इंदौर में आज से तीन दिनी ADDICON-2025:नशे से जुड़ी बढ़ती समस्याओं पर होगा फोकस; देश-विदेश के डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स लेंगे हिस्सा

इंदौर में आज से तीन दिनी ADDICON-2025:नशे से जुड़ी बढ़ती समस्याओं पर होगा फोकस; देश-विदेश के डॉक्टर्स और एक्सपर्ट्स लेंगे हिस्सा

इंदौर में 5 नंवबर से प्राइड होटल एंड कन्वेंशन सेंटर में तीन दिनी ADDICON-2025 इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस आयोजित की जा रही है। इस वर्ष की ‘थीम वर्तमान में रणनीतियों, नीतियों और दृष्टिकोण के माध्यम से नशे की बढ़ती समस्या से निपटना’ रखी गई है। भारतीय मनोचिकित्सा सोसायटी की कॉन्फ्रेंस में देश-विदेश के प्रमुख डॉक्टर, मनोचिकित्सक, शोधकर्ता और नीति-निर्माता एक साथ मिलकर नशे से जुड़ी चुनौतियों, उसके इलाज और रोकथाम के बेहतर रास्तों पर चर्चा करेंगे। आयोजन समिति के सदस्य अध्यक्ष डॉ. रामगुलाम राजदान ने बताया कि ADDICON-2025 का उद्देश्य नशे की समस्या को केवल इलाज तक सीमित न रखकर, समाज, नीति और जागरूकता इन तीनों स्तरों पर समझना और समाधान खोजना है। डॉ. राजदान ने बताया कि नशा केवल मेडिकल ट्रीटमेंट का मामला नहीं है, यह सामाजिक और मानवीय जिम्मेदारी का विषय भी है। हमें विज्ञान और संवेदना दोनों के साथ आगे बढ़ना होगा। ADDICON-2025 इसी दिशा में एक कदम है, जहां विशेषज्ञ मिलकर इस समस्या के स्थायी समाधान पर विचार करेंगे। कॉन्फ्रेंस में ये विशेषज्ञ होंगे शामिल
कॉन्फ्रेंस में देश और विदेश के कई प्रसिद्ध विशेषज्ञ शामिल होंगे। इनमें प्रमुख डॉ. सविता मल्होत्रा, (अध्यक्ष – इंडियन साइकाइट्रिक सोसाइटी और पूर्व डीन, पीजीआई चंडीगढ़), प्रो. जॉन बी. सॉन्डर्स, (WHO से जुड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर के नशा उपचार विशेषज्ञ, ऑस्ट्रेलिया), प्रो. अतुल अंबेकर, (मनोचिकित्सा विभाग, एम्स नई दिल्ली), प्रो. पीके दलाल, (पूर्व विभागाध्यक्ष, किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ), प्रो. टीएसएश राव (प्रमुख, जेएसएस मेडिकल कॉलेज, मैसूर) और डॉ. श्याम सुंदर, (NIMHANS बेंगलुरू) हैं। ये एक्सपर्ट्स बच्चों और किशोरों में नशे की प्रवृत्ति, मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर, और नशे से जुड़ी नीतियों पर अपने विचार साझा करेंगे। पहले दिन इन विषय पर होगी चर्चा
कॉन्फ्रेंस के पहले दिन का आरंभ रजिस्ट्रेशन और उद्घाटन समारोह के साथ होगा। इसके बाद डॉ. सविता मल्होत्रा ‘बच्चों और किशोरों में नशे की समस्या एवं पर्यावरणीय प्रभाव’ विषय पर उद्घाटन व्याख्यान देंगी। फिर प्रो. जॉन बी. सॉन्डर्स डब्ल्यूएचओ के 50 वर्षों के अनुभव, नशे और एडिक्शन से जुड़ी चुनौतियों पर अपने विचार साझा करेंगे। इस दौरान ‘प्साइकेडेलिक ड्रग्स: इलाज का साधन या नशे का नया रूप’ पर होगा, जिसमें एनआईएमएचएएनएस, बेंगलुरु के विशेषज्ञ अपने शोध प्रस्तुत करेंगे। दोपहर के सेशन में ‘क्या भारत ने ऑनलाइन मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाकर सही कदम लिया’ विषय पर एक विचार-विमर्श होगा। साथ ही विभिन्न संगोष्ठियों में नशे के पर्यावरणीय कारणों, नशामुक्ति नर्सिंग देखभाल, और उपचार में उभरती नई तकनीकों जैसे विषयों पर विशेषज्ञों द्वारा प्रेजेंटेशन दिए जाएंगे। ​​​ पहले दिन का समापन एम्स दिल्ली के डॉ. अश्विनी मिश्रा और डॉ. सिद्धार्थ सरकार द्वारा “रिसर्च पेपर कैसे लिखें” पर आयोजित वर्कशॉप से होगा।

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