बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर स्वर्णरेखा और खरखाई नदियों के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। सूर्योदय से पहले ही हजारों श्रद्धालु परिवार सहित घाटों पर पहुंच गए। साकची, भालुबासा, सोनारी, कदमा, सीतारामडेरा और बारीडीह घाट पर विशेष भीड़ उमड़ी रही। भक्तों ने भगवान श्रीहरि विष्णु और श्रीजगन्नाथ महाप्रभु की आराधना कर पवित्र स्नान किया। सुबह का समय ‘हरि-हरि बोल’ और ‘जय श्रीहरि’ के उद्घोष से गूंज उठा, जिससे पूरा शहर भक्तिमय वातावरण में डूब गया। श्रद्धालुओं ने स्नान के उपरांत व्रत-पूजा कर भगवान विष्णु की विशेष आराधना की और मोक्ष की कामना की। दान-पुण्य और दीपदान की परंपरा निभाई पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अन्न, कपड़े और दक्षिणा का दान कर पुण्य अर्जित किया। महिलाओं ने दीपदान कर परिवार की सुख-समृद्धि और शांति की प्रार्थना की। कई घाटों पर श्रद्धालुओं ने जल में दीप प्रवाहित किए, जिससे नदी तट दीपमालाओं से आलोकित हो उठा। भक्तिभाव से ओत-प्रोत इस माहौल में सामाजिक संस्थाओं ने भी अपनी सेवाएं दीं। श्रद्धालुओं को चाय, प्रसाद और पीने का पानी वितरित किया गया। युवाओं ने वृद्ध और महिलाओं को स्नान व पूजा में सहयोग दिया, जबकि स्वयंसेवी संगठनों ने घाटों की सफाई अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रशासन ने की पुख्ता व्यवस्था कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई थी। घाटों पर पुलिस बल, होमगार्ड, महिला सुरक्षा कर्मी और एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहीं। जमशेदपुर अक्षेस नगर निगम ने घाटों पर साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। इस दिन स्नान, दान और दीपदान से पापों का नाश होता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धा, सेवा और भक्ति के इस संगम से बुधवार को पूरा जमशेदपुर आस्था के रंग में रंगा नजर आया। बुधवार को कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर स्वर्णरेखा और खरखाई नदियों के घाटों पर आस्था और श्रद्धा का अभूतपूर्व संगम देखने को मिला। सूर्योदय से पहले ही हजारों श्रद्धालु परिवार सहित घाटों पर पहुंच गए। साकची, भालुबासा, सोनारी, कदमा, सीतारामडेरा और बारीडीह घाट पर विशेष भीड़ उमड़ी रही। भक्तों ने भगवान श्रीहरि विष्णु और श्रीजगन्नाथ महाप्रभु की आराधना कर पवित्र स्नान किया। सुबह का समय ‘हरि-हरि बोल’ और ‘जय श्रीहरि’ के उद्घोष से गूंज उठा, जिससे पूरा शहर भक्तिमय वातावरण में डूब गया। श्रद्धालुओं ने स्नान के उपरांत व्रत-पूजा कर भगवान विष्णु की विशेष आराधना की और मोक्ष की कामना की। दान-पुण्य और दीपदान की परंपरा निभाई पवित्र स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने अन्न, कपड़े और दक्षिणा का दान कर पुण्य अर्जित किया। महिलाओं ने दीपदान कर परिवार की सुख-समृद्धि और शांति की प्रार्थना की। कई घाटों पर श्रद्धालुओं ने जल में दीप प्रवाहित किए, जिससे नदी तट दीपमालाओं से आलोकित हो उठा। भक्तिभाव से ओत-प्रोत इस माहौल में सामाजिक संस्थाओं ने भी अपनी सेवाएं दीं। श्रद्धालुओं को चाय, प्रसाद और पीने का पानी वितरित किया गया। युवाओं ने वृद्ध और महिलाओं को स्नान व पूजा में सहयोग दिया, जबकि स्वयंसेवी संगठनों ने घाटों की सफाई अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रशासन ने की पुख्ता व्यवस्था कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए प्रशासन की ओर से सुरक्षा और स्वच्छता की विशेष व्यवस्था की गई थी। घाटों पर पुलिस बल, होमगार्ड, महिला सुरक्षा कर्मी और एनडीआरएफ की टीमें तैनात रहीं। जमशेदपुर अक्षेस नगर निगम ने घाटों पर साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था। इस दिन स्नान, दान और दीपदान से पापों का नाश होता है और विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। श्रद्धा, सेवा और भक्ति के इस संगम से बुधवार को पूरा जमशेदपुर आस्था के रंग में रंगा नजर आया।


