कल यानी 6 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले फेज की 121 सीटों पर वोटिंग होनी है। 11 नवंबर को दूसरे और आखिरी फेज में 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। कई वोटर्स के मन में सवाल है कि पोलिंग बूथ में क्या-क्या होता है। कैसे पता करें कि जिसे आपने वोट दिया है, उसी को वोट मिला है। अगर वोट डालने पहुंचे और पता चले कि आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है, तो क्या करें? वोटिंग डे से जुड़े ऐसे ही 11 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे… सवाल 1: मैं वोट डाल सकता हूं या नहीं? अगर हां, तो मेरा बूथ कौन सा है? जवाब: आपकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है और आपका नाम वोटर लिस्ट में है, तो आप वोट डाल सकते हैं। वोटर लिस्ट में नाम है या नहीं, यह जांचने के चार तरीके हैं… सवाल 2: क्या अपनी कार या बाइक से वोट डालने जा सकते हैं? जवाब: हां, आप अकेले या परिजनों के साथ अपने निजी वाहन से वोट डालने जा सकते हैं। ध्यान ये रखना है कि एक साथ 4 से ज्यादा लोग न हों। निषेधाज्ञा के चलते 4 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे रहने पर रोक होती है। बूथ के 100 या 200 मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग होती है। उसके अंदर वाहन ले जाने की मनाही होती है। सवाल 3: अगर वोटर आईडी कार्ड गुम हो गया है, तो वोट डाल सकते हैं या नहीं जवाब: बिल्कुल वोट डाल सकते हैं। इसके लिए वोटर लिस्ट में अपना नाम होना जरूरी है। अगर वोटर लिस्ट में नाम है तो आप कोई भी ऑथेंटिक ID कार्ड ले जा सकते हैं। ये याद रखें कि कैंडिडेट या उसके एजेंट आपकी फोटो वाली पर्ची देते हैं। उसे पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। नीचे जो दस्तावेज हैं, उनमें से कोई भी ले जा सकते हैं… सवाल 4: पोलिंग बूथ के अंदर क्या होगा? जवाब: आप पोलिंग स्टेशन के अंदर पहुंचेंगे। यदि भीड़ हुई तो आपको कुछ देर अपनी बारी का इंतजार करना होगा। बेहतर होगा कि आप सुबह सबसे पहला काम वोट देने का करें। पोलिंग स्टेशन में सबसे पहले वोटिंग पोलिंग बूथ प्रभारी आपका नाम वोटिंग लिस्ट में देखेंगे और आपके ID प्रूफ की जांच करेंगे। इस दौरान कैंडिडेट्स के पोलिंग एजेंट भी आपकी पहचान करेंगे। जरूरी नहीं कि वो हां या न बोलें। फर्जी वोटिंग रोकने के लिए इन्हें हर उम्मीदवार की ओर से फेयर वोटिंग के लिए बैठाया जाता है। दूसरे पोलिंग बूथ अधिकारी आपके लेफ्ट हैंड की इंडेक्स फिंगर पर जल्दी न मिटने वाली स्याही लगाएंगे। वो आपको एक स्लिप देंगे और एक रजिस्टर पर आपके दस्तखत लेंगे। इसे फॉर्म 17A कहा जाता है। यदि कोई वोटर स्याही लगवाने या दस्तखत करने से इनकार करता है, तो वो वोट नहीं डाल सकता है। जो दस्तखत नहीं कर सकता, वो अंगूठे का निशान लगा सकता है। यदि कोई वोटर दिव्यांग है और