटिंग

समस्तीपुर में NEET-UG 2025 एग्जाम में कैंडिडेट्स की जगह स्कॉलर बैठाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दरभंगा के एक बड़े डॉक्टर ने जेल में बंद राम बाबू मल्लिक की मीटिंग परीक्षा माफिया से कराई थी। इस मीटिंग के बाद से रामबाबू का मनोबल हाई होता चला गया। बेगूसराय जेल में पोस्टेड डॉ. रंजीत कुमार के साथ मिलकर अपना सिस्टम खड़ा कर दिया। परीक्षा माफिया कौन है, अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। जालसाजी के आरोप के बाद नौकरी से निकाला था 4 मई को हुई समस्तीपुर पुलिस ने बेगूसराय जेल में पोस्टेड डॉक्टर रंजीत कुमार और दरभंगा के रहमगंज काली मंदिर निवासी राम बाबू मल्लिक को गिरफ्तार किया था। राम बाबू मल्लिक, पहले DMCH में कॉन्ट्रैक्ट पर सफाईकर्मी था। 2023 में जालसाजी के आरोप लगने के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। एएसपी संजय पांडेय ने बताया कि जांच में जो सामने आया है, इसकी पुष्टि के लिए दोनों को रिमांड पर लिया जाएगा। 2-3 दिन के अंदर रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। ताकि जांच के दौरान दो इनपुट सामने आए हैं, उसका मिलान किया जा सके। 10-10 लाख में हुई थी डील डॉक्टर रंजीत के साथ पकड़ा गया रामबाबू मल्लिक की भूमिका सेटर की थी। रंजीत और रामबाबू ने कैंडिडेट्स से 10-10 लाख में डील तय की थी। एडवांस में सभी से 1 से 1.5 लाख रुपए लिए गए थे। बाकी पैसे रिजल्ट आने के बाद देने थे। वहीं स्कॉलर को 4 लाख देने की बात तय की गई थी। रंजीत और रामबाबू के बंटे थे काम डॉ. रंजीत और रामबाबू एक दूसरे को कई सालों से जानते हैं। दोनों करीब 5 साल से यह गोरखधंधा कर रहे हैं। डॉ. रंजीत अभ्यर्थी जुटाता था और रामबाबू पटना के माफिया के जरिए स्कॉलर की व्यवस्था करता था। रामबाबू और उसके ग्रुप के लोगों का बिहार और बिहार के बाहर के मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से संपर्क है। यह गैंग मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को पैसों का लालच देकर आसानी से स्कॉलर बनने के लिए तैयार कर लेते हैं। करोड़ों की संपत्ति का मालिक है डॉ. रंजीत रंजीत ने 2022 में बेगूसराय जेल में बतौर सरकारी डॉक्टर ज्वाइन किया था। डॉक्टर रंजीत अकूत संपत्ति का मालिक है। बेलसंडी में करोड़ों की जमीन है, जबकि वारिसनगर के चारो गांव में भी 15-20 बीघा जमीन है, जो काफी महंगी है। इसके अलावा दलसिंहसराय में भी संपत्ति खरीद रखी है। पड़ताल में सामने आया कि, रंजीत कुमार समस्तीपुर के दलसिंहसराय में प्राइवेट क्लिनिक चलाता है। उसकी बहन जूही पटना पीएमसीएच में डॉक्टर है। जूही के पति भी डॉक्टर हैं। जूही की पिछले साल ही शादी हुई है। पत्नी सोनी कुमारी भी मेडिकल से जुड़े प्रोफेशन की ट्रेनिंग ले रही है। वो दरभंगा की रहने वाली है। गांव के लोगों के मुताबिक, डॉक्टर रंजीत के साथ गिरफ्तार रामबाबू मलिक सोनी कुमार का पड़ोसी है। डॉक्टर रंजीत कुमार करीब 3 साल से बेगूसराय जेल में तैनात है। डॉक्टर रंजीत कुमार के गांव के लोगों की मानें तो इसके पिता लक्ष्मी सिंह भी ग्रामीण चिकित्सक थे, जिनका निधन हो चुका है। दो भाई-बहनों में बड़े रंजीत कुमार ने 2017-18 में डॉक्टर की डिग्री ली थी। प्राइवेट क्लिनिक के अलावा एजुकेशन कंसलटेंसी का भी कारोबार रंजीत कुमार का एजुकेशन कंसलटेंसी का कारोबार है और वो जरूरतमंद बच्चों से मोटी रकम लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, बीसीए, एमबीए, बीटेक, बीएड, डीएलएड आदि में एडमिशन कराता है। ग्रामीणों की मानें तो रंजीत ने 100 से अधिक छात्र-छात्राओं का हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन करवा चुका है। गांव में किसी से मतलब नहीं रखता था। गांव के लोगों ने बताया कि, ‘रंजीत अपनी पहुंच के बल पर अच्छे-अच्छे इंस्टीट्यूट और बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों में पैसे के बल पर छात्र-छात्राओं का एडमिशन करा देता है।’ रंजीत को जानने वाले बेगूसराय के एक डॉक्टर ने बताया कि जेल में कांट्रेक्ट के आधार पर बहाल हुआ था, लेकिन उसे देखकर ऐसा लगता था कि, मेडिकल सेक्टर से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ जेल आता था और वापस चला जाता था, किसी से कोई मतलब नहीं रखता था। अब जानिए, डॉक्टर के साथ पकड़े गए दरभंगा के युवक की कहानी भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि बीए पास रामबाबू को दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानी DMCH में दैनिक कर्मी के रूप में 15 साल पहले नौकरी मिली थी। उसकी तैनाती परीक्षा विभाग में थी। इसके बाद से वो मेडिकल और एमबीबीएस के छात्रों से काउंसिलिंग के दौरान मोटी रकम लेने लगा, जिसके बाद उसने काफी संपत्ति अर्जित की। खुद को डीएमसीएच का अधिकारी बता हाई प्रोफाइल लड़की से शादी भी की, लेकिन उसकी पत्नी को 4 दिन में ही सच्चाई का पता चल गया और वह उसको छोड़कर चली गई। साल 2023 में पारामेडिकल और एमबीबीएस के फर्जीवाड़ा की शिकायत डीएमसीएच प्रशासन से की गई थी। मामले में रामबाबू के खिलाफ सबूत मिलने के बाद उसे नौकरी से उसे निकाल दिया गया था, जिसके बाद कुछ दिनों तक रामबाबू ने प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता रहा। समस्तीपुर में NEET-UG 2025 एग्जाम में कैंडिडेट्स की जगह स्कॉलर बैठाने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक दरभंगा के एक बड़े डॉक्टर ने जेल में बंद राम बाबू मल्लिक की मीटिंग परीक्षा माफिया से कराई थी। इस मीटिंग के बाद से रामबाबू का मनोबल हाई होता चला गया। बेगूसराय जेल में पोस्टेड डॉ. रंजीत कुमार के साथ मिलकर अपना सिस्टम खड़ा कर दिया। परीक्षा माफिया कौन है, अभी इसका खुलासा नहीं हुआ है। जालसाजी के आरोप के बाद नौकरी से निकाला था 4 मई को हुई समस्तीपुर पुलिस ने बेगूसराय जेल में पोस्टेड डॉक्टर रंजीत कुमार और दरभंगा के रहमगंज काली मंदिर निवासी राम बाबू मल्लिक को गिरफ्तार किया था। राम बाबू मल्लिक, पहले DMCH में कॉन्ट्रैक्ट पर सफाईकर्मी था। 2023 में जालसाजी के आरोप लगने के बाद उसे नौकरी से निकाल दिया गया था। एएसपी संजय पांडेय ने बताया कि जांच में जो सामने आया है, इसकी पुष्टि के लिए दोनों को रिमांड पर लिया जाएगा। 2-3 दिन के अंदर रिमांड पर लेकर पूछताछ की जाएगी। ताकि जांच के दौरान दो इनपुट सामने आए हैं, उसका मिलान किया जा सके। 10-10 लाख में हुई थी डील डॉक्टर रंजीत के साथ पकड़ा गया रामबाबू मल्लिक की भूमिका सेटर की थी। रंजीत और रामबाबू ने कैंडिडेट्स से 10-10 लाख में डील तय की थी। एडवांस में सभी से 1 से 1.5 लाख रुपए लिए गए थे। बाकी पैसे रिजल्ट आने के बाद देने थे। वहीं स्कॉलर को 4 लाख देने की बात तय की गई थी। रंजीत और रामबाबू के बंटे थे काम डॉ. रंजीत और रामबाबू एक दूसरे को कई सालों से जानते हैं। दोनों करीब 5 साल से यह गोरखधंधा कर रहे हैं। डॉ. रंजीत अभ्यर्थी जुटाता था और रामबाबू पटना के माफिया के जरिए स्कॉलर की व्यवस्था करता था। रामबाबू और उसके ग्रुप के लोगों का बिहार और बिहार के बाहर के मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स से संपर्क है। यह गैंग मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स को पैसों का लालच देकर आसानी से स्कॉलर बनने के लिए तैयार कर लेते हैं। करोड़ों की संपत्ति का मालिक है डॉ. रंजीत रंजीत ने 2022 में बेगूसराय जेल में बतौर सरकारी डॉक्टर ज्वाइन किया था। डॉक्टर रंजीत अकूत संपत्ति का मालिक है। बेलसंडी में करोड़ों की जमीन है, जबकि वारिसनगर के चारो गांव में भी 15-20 बीघा जमीन है, जो काफी महंगी है। इसके अलावा दलसिंहसराय में भी संपत्ति खरीद रखी है। पड़ताल में सामने आया कि, रंजीत कुमार समस्तीपुर के दलसिंहसराय में प्राइवेट क्लिनिक चलाता है। उसकी बहन जूही पटना पीएमसीएच में डॉक्टर है। जूही के पति भी डॉक्टर हैं। जूही की पिछले साल ही शादी हुई है। पत्नी सोनी कुमारी भी मेडिकल से जुड़े प्रोफेशन की ट्रेनिंग ले रही है। वो दरभंगा की रहने वाली है। गांव के लोगों के मुताबिक, डॉक्टर रंजीत के साथ गिरफ्तार रामबाबू मलिक सोनी कुमार का पड़ोसी है। डॉक्टर रंजीत कुमार करीब 3 साल से बेगूसराय जेल में तैनात है। डॉक्टर रंजीत कुमार के गांव के लोगों की मानें तो इसके पिता लक्ष्मी सिंह भी ग्रामीण चिकित्सक थे, जिनका निधन हो चुका है। दो भाई-बहनों में बड़े रंजीत कुमार ने 2017-18 में डॉक्टर की डिग्री ली थी। प्राइवेट क्लिनिक के अलावा एजुकेशन कंसलटेंसी का भी कारोबार रंजीत कुमार का एजुकेशन कंसलटेंसी का कारोबार है और वो जरूरतमंद बच्चों से मोटी रकम लेकर मेडिकल, इंजीनियरिंग, बीसीए, एमबीए, बीटेक, बीएड, डीएलएड आदि में एडमिशन कराता है। ग्रामीणों की मानें तो रंजीत ने 100 से अधिक छात्र-छात्राओं का हायर एजुकेशन के लिए एडमिशन करवा चुका है। गांव में किसी से मतलब नहीं रखता था। गांव के लोगों ने बताया कि, ‘रंजीत अपनी पहुंच के बल पर अच्छे-अच्छे इंस्टीट्यूट और बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों में पैसे के बल पर छात्र-छात्राओं का एडमिशन करा देता है।’ रंजीत को जानने वाले बेगूसराय के एक डॉक्टर ने बताया कि जेल में कांट्रेक्ट के आधार पर बहाल हुआ था, लेकिन उसे देखकर ऐसा लगता था कि, मेडिकल सेक्टर से कोई लेना-देना नहीं है। वह सिर्फ जेल आता था और वापस चला जाता था, किसी से कोई मतलब नहीं रखता था। अब जानिए, डॉक्टर के साथ पकड़े गए दरभंगा के युवक की कहानी भास्कर की पड़ताल में सामने आया कि बीए पास रामबाबू को दरभंगा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल यानी DMCH में दैनिक कर्मी के रूप में 15 साल पहले नौकरी मिली थी। उसकी तैनाती परीक्षा विभाग में थी। इसके बाद से वो मेडिकल और एमबीबीएस के छात्रों से काउंसिलिंग के दौरान मोटी रकम लेने लगा, जिसके बाद उसने काफी संपत्ति अर्जित की। खुद को डीएमसीएच का अधिकारी बता हाई प्रोफाइल लड़की से शादी भी की, लेकिन उसकी पत्नी को 4 दिन में ही सच्चाई का पता चल गया और वह उसको छोड़कर चली गई। साल 2023 में पारामेडिकल और एमबीबीएस के फर्जीवाड़ा की शिकायत डीएमसीएच प्रशासन से की गई थी। मामले में रामबाबू के खिलाफ सबूत मिलने के बाद उसे नौकरी से उसे निकाल दिया गया था, जिसके बाद कुछ दिनों तक रामबाबू ने प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता रहा।  

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