तुम क्रिकेट खेलती हो? हां सर, मैं लड़कों के साथ मैच खेलती हूं। क्रिकेट टूर्नामेंट हाे रहा है, हमारी टीम से खेलोगी। हां सर। ड्रेस और जूते हैं, तुम्हारे पास। जूते तो मेरे भाई के हैं, लेकिन ड्रेस नहीं है। अच्छा तुम जूते पहनकर आओ, ड्रेस का मैं कुछ करता हूं। यह बातचीत है विमेंस क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहीं क्रांति गौड़ और क्रिकेट कोच सोनू वाल्मीकि की। सोनू ने ही क्रांति की प्रतिभा को पहचाना और पहली बार उसे मैदान पर उतारा। भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बनकर वर्ल्ड कप जीतने वाली राइट आर्म मीडियम पेसर क्रांति गौड़ छतरपुर के एक छोटे से गांव गुहारा की रहने वाली हैं। उन्होंने अपने क्रिकेट कॅरियर की शुरुआत सागर की डॉ. हरिसिंह गौर क्रिकेट एकेडमी से की थी। क्रांति उर्फ रोहिणी गौड़ ने अपनी लाइफ का पहला मैच खेलते हुए मैन ऑफ द मैच अपने नाम किया था। यही उसके जीवन का टर्निंग पॉइंट रहा। 2017 में पहली बार खेला क्रिकेट मैच
सागर में रहने वाले क्रिकेट कोच सोनू वाल्मीकि बताते हैं- 2017 में गुहारा में क्रिकेट टूर्नामेंट था। आयोजकों ने मुझे सूचना दी कि टूर्नामेंट में सागर से एक महिला टीम को उतारना है। मैंने अपनी महिला क्रिकेट टीम तैयार की। 25 नवंबर 2017 को मैच खेलने के लिए रवाना होना था। सभी खिलाड़ी तय समय पर पहुंच गईं, लेकिन अचानक तबीयत खराब होने से अंकिता नहीं आई। मैं 10 खिलाड़ियों के साथ ही गुहारा पहुंचा। मैंने सभी लड़कियों से कहा- पहले तुम लोग जाकर नाश्ता कर लो। वे सभी चली गईं, लेकिन मेरे दिमाग में एक बात घूम रही थी कि मैच के लिए 11 लड़कियां चाहिए, एक खिलाड़ी कम है। मैं इसी बात को सोचते हुए ग्राउंड की ओर घूमने निकल गया। मैदान के पास एक लड़की डंडा लेकर क्रिकेटिंग शॉट लगाने के लिए हाथ घुमा रही थी। मैं उसके पास गया और पूछा- क्या नाम है तुम्हारा। उसने कहा- रोहिणी उर्फ क्रांति। मैंने कहा- डंडे से शॉट की पोजिशन ले रही हो, क्रिकेट खेलती हो क्या? उसने कहा- हां, मैं क्रिकेट खेलती हूं। खेलती भर नहीं हूं, लड़कों के साथ मैच खेला करती हूं। मैंने कहा- अच्छा तो लड़कियों का एक क्रिकेट मैच होना है। टूर्नामेंट में हमारी ओर से खेलोगी। उसने जल्दी से कहा- हां, जरूर। उसका आत्मविश्वास देकर मैंने पूछा- ड्रेस और जूते हैं क्या? वह बोली- जूते तो मेरे भाई के हैं, लेकिन ड्रेस नहीं है। इस पर मैंने उसे कहा- अच्छा ठीक है, जूते पहनकर आओ, ड्रेस का देखते हैं। वह कुछ ही देर में भाई के जूते पहनकर मैदान पर पहुंच गई। मैंने उसे अंकिता की ड्रेस दे दी। नौगांव की टीम को हराया, मैन ऑफ द मैच बनी क्रांति
सोनू ने आगे कहा- सागर की महिला क्रिकेट टीम का मैच नौगांव की टीम से था। हमारी टीम पहले गेंदबाजी कर रही थी। रोहिणी ने कहा- मैं ऑलराउंडर हूं। बैटिंग-बॉलिंग दोनों करती हूं। इस पर उसे गेंदबाजी सौंपी गई। उसने शानदार गेंदबाजी करते हुए सामने वाली टीम के दो प्रमुख विकेट लिए। जब बल्लेबाजी की बारी आई तो उसने बैट से भी कमाल किया। उसने तीसरे नंबर पर बैटिंग करते हुए तेजी से 25 रन की पारी खेली। हमारी टीम ने नौगांव की टीम को पराजित कर दिया। मैच में बैटिंग और बॉलिंग में अच्छा प्रदर्शन करने के कारण क्रांति उर्फ रोहिणी को मैन ऑफ द मैच चुना गया। लड़कियों ने रोहिणी के नाम के जयकारे लगाए। अफसरों ने किट दिलाई, फिर एकेडमी में आई
मैच जीतने के बाद क्रांति के पिता मैदान पर पहुंचे। वे पुलिस विभाग में थे, लेकिन सस्पेंड चल रहे थे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। ऐसे में मैदान में मौजूद अधिकारियों ने क्रांति को क्रिकेट किट दिलाई। वह दिसंबर 2017 में सागर आई और हमारी एकेडमी में खेलना शुरू किया। यहां मैंने उसे बॉलिंग और बैटिंग के गुर सिखाए। बाउंसर और इन स्विंग बॉलिंग में माहिर क्रांति
कोच सोनू ने बताया कि सागर में प्रैक्टिस के दौरान क्रांति बाउंसर और इन स्विंग अच्छा फेंकती थी। ऐसे में उसे सबसे पहले बॉलिंग के लिए तैयार किया गया। वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल मैच में ऑस्ट्रेलिया टीम की कप्तान का विकेट भी क्रांति ने इन स्विंग बॉल पर ही लिया था। इसके अलावा वह बैटिंग बहुत ही जबरदस्त करती है। सामने के शॉट और लंबे शॉट खेलती है। सिक्सर आसानी से मारती है। 13 साल की उम्र में सागर डिवीजन के मैच खेले
सोनू वाल्मीकि ने कहा- प्रैक्टिस के दौरान सागर डिवीजन में मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) का टूर्नामेंट आया। इसमें 16 साल तक उम्र की महिला खिलाड़ियों को खेलना था। क्रांति का क्रिकेट अच्छा था। साथ ही उस समय क्रिकेट खेलने के लिए लड़कियों की कमी थी। मैंने क्रांति को सागर डिवीजन भेजा, जहां उसका खेल देखकर टीम में चुन लिया गया। उस समय क्रांति 13 साल की थी। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। एमपी, बोर्ड और फिर नेशनल टीम की हिस्सा बनी। अब वर्ल्ड कप जीतकर क्रांति ने देश समेत पूरे बुंदेलखंड का नाम रोशन किया है। लड़कों के साथ मैच खेलती थी क्रांति
क्रिकेटर क्रांति गौड़ ने कक्षा 8वीं तक पढ़ाई की है। वह बचपन से ही क्रिकेट खेलना पसंद करती थी। गांव के लड़कों के साथ मैच खेलती थी। फिर मौसी के घर मकरोनिया में रहकर सागर की एकेडमी में क्रिकेट के गुर सीखे थे। क्रांति का सफर बेहद संघर्ष भरा रहा है। उनका परिवार गुहारा गांव की पुलिस चौकी के सामने स्थित दो कमरे के सरकारी पुलिस क्वार्टर में रहता है। पिता मुन्ना सिंह पुलिस विभाग में हेड कॉन्स्टेबल थे, जो साल 2011 से सस्पेंड चल रहे हैं। परिवार के पास न तो अपनी कोई जमीन है और न ही खुद का मकान। क्रांति ने एक इंटरव्यू में बताया था कि आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर थी कि कई बार खाने की भी परेशानी हुई। बड़े भाई मयंक ने दिल्ली में कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर घर की स्थिति को संभाला। क्रांति की क्रिकेट किट और अन्य खर्चों को पूरा किया। क्रिकेट के सपने को जिंदा रखने के लिए उनकी मां नीलम ने अपने गहने तक बेच दिए थे। ————————- क्रांति से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें… विश्वकप विजेता क्रांति गौड़ को MP सरकार देगी ₹1 करोड़ विमेंस वनडे वर्ल्ड कप 2025 जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम की सदस्य और मध्य प्रदेश के छतरपुर की बेटी क्रांति गौड़ को राज्य सरकार 1 करोड़ रुपए का इनाम देगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि छतरपुर की बेटी ने प्रदेश का मान बढ़ाया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में भी एमपी के युवा खिलाड़ी खेलों में ऐसी ही भूमिका निभाते रहेंगे। पढ़ें पूरी खबर…
प्लेयर कम पड़े तो क्रांति को खेलने का मौका मिला:पूर्व कोच बोले- भाई के जूते पहनकर मैदान पर उतरी, मौसी के घर रहकर बारीकियां सीखीं