उसके दोनों हाथ या उंगलियां नहीं हैं, तो पैरों की उंगली में अमिट स्याही लगाई जाती है। आपको जो स्लिप दूसरे अधिकारी ने दी है वो स्लिप तीसरे पोलिंग बूथ अफसर के पास जमा करानी होगी। इस अफसर को स्याही लगी उंगली दिखानी पड़ेगी। फिर आप वोटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं, जो तीन तरफ से ढंकी हुई होती है। आप वहां पहुंचकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर पसंद के कैंडिडेट के चुनाव चिह्न के सामने बटन दबाकर अपना वोट डालेंगे। ऐसा करने पर आपको लंबी बीप का साउंड सुनाई देगा। इसका मतलब है कि आपका वोट पड़ चुका है। सवाल 5: क्या EVM पर बार-बार बटन दबाकर एक से अधिक बार वोट डाला जा सकता है? जवाब: ऐसा संभव नहीं है। एक बैलेट यूनिट पर केवल एक ही बार वोट करना संभव है। भले ही आप कितनी भी बार बटन दबाइए, वोट एक बार ही पड़ेगा। EVM तभी अगला वोट देने का अवसर देती है जब पीठासीन अधिकारी उसकी अनुमति दे, इसलिए हमेशा गंभीरता से सोच-समझकर अपना वोट डालना चाहिए। यदि आपने गलत वोट डाल दिया तो उसमें सुधार या दोबारा वोट डालने की कोई गुंजाइश नहीं है। सवाल 6: कैसे पता चलेगा कि मैंने जो वोट दिया है वो उसी कैंडिडेट को गया है या नहीं? जवाब: इसके लिए भी चुनाव आयोग ने एक मशीन रखी है। इसे VVPAT कहते हैं। ये ही कन्फर्म करेगी कि आपका वोट सही पड़ा है या नहीं। वोट डालने के बाद EVM के पास में ही एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT मशीन दिखाई देगी। इसमें ट्रांसपेरेंट विंडो में एक पर्ची दिखाई देगी। सीलबंद VVPAT बॉक्स में गिरने से पहले, कैंडिडेट के सीरियल नंबर, नाम और चुनाव चिह्न वाली पर्ची सात सेकेंड तक दिखाई देगी। इस पर्ची में उसी उम्मीदवार की जानकारी होगी जिसे आपने वोट दिया है। इसके बाद ये पर्ची सात सेकेंड बाद अपने आप बॉक्स में गिर जाएगी। ये पर्ची आपको दिखाई देगी, लेकिन आपको दी नहीं जाएगी। आप किसी भी कैंडिडेट को पसंद नहीं करते हैं तो नोटा बटन दबा सकते हैं। यह हमेशा EVM में लास्ट वाला बटन होता है। इसके बाद आप बाहर आएंगे और इस तरह आपकी वोटिंग कम्प्लीट हुई। पोलिंग सेंटर के अंदर या बाहर के तय दायरे में मोबाइल फोन, कैमरा या कोई अन्य गैजेट ले जाने की इजाजत नहीं है। वोटरों को प्रोत्साहित करने के लिए आपको पोलिंग बूथ के बाहर सेल्फी जोन मिल सकता है, जहां आप अपना फोटो क्लिक कर सकते हैं। सवाल 7: आपने जिसे वोट दिया और VVPAT ने किसी और की पर्ची दिखाई तो? जवाब: यदि ऐसा है तो वोटर लिखित में शिकायत दर्ज कराएगा। इसके बाद पीठासीन अधिकारी एक टेस्ट वोट करेगा। यदि वोटर का दावा सही पाया जाता है तो वोटिंग रोक दी जाएगी और रिटर्निंग ऑफिसर को सूचना देगा। