लखनऊ एससी/एसटी एक्ट के दुरुपयोग से जुड़ा एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) विवेकानंद शरण त्रिपाठी की अदालत ने लखनऊ के अधिवक्ता परमानंद गुप्ता को फर्जी मुकदमा दर्ज कराने के मामले में कुल 5 वर्ष की सजा और ₹45,000 जुर्माने से दंडित किया है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि “यह मुकदमा सत्य की खोज की एक यात्रा थी, जिसमें यह स्पष्ट हुआ कि पूरी कहानी काल्पनिक थी और अभियुक्तों व कथित पीड़िता को एक ‘शातिर वकील’ ने कठपुतली की तरह इस्तेमाल किया।”इससे पहले एससी-एसटी कोर्ट ने 19 अगस्त को आजीवन कारावास की सजा एडवोकेट परमानंद गुप्ता को सुनाई थी। फर्जी एफआईआर का खेल-कोर्ट में खुली साजिश की परतें थाना चिनहट, लखनऊ में दर्ज मुकदमा saal 2023 में वादिनी पूजा रावत ने आरोप लगाया था कि विपिन यादव, राम गोपाल यादव, मोहम्मद तासुक, और भागीरथ पंडित ने उसके साथ मारपीट, छेड़छाड़ और जातिसूचक गालियां दीं। मामला धारा 406, 354, 504, 506 भादंसं व धारा 3(2)5ए एससी/एसटी एक्ट में दर्ज किया गया था। लेकिन, सुनवाई के दौरान जब पीड़िता खुद अदालत में पेश हुई तो उसने चौंकाने वाला खुलासा किया उसने कहा, “मेरे साथ कोई ऐसी घटना नहीं हुई थी। अधिवक्ता परमानंद गुप्ता ने मेरे दस्तावेज़ लेकर उनका दुरुपयोग करते हुए यह फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था।” कोर्ट ने कहा – ‘न्याय प्रक्रिया के साथ छल’ अदालत ने अपने निर्णय में कहा कि अधिवक्ता परमानंद गुप्ता ने न केवल निर्दोष लोगों को फंसाने का षड्यंत्र किया, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता को भी कलंकित किया। न्यायालय ने टिप्पणी की “वादिनी और अभियुक्त दोनों ही इस मामले में कठपुतलियां थीं, असली सूत्रधार अधिवक्ता था जिसने एससी/एसटी एक्ट की भावना को तोड़-मरोड़ कर झूठा मुकदमा गढ़ा।” कोर्ट का सख्त संदेश-फर्जी मुकदमों पर लगेगा अंकुश न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि फर्जी एफआईआर दर्ज कराने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए और इस तरह के मामलों में राहत राशि केवल आरोपपत्र दाखिल होने के बाद ही दी जाए, ताकि एक्ट का दुरुपयोग रोका जा सके। इसके अलावा जिलाधिकारी लखनऊ को आदेश दिया गया कि पूजा रावत को दी गई ₹75,000 की राहत राशि परमानंद गुप्ता से वसूल की जाए। अधिवक्ता पर प्रदेशभर में प्रैक्टिस बैन की अनुशंसा कोर्ट ने कहा कि अधिवक्ता परमानंद गुप्ता जैसे लोगों से न्यायपालिका की साख को नुकसान पहुंचता है। इसलिए निर्णय की प्रति बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद को भेजी गई है ताकि उनकी वकालत पर प्रतिबंध लगाया जा सके। वादिनी को भी चेतावनी न्यायालय ने वादिनी पूजा रावत को चेतावनी दी कि यदि भविष्य में वह झूठे मुकदमे दर्ज कराकर एससी/एसटी एक्ट का दुरुपयोग करती है तो उसके खिलाफ भी कठोर कार्रवाई की जाएगी।


