बलरामपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठ गए हैं। यहां भगवतीगंज चौराहे स्थित एसपीएम हॉस्पिटल को एक प्रसूता की मौत के बाद सील कर दिया गया। यह अस्पताल बिना पंजीकरण और मानक सुविधाओं के संचालित हो रहा था। शंकरपुर निवासी पवन कश्यप की पत्नी शीला का सीजेरियन ऑपरेशन के बाद निधन हो गया। परिजनों ने ऑपरेशन करने वाली महिला सर्जन डॉ. मेधावी सिंह पर लापरवाही का आरोप लगाया है। घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए एसपीएम हॉस्पिटल को तत्काल सील कर दिया। हालांकि, अस्पताल संचालक डॉ. शिवकुमार और डॉ. मेधावी सिंह के खिलाफ अभी तक कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। अस्पताल के साइन बोर्ड पर सरकारी चिकित्सक की फोटो लगाकर मरीजों को भ्रमित किया जा रहा था। संचालक डॉ. शिवकुमार के पिता पूर्व में औषधि लिपिक थे। आरोप है कि विभागीय मिलीभगत के कारण यह अस्पताल लंबे समय से बिना रोक-टोक चल रहा था। यह जिले में ऐसी पहली घटना नहीं है। कुछ माह पूर्व पचपेड़वा क्षेत्र के मिशा हेल्थ केयर सेंटर में ऑपरेशन के दौरान रहीमुन्निशा नामक महिला की मौत हुई थी। उस समय स्वास्थ्य विभाग ने फातिमा पाली क्लीनिक, पूर्वांचल हेल्थ केयर सेंटर, चंद्रा मौर्या क्लीनिक और बलरामपुर आर्थो-यूरो सेंटर सहित कई अवैध क्लीनिकों को सील किया था। सीएमओ डॉ. मुकेश कुमार रस्तोगी ने बताया कि हाल के महीनों में कई अवैध नर्सिंग होम और अल्ट्रासाउंड सेंटरों को बंद कराया गया है। उन्होंने कहा कि एसपीएम हॉस्पिटल मामले में कानूनी कार्रवाई जारी है और जिले में जल्द ही एक व्यापक अभियान चलाया जाएगा। हालांकि, यह सवाल उठ रहा है कि ऐसी कार्रवाई किसी अप्रिय घटना के बाद ही क्यों होती है और अवैध अस्पतालों पर पहले से रोक क्यों नहीं लगाई जाती।