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर जो कहेगा, उस आदेश का पालन करेगा। यदि वोटर का दावा गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई होगी। सवाल 8: वोट डालने में परेशानी आई तो किससे कहें? जवाब: यदि वोट डालने में कोई परेशानी आती है तो इसका समाधान पीठासीन अधिकारी करेंगे। पीठासीन अधिकारी के बाद अफसर 2 और 3 भी शिकायत सुनने और उसका समाधान करने के अधिकृत होंगे। ये अफसर पोलिंग बूथ के भीतर आ रही परेशानी को सुनने के लिए जिम्मेदार होंगे। सवाल 9: यदि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो क्या करें? जवाब: इसकी आशंका बेहद कम है। फिर भी यदि किसी ने आपका वोट डाल दिया है और आप पीठासीन अधिकारी को दस्तावेजों से साबित कर देते हैं कि आप ही सही वोटर हैं तो आपके लिए टेंडर वोटिंग की व्यवस्था की जाएगी। आप EVM से वोट नहीं कर सकते। आपको एक बैलेट यानी पेपर दिया जाएगा जिस पर सारे उम्मीदवारों के चिह्न और नाम होंगे। आप अपने पसंद का उम्मीदवार चुनकर लिफाफे रखकर उसे देंगे। पीठासीन अधिकारी उसे रख लेंगे। इसमें बाकी सारी प्रक्रिया वैसी ही होगी, जैसे EVM के समय होती, मसलन नाम चेक करना, अमिट स्याही लगाना। सवाल 10: अगर पोलिंग बूथ पर कुछ गड़बड़ दिखती है तो मैं इसकी शिकायत कहां करूं? जवाब: अगर पोलिंग बूथ पर आपको कोई एक्टिविटी नियमों के खिलाफ दिखती है तो आप इसकी सूचना पीठासीन अधिकारी, निर्वाचन आयोग की हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कर सकते हैं, लेकिन यहां आपको पहचान बतानी पड़ सकती है। अगर आप अपनी पहचान छिपाना चाहते हैं और तुरंत कार्रवाई चाहते हैं तो आपको सी-विजिल ऐप पर शिकायत करनी होगी। आप मौके से 20 मीटर की दूरी से इस ऐप के जरिए फोटो या वीडियो लेकर शिकायत कर सकते हैं। इलेक्शन कमीशन के वादे के अनुसार इस शिकायत पर 100 मिनट में एक्शन होगा और ये भी कन्फर्म होगा कि आपकी शिकायत पर कार्रवाई हो चुकी है। सवाल 11: वोटर्स के पास क्या-क्या अधिकार होते हैं? जवाब: भारत में वोट देने का अधिकार संवैधानिक अधिकार है। इसके अलावा वोटर्स को और भी अधिकार हैं। जानने का अधिकार: चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट के बारे में जानने का अधिकार। यह वोटर को संविधान की धारा 19 के तहत दिया गया है। इसके तहत ही वोटर कैंडिडेट के एफिडेविट के माध्यम से उसकी संपत्ति, क्रिमिनल रिकॉर्ड आदि की जानकारी पाते हैं। वोट न देने का अधिकार (नोटा): देश में वोट न देने का अधिकार भी दिया गया है। इसका मतलब ये नहीं है कि वो घर से वोट देने ही नहीं निकले। दरअसल वो नोटा का बटन दबाकर किसी को भी कैंडिडेट को न चुनने का अधिकार पाता है। बीमार या दिव्यांग वोटर: ऐसे मतदाता जो किसी फिजिकल डिसेबिलिटी या गंभीर बीमारी के कारण वोट डालने नहीं जा सकते, उन्हें पोस्टल बैलेट से वोट देने का अधिकार है। पीठासीन अधिकारी जाता है और सीलबंद लिफाफे में ये वोट लाता है। चुनाव अधिकारी घर आकर भी बुजुर्गों और दिव्यांगों के वोट कलेक्ट करते हैं। टेंडर वोट: किसी व्यक्ति का पहले से ही वोट डाला जा चुका है तो वह टेंडर वोट डालने का अधिकार रखता है। इसकी डिटेल हमने ऊपर दी है। कल यानी 6 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पहले फेज की 121 सीटों पर वोटिंग होनी है। 