भिवानी जिले के ईशरवाल गांव में सोमवार को किसानों ने अपने खेतों में हाईटेंशन बिजली के तार बिछाने और गड्ढे खोदने के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। किसानों के दबाव के बाद क्लीनमैक्स कंपनी को तुरंत काम रोकना पड़ा। किसानों का आरोप है कि कंपनी बिना उनकी सहमति और उचित मुआवजे के निजी भूमि पर काम कर रही थी, जिससे खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा। सरसों की फसल को नुकसान गांव खावा से ईशरवाल तक हाईटेंशन लाइन बिछाने का कार्य चल रहा था। इस दौरान रमेश पुत्र उमेद सिंह के खेत में जेसीबी मशीन से गड्ढे खोदकर टावर लगाने का काम किया जा रहा था। खेत में सरसों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचने पर किसानों में आक्रोश फैल गया। सूचना मिलते ही ग्राम स्वराज किसान मोर्चा के पदाधिकारी और आसपास के किसान मौके पर पहुंचे और काम रुकवा दिया। पुलिस ने दबाव बनाने की कोशिश की किसानों के विरोध के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस प्रशासन ने कंपनी का काम जारी रखने का प्रयास किया, लेकिन किसानों की एकजुटता के आगे प्रशासन को झुकना पड़ा। भारी विरोध के बीच क्लीनमैक्स कंपनी को अपना कार्य रोकना पड़ा। किसानों की जमीन पर डाका- युद्धवीर ग्राम स्वराज किसान मोर्चा के युवा प्रदेश अध्यक्ष युद्धवीर मंगल सिंह खरेटा ने इस कार्रवाई को किसानों की जमीन पर “डाका” बताया। उन्होंने कहा कि कंपनियों को बिना पूर्व सूचना और उचित मुआवजे के किसानों की खड़ी फसल को नुकसान पहुंचाने का कोई अधिकार नहीं है। खरेटा ने सवाल उठाया कि प्रशासन निजी कंपनियों के हित में किसानों पर दबाव क्यों बना रहा है। बिना मुआवजे काम शुरू हुआ तो होगा बड़ा आंदोलन खरेटा ने चेतावनी दी कि यदि किसानों की सहमति और नियमानुसार मुआवजा दिए बिना दोबारा ऐसा कार्य शुरू किया गया, तो ग्राम स्वराज किसान मोर्चा बड़ा आंदोलन शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि किसानों की जोत पहले से ही छोटी है, ऐसे में उपजाऊ जमीन पर कब्जा करना उनके जीवन पर सीधा प्रहार है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि किसानों की फसलों और जमीन के नुकसान का उचित हर्जाना सुनिश्चित किया जाए। मौके पर जुटे सैकड़ों किसान इस विरोध प्रदर्शन में सुशील, अमरजीत, संदीप, मुकेश बंसल बीडीसी, मुकेