मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट्स से ट्रस्टी पद छोड़ा:रतन टाटा के आदर्शों का हवाला दिया, विवाद से बचाव के लिए फैसला लिया

मेहली मिस्त्री ने टाटा ट्रस्ट्स से ट्रस्टी पद छोड़ा:रतन टाटा के आदर्शों का हवाला दिया, विवाद से बचाव के लिए फैसला लिया

रतन टाटा के करीबी रहे मेहली मिस्री ने टाटा ट्रस्ट्स के तीन ट्रस्टों से इस्तीफा दे दिया है। इसमें सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और बाई हीराबाई जे.एन. टाटा नावसारी चैरिटेबल इंस्टीट्यूशन ट्रस्ट शामिल है। 4 नवंबर को एक लेटर में उन्होंने इसकी जानकारी दी। बीते दिनों टाटा ट्रस्ट्स के प्रमुख चैरिटी आर्म्स में मिस्री के रिअपॉइंटमेंट को लेकर वोटिंग हुई थी। इसमें तीन ट्रस्ट्रीज नोएल टाटा, वेणु श्रीनिवासन और विजय सिंह ने उनके री-अपॉइंटमेंट के खिलाफ वोट डाला था। मिस्त्री का कार्यकाल 28 अक्टूबर को खत्म हो रहा था। इस्तीफे की मुख्य वजह: विवाद से बचाव मिस्त्री ने अपने लेटर में बताया कि मुंबई लौटने पर उन्हें अपनी ट्रस्टीशिप को लेकर हाल की उन खबरों का पता चला। उनका ये पत्र उन अटकलें भरी रिपोर्ट्स पर रोक लगाने में मदद करेगा, जो टाटा ट्रस्ट्स के फायदे में नहीं हैं और इसके विजन के खिलाफ हैं। उन्होंने लिखा- रतन एन टाटा के विजन के प्रति मेरे समर्पण में ये भी जिम्मेदारी निभाना शामिल है कि टाटा ट्रस्ट्स को किसी विवाद में न धकेला जाए। मेरा मानना है कि चीजों को और उलझाने से टाटा ट्रस्ट्स की साख को ऐसा नुकसान होगा जो कभी ठीक नहीं हो सकेगा। अपने पत्र के अंत में उन्होंने रतन टाटा का एक कोट भी याद किया, “नोबॉडी इज बिगर दैन द इंस्टीट्यूशन इट सर्व्स। यानी, कोई भी संस्था से बड़ा नहीं होता जिसकी वो सेवा करता है। आगे का रोडमैप: ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल से जुड़े रहेंगे मिस्त्री अब भी टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट (TEDT) और ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल से जुड़े रहेंगे, जहां टाटा ग्रुप ने हाल ही में CSR फंड्स से 500 करोड़ डोनेट किए। रतन टाटा के निधन के बाद नोएल टाटा ने चेयरमैनशिप संभाली और तब से ट्रस्ट्स में कंसॉलिडेशन हो रहा है। टाटा संस के 66% शेयर कंट्रोल करता है टाटा ट्रस्ट टाटा ट्रस्ट्स में सर रतन टाटा ट्रस्ट समेत कुछ और ट्रस्ट्स है। ये ट्रस्ट्स टाटा संस के 66% शेयर कंट्रोल करते हैं। टाटा संस में TCS, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां है। मिस्त्री 2022 से सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टी थे। ये दोनों मुख्य ट्रस्ट्स मिलकर टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 51% हिस्सेदारी रखते हैं। इनके पास टाटा संस के बोर्ड में एक-तिहाई सदस्यों को नॉमिनेट करने का हक है। विजय सिंह को टाटा संस के बोर्ड से हटाने से शुरू हुआ विवाद श्रीनिवासन की बहाली को मिस्त्री ने शर्त के