11 नवंबर को दूसरे और आखिरी फेज में 122 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। कई वोटर्स के मन में सवाल है कि पोलिंग बूथ में क्या-क्या होता है। कैसे पता करें कि जिसे आपने वोट दिया है, उसी को वोट मिला है। अगर वोट डालने पहुंचे और पता चले कि आपका वोट पहले ही किसी ने डाल दिया है, तो क्या करें? वोटिंग डे से जुड़े ऐसे ही 11 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे… सवाल 1: मैं वोट डाल सकता हूं या नहीं? अगर हां, तो मेरा बूथ कौन सा है? जवाब: आपकी उम्र 18 साल या उससे ज्यादा है और आपका नाम वोटर लिस्ट में है, तो आप वोट डाल सकते हैं। वोटर लिस्ट में नाम है या नहीं, यह जांचने के चार तरीके हैं… सवाल 2: क्या अपनी कार या बाइक से वोट डालने जा सकते हैं? जवाब: हां, आप अकेले या परिजनों के साथ अपने निजी वाहन से वोट डालने जा सकते हैं। ध्यान ये रखना है कि एक साथ 4 से ज्यादा लोग न हों। निषेधाज्ञा के चलते 4 से ज्यादा लोगों के इकट्ठे रहने पर रोक होती है। बूथ के 100 या 200 मीटर के दायरे में बैरिकेडिंग होती है। उसके अंदर वाहन ले जाने की मनाही होती है। सवाल 3: अगर वोटर आईडी कार्ड गुम हो गया है, तो वोट डाल सकते हैं या नहीं जवाब: बिल्कुल वोट डाल सकते हैं। इसके लिए वोटर लिस्ट में अपना नाम होना जरूरी है। अगर वोटर लिस्ट में नाम है तो आप कोई भी ऑथेंटिक ID कार्ड ले जा सकते हैं। ये याद रखें कि कैंडिडेट या उसके एजेंट आपकी फोटो वाली पर्ची देते हैं। उसे पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। नीचे जो दस्तावेज हैं, उनमें से कोई भी ले जा सकते हैं… सवाल 4: पोलिंग बूथ के अंदर क्या होगा? जवाब: आप पोलिंग स्टेशन के अंदर पहुंचेंगे। यदि भीड़ हुई तो आपको कुछ देर अपनी बारी का इंतजार करना होगा। बेहतर होगा कि आप सुबह सबसे पहला काम वोट देने का करें। पोलिंग स्टेशन में सबसे पहले वोटिंग पोलिंग बूथ प्रभारी आपका नाम वोटिंग लिस्ट में देखेंगे और आपके ID प्रूफ की जांच करेंगे। इस दौरान कैंडिडेट्स के पोलिंग एजेंट भी आपकी पहचान करेंगे। जरूरी नहीं कि वो हां या न बोलें। फर्जी वोटिंग रोकने के लिए इन्हें हर उम्मीदवार की ओर से फेयर वोटिंग के लिए बैठाया जाता है। दूसरे पोलिंग बूथ अधिकारी आपके लेफ्ट हैंड की इंडेक्स फिंगर पर जल्दी न मिटने वाली स्याही लगाएंगे। वो आपको एक स्लिप देंगे और एक रजिस्टर पर आपके दस्तखत लेंगे। इसे फॉर्म 17A कहा जाता है। यदि कोई वोटर स्याही लगवाने या दस्तखत करने से इनकार करता है, तो वो वोट नहीं डाल सकता है। जो दस्तखत नहीं कर सकता, वो अंगूठे का निशान लगा सकता है। यदि कोई वोटर दिव्यांग है