सीतापुर में डीएम के आदेशों के बावजूद शहर में चलाया गया अतिक्रमण हटाओ अभियान महज औपचारिकता बनकर रह गया। रविवार दोपहर बाद जीआईसी चौराहे से बस स्टॉप तक चले इस अभियान में प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो गए हैं। अभियान की कमान एसडीएम सदर और नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी वैभव त्रिपाठी के हाथों में थी। लेकिन कार्रवाई देखकर आमजन और व्यापारी वर्ग में आक्रोश देखी गई। अभियान के दौरान बड़े-बड़े भवनों और प्रतिष्ठानों के बाहर सड़कों तक फैले अतिक्रमण को नजरअंदाज कर दिया गया, जबकि छोटे दुकानदारों की टीन शेड और अस्थायी दुकानों पर ही बुलडोजर और हथौड़ा चला। इससे यह साफ जाहिर हुआ कि कार्रवाई चयनित और पक्षपातपूर्ण रही। सड़कों पर कब्जा किए रसूखदार लोगों को खुली छूट दी गई, जबकि रोजी-रोटी चलाने वाले छोटे व्यापारियों को सबसे पहले निशाना बनाया गया। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि डीएम के निर्देशों का हवाला जरूर दिया गया, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट नजर आई। व्यापारियों का आरोप है कि प्रशासन ने केवल खानापूर्ति के लिए कुछ दुकानों को हटाकर फोटो और रिपोर्ट थाने व उच्चाधिकारियों को भेजने की औपचारिकता निभा ली। इस दौरान कई दुकानदारो के सामने लगे टीनशेड को उखाडकर जब्त कर लिया गया अतिक्रमण अभियान के दौरान कई दुकानदारों में आक्रोश देखने को मिला। उनका कहना है कि यदि अतिक्रमण हटाना ही था, तो सभी के खिलाफ समान कार्रवाई होनी चाहिए थी।