साथ मंजूरी दी थी मिस्त्री ने पिछले हफ्ते श्रीनिवासन की सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी और वाइस चेयरमैन के तौर पर बहाली को शर्त के साथ मंजूरी दी थी। उन्होंने एक ईमेल में कहा था- अगर कोई ट्रस्टी वेणु श्रीनिवासन की बहाली वाला रेजोल्यूशन पास न करे या बाकी ट्रस्टीज के लिए वैसा ही एकमत रेजोल्यूशन न लाए जब उनके टर्म खत्म होंगे, तो मैं श्रीनिवासन की बहाली को अपनी औपचारिक मंजूरी नहीं दूंगा। साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं मेहली मिस्त्री मिस्त्री एम पलॉन्जी ग्रुप के प्रमोटर हैं, जिसमें इंडस्ट्रियल पेंटिंग, शिपिंग, ड्रेजिंग, कार डीलरशिप जैसे बिजनेस हैं। उनकी कंपनी स्टरलिंग मोटर्स टाटा मोटर्स की डीलर है। मिस्त्री शापूरजी मिस्त्री और उनके दिवंगत भाई साइरस मिस्त्री के चचेरे भाई हैं। शापूरजी पलॉन्जी ग्रुप के पास टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है। टाटा ट्रस्ट्स के ट्रस्टीज को मेहली मिस्त्री का लिखा पूरा लेटर पढ़े… प्रिय चेयरमैन, ट्रस्टी के तौर पर सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात रही है। ये मौका मुझे मिला तो इसलिए क्योंकि दिवंगत श्री रतन एन टाटा ने खुद मुझे चुना था। वे मेरे सबसे करीबी दोस्त और मार्गदर्शक थे, और उन्हें पूरा भरोसा था कि मैं उनके आदर्शों के प्रति हमेशा समर्पित रहूंगा। लेकिन मुंबई लौटने पर कल रात मुझे टाटा ट्रस्ट्स में अपनी ट्रस्टीशिप को लेकर हाल की उन खबरों का पता चला। मेरा मानना है कि ये पत्र उन अटकलें भरी खबरों पर रोक लगाने में मदद करेगा, जो टाटा ट्रस्ट्स के हितों की सेवा नहीं करतीं और इसके विजन के खिलाफ हैं। टाटा ट्रस्ट्स हमेशा से ईमानदारी और राष्ट्रसेवा के पर्याय रहे हैं। ट्रस्टी के रूप में सेवा करना मेरे लिए सम्मान की बात थी, जो मुझे श्री रतन एन टाटा ने दिया था, और ये 28 अक्टूबर 2025 तक चली। टाटा ट्रस्ट्स के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाते हुए मैं उनके विजन से प्रेरित रहा हूं- ईमानदार शासन चलाने, चुपचाप दान-पुण्य करने और पूरी ईमानदारी का विचार। श्री रतन एन टाटा के विजन के प्रति मेरा समर्पण ये भी जिम्मेदारी निभाना शामिल करता है कि टाटा ट्रस्ट्स को किसी विवाद में न धकेला जाए। मेरा विश्वास है कि चीजों को और उलझाने से टाटा ट्रस्ट्स की साख को ऐसा नुकसान होगा, जो कभी ठीक नहीं हो सकेगा। इसलिए, श्री रतन एन टाटा की भावना में- जो हमेशा अपना हित सार्वजनिक हित से पहले रखते थे-मैं उम्मीद करता हूं कि आगे चलकर बाकी ट्रस्टीज के कदम पारदर्शिता, अच्छी शासन व्यवस्था और सार्वजनिक हित के सिद्धांतों से निर्देशित होंगे। मैं विदा लेते हुए वो कोट दोहरा रहा हूं जो श्री रतन एन टाटा अक्सर मुझसे कहते थे, “कोई भी संस्था से बड़ा नहीं होता जिसकी वो सेवा करता है।” आपका विश्वासपात्र, मेहली के एम मिस्त्री

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