और उसके दोनों हाथ या उंगलियां नहीं हैं, तो पैरों की उंगली में अमिट स्याही लगाई जाती है। आपको जो स्लिप दूसरे अधिकारी ने दी है वो स्लिप तीसरे पोलिंग बूथ अफसर के पास जमा करानी होगी। इस अफसर को स्याही लगी उंगली दिखानी पड़ेगी। फिर आप वोटिंग रूम की तरफ बढ़ते हैं, जो तीन तरफ से ढंकी हुई होती है। आप वहां पहुंचकर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर पसंद के कैंडिडेट के चुनाव चिह्न के सामने बटन दबाकर अपना वोट डालेंगे। ऐसा करने पर आपको लंबी बीप का साउंड सुनाई देगा। इसका मतलब है कि आपका वोट पड़ चुका है। सवाल 5: क्या EVM पर बार-बार बटन दबाकर एक से अधिक बार वोट डाला जा सकता है? जवाब: ऐसा संभव नहीं है। एक बैलेट यूनिट पर केवल एक ही बार वोट करना संभव है। भले ही आप कितनी भी बार बटन दबाइए, वोट एक बार ही पड़ेगा। EVM तभी अगला वोट देने का अवसर देती है जब पीठासीन अधिकारी उसकी अनुमति दे, इसलिए हमेशा गंभीरता से सोच-समझकर अपना वोट डालना चाहिए। यदि आपने गलत वोट डाल दिया तो उसमें सुधार या दोबारा वोट डालने की कोई गुंजाइश नहीं है। सवाल 6: कैसे पता चलेगा कि मैंने जो वोट दिया है वो उसी कैंडिडेट को गया है या नहीं? जवाब: इसके लिए भी चुनाव आयोग ने एक मशीन रखी है। इसे VVPAT कहते हैं। ये ही कन्फर्म करेगी कि आपका वोट सही पड़ा है या नहीं। वोट डालने के बाद EVM के पास में ही एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT मशीन दिखाई देगी। इसमें ट्रांसपेरेंट विंडो में एक पर्ची दिखाई देगी। सीलबंद VVPAT बॉक्स में गिरने से पहले, कैंडिडेट के सीरियल नंबर, नाम और चुनाव चिह्न वाली पर्ची सात सेकेंड तक दिखाई देगी। इस पर्ची में उसी उम्मीदवार की जानकारी होगी जिसे आपने वोट दिया है। इसके बाद ये पर्ची सात सेकेंड बाद अपने आप बॉक्स में गिर जाएगी। ये पर्ची आपको दिखाई देगी, लेकिन आपको दी नहीं जाएगी। आप किसी भी कैंडिडेट को पसंद नहीं करते हैं तो नोटा बटन दबा सकते हैं। यह हमेशा EVM में लास्ट वाला बटन होता है। इसके बाद आप बाहर आएंगे और इस तरह आपकी वोटिंग कम्प्लीट हुई। पोलिंग सेंटर के अंदर या बाहर के तय दायरे में मोबाइल फोन, कैमरा या कोई अन्य गैजेट ले जाने की इजाजत नहीं है। वोटरों को प्रोत्साहित करने के लिए आपको पोलिंग बूथ के बाहर सेल्फी जोन मिल सकता है, जहां आप अपना फोटो क्लिक कर सकते हैं। सवाल 7: आपने जिसे वोट दिया और VVPAT ने किसी और की पर्ची दिखाई तो? जवाब: यदि ऐसा है तो वोटर लिखित में शिकायत दर्ज कराएगा। इसके बाद पीठासीन अधिकारी एक टेस्ट वोट करेगा। यदि वोटर का दावा सही पाया जाता है तो वोटिंग रोक दी जाएगी और रिटर्निंग ऑफिसर को सूचना देगा। इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर जो कहेगा, उस आदेश का पालन करेगा। यदि वोटर का दावा गलत पाया जाता है तो उसके खिलाफ जांच के बाद कार्रवाई होगी। सवाल 8: वोट