Bihar elections में महिला शक्ति का कमाल, पुरुषों से अधिक मतदान कर बदली सियासी हवा।

Bihar elections में महिला शक्ति का कमाल, पुरुषों से अधिक मतदान कर बदली सियासी हवा।
इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने मतदान के क्षेत्र में एक बार फिर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मौजूद जानकारी के अनुसार, चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं की मतदान दर 71.6% रही, जबकि पुरुष मतदाता 62.8% मतदान करने आए। गौरतलब है कि पहले चरण में महिलाओं की भागीदारी 69.04% रही, वहीं दूसरे चरण में यह संख्या बढ़कर 79.04% तक पहुंच गई है।
जानकारों का कहना है कि महिलाओं के बड़े पैमाने पर मतदान करने के पीछे दो प्रमुख कारण रहे हैं। पहला कारण आर्थिक सशक्तिकरण और वित्तीय लाभ हैं, जो दोनों प्रमुख पार्टियों ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं को दिए। उदाहरण के तौर पर, महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं को 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता देने और महिला स्वयं सहायता समूहों या जीवनिका दीदियों को स्थायी लाभ प्रदान करने की घोषणा की। वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए ‘लाखपति दीदियों’ और दो लाख रुपये तक की वित्तीय मदद जैसी योजनाओं की घोषणा की, जो महिलाओं में आकर्षण पैदा करने वाली रही हैं।
मौजूदा स्थिति को देखते हुए यह भी कहा जा सकता है कि केवल आर्थिक प्रोत्साहन ही कारण नहीं था। कानून और व्यवस्था भी इस बार महिलाओं के लिए मतदान के प्रमुख कारणों में शामिल रही हैं। बीजेपी ने यह संदेश दिया कि अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने, तो “जंगलराज” की वापसी होगी। महिलाएं, जो नीतीश कुमार के शासन में सुरक्षित महसूस कर रही हैं, अपने व्यवसाय शुरू कर रही हैं और शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, उन्हें अपने घर तक सीमित रहना पड़ सकता है। इससे माताओं में यह डर भी पैदा हुआ कि उनकी बेटियों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं रहेगी।
महागठबंधन ने इस पहलू को भांपते हुए तेजस्वी यादव को बार-बार यह संदेश देने के लिए प्रेरित किया कि अगर उन्हें मौका दिया जाए तो अपराध के प्रति शून्य सहनशीलता सुनिश्चित करेंगे। इसके अलावा, कांग्रेस ने भी अंतिम दिनों में महिलाओं को आकर्षित करने के लिए प्रियंका गांधी वाड्रा को अभियान में शामिल किया और उन्हें यह संदेश दिया कि क्या वे नीतीश सरकार पर अपनी सुरक्षा का भरोसा कर सकती हैं।
पिछले चुनाव 2020 में महिलाओं की भागीदारी केवल 56% थी, जबकि इस बार यह संख्या काफी बढ़ गई है। यह स्पष्ट संकेत है कि अब बिहार की महिलाएं अपने वोट के निर्णय में पुरुषों के दबाव को स्वीकार नहीं कर रही हैं और अपनी स्वतंत्र पसंद के आधार पर मतदान कर रही हैं।
इस प्रकार, बिहार के इस चुनाव में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी ने यह दर्शाया कि आर्थिक लाभ और सुरक्षा दोनों ही उनके मतदान के प्रमुख निर्धारक रहे हैं और वे अब राजनीतिक निर्णयों में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।

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