मुंगेर के बरियारपुर प्रखंड स्थित गंगा पार हरिनमार दियारा के ग्रामीण अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के लोग सड़क, पुल और शिक्षण संस्थानों की कमी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, पुल की मांग लंबे समय से लंबित है, जिसके अभाव में उन्हें जिला मुख्यालय जाने के लिए लगभग 100 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। बरियारपुर प्रखंड कार्यालय पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है, जिससे हमेशा जान का खतरा बना रहता है। योग्य शिक्षकों की नहीं हुई नियुक्ति छात्रों ने बताया कि गांव में हाई स्कूल तो है, लेकिन वहां योग्य शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इलाज के लिए भी उन्हें 10 किलोमीटर दूर खगड़िया जिले जाना पड़ता है। हर साल आने वाली बाढ़ यहां तबाही मचाती है, लेकिन सरकार की ओर से उचित सहायता नहीं मिलती। इस बार की भीषण बाढ़ में एक पुल बह गया था, जिसकी मरम्मत अब तक नहीं कराई गई है। ग्रामीण फिलहाल डायवर्सन के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं। झूठे आश्वासन देकर चले जाते है नेता ग्रामीणों का कहना है कि नेता केवल चुनाव के समय आते हैं और झूठे आश्वासन देकर चले जाते हैं। इस बार वे विकास के मुद्दों पर ही मतदान करेंगे। हमारे संवाददाता चेतन कुमार झा ने दियारा के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने सरकार से बाढ़ से बचाव के लिए ठोस विकल्प और बरियारपुर प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए गंगा नदी पर पीपा पुल बनाने की मांग की है। उनका मानना है कि इन उपायों से गांव का काफी विकास हो सकता है। आयुष्मान कार्ड पर नहीं होता इलाज वहीं हंशु सिंह टोला की रहने वाली जीरा देवी बताती हैं कि उसके पति बिगन सिंह के पैर में जख्म तीन साल से है। उसके पास आयुष्मान कार्ड है लेकिन वो अगर निजी नरसिंग होम जाति है तो वाहन पर चिकित्सा के द्वारा उनके आयुष्मान कार्ड पर इलाज नहीं किया जाता है। जमीन बेचकर पति का इलाज करवा रही इस वजह से वो जमीन बेचकर और कर्ज लेकर पति का इलाज करवा रही है, लेकिन अब वह अपने पति के इलाज कराने में असमर्थ हो चुकी है, सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है। वहीं महिला ने बताया कि जो हमलोग के दुःख सुख में काम आएगा उसे जिताएंगे। मुंगेर के बरियारपुर प्रखंड स्थित गंगा पार हरिनमार दियारा के ग्रामीण अब भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां के लोग सड़क, पुल और शिक्षण संस्थानों की कमी से जूझ रहे हैं। ग्रामीणों के अनुसार, पुल की मांग लंबे समय से लंबित है, जिसके अभाव में उन्हें जिला मुख्यालय जाने के लिए लगभग 100 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। बरियारपुर प्रखंड कार्यालय पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र साधन है, जिससे हमेशा जान का खतरा बना रहता है। योग्य शिक्षकों की नहीं हुई नियुक्ति छात्रों ने बताया कि गांव में हाई स्कूल तो है, लेकिन वहां योग्य शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है। इलाज के लिए भी उन्हें 10 किलोमीटर दूर खगड़िया जिले जाना पड़ता है। हर साल आने वाली बाढ़ यहां तबाही मचाती है, लेकिन सरकार की ओर से उचित सहायता नहीं मिलती। इस बार की भीषण बाढ़ में एक पुल बह गया था, जिसकी मरम्मत अब तक नहीं कराई गई है। ग्रामीण फिलहाल डायवर्सन के सहारे आवागमन करने को मजबूर हैं। झूठे आश्वासन देकर चले जाते है नेता ग्रामीणों का कहना है कि नेता केवल चुनाव के समय आते हैं और झूठे आश्वासन देकर चले जाते हैं। इस बार वे विकास के मुद्दों पर ही मतदान करेंगे। हमारे संवाददाता चेतन कुमार झा ने दियारा के लोगों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने सरकार से बाढ़ से बचाव के लिए ठोस विकल्प और बरियारपुर प्रखंड मुख्यालय तक पहुंचने के लिए गंगा नदी पर पीपा पुल बनाने की मांग की है। उनका मानना है कि इन उपायों से गांव का काफी विकास हो सकता है। आयुष्मान कार्ड पर नहीं होता इलाज वहीं हंशु सिंह टोला की रहने वाली जीरा देवी बताती हैं कि उसके पति बिगन सिंह के पैर में जख्म तीन साल से है। उसके पास आयुष्मान कार्ड है लेकिन वो अगर निजी नरसिंग होम जाति है तो वाहन पर चिकित्सा के द्वारा उनके आयुष्मान कार्ड पर इलाज नहीं किया जाता है। जमीन बेचकर पति का इलाज करवा रही इस वजह से वो जमीन बेचकर और कर्ज लेकर पति का इलाज करवा रही है, लेकिन अब वह अपने पति के इलाज कराने में असमर्थ हो चुकी है, सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है। वहीं महिला ने बताया कि जो हमलोग के दुःख सुख में काम आएगा उसे जिताएंगे।