डालने में परेशानी आई तो किससे कहें? जवाब: यदि वोट डालने में कोई परेशानी आती है तो इसका समाधान पीठासीन अधिकारी करेंगे। पीठासीन अधिकारी के बाद अफसर 2 और 3 भी शिकायत सुनने और उसका समाधान करने के अधिकृत होंगे। ये अफसर पोलिंग बूथ के भीतर आ रही परेशानी को सुनने के लिए जिम्मेदार होंगे। सवाल 9: यदि किसी ने आपका वोट पहले ही डाल दिया है तो क्या करें? जवाब: इसकी आशंका बेहद कम है। फिर भी यदि किसी ने आपका वोट डाल दिया है और आप पीठासीन अधिकारी को दस्तावेजों से साबित कर देते हैं कि आप ही सही वोटर हैं तो आपके लिए टेंडर वोटिंग की व्यवस्था की जाएगी। आप EVM से वोट नहीं कर सकते। आपको एक बैलेट यानी पेपर दिया जाएगा जिस पर सारे उम्मीदवारों के चिह्न और नाम होंगे। आप अपने पसंद का उम्मीदवार चुनकर लिफाफे रखकर उसे देंगे। पीठासीन अधिकारी उसे रख लेंगे। इसमें बाकी सारी प्रक्रिया वैसी ही होगी, जैसे EVM के समय होती, मसलन नाम चेक करना, अमिट स्याही लगाना। सवाल 10: अगर पोलिंग बूथ पर कुछ गड़बड़ दिखती है तो मैं इसकी शिकायत कहां करूं? जवाब: अगर पोलिंग बूथ पर आपको कोई एक्टिविटी नियमों के खिलाफ दिखती है तो आप इसकी सूचना पीठासीन अधिकारी, निर्वाचन आयोग की हेल्पलाइन नंबर 1950 पर कर सकते हैं, लेकिन यहां आपको पहचान बतानी पड़ सकती है। अगर आप अपनी पहचान छिपाना चाहते हैं और तुरंत कार्रवाई चाहते हैं तो आपको सी-विजिल ऐप पर शिकायत करनी होगी। आप मौके से 20 मीटर की दूरी से इस ऐप के जरिए फोटो या वीडियो लेकर शिकायत कर सकते हैं। इलेक्शन कमीशन के वादे के अनुसार इस शिकायत पर 100 मिनट में एक्शन होगा और ये भी कन्फर्म होगा कि आपकी शिकायत पर कार्रवाई हो चुकी है। सवाल 11: वोटर्स के पास क्या-क्या अधिकार होते हैं? जवाब: भारत में वोट देने का अधिकार संवैधानिक अधिकार है। इसके अलावा वोटर्स को और भी अधिकार हैं। जानने का अधिकार: चुनाव लड़ने वाले कैंडिडेट के बारे में जानने का अधिकार। यह वोटर को संविधान की धारा 19 के तहत दिया गया है। इसके तहत ही वोटर कैंडिडेट के एफिडेविट के माध्यम से उसकी संपत्ति, क्रिमिनल रिकॉर्ड आदि की जानकारी पाते हैं। वोट न देने का अधिकार (नोटा): देश में वोट न देने का अधिकार भी दिया गया है। इसका मतलब ये नहीं है कि वो घर से वोट देने ही नहीं निकले। दरअसल वो नोटा का बटन दबाकर किसी को भी कैंडिडेट को न चुनने का अधिकार पाता है। बीमार या दिव्यांग वोटर: ऐसे मतदाता जो किसी फिजिकल डिसेबिलिटी या गंभीर बीमारी के कारण वोट डालने नहीं जा सकते, उन्हें पोस्टल बैलेट से वोट देने का अधिकार है। पीठासीन अधिकारी जाता है और सीलबंद लिफाफे में ये वोट लाता है। चुनाव अधिकारी घर आकर भी बुजुर्गों और दिव्यांगों के वोट कलेक्ट करते हैं। टेंडर वोट: किसी व्यक्ति का पहले से ही वोट डाला जा चुका है तो वह टेंडर वोट डालने का अधिकार रखता है। इसकी डिटेल हमने ऊपर दी है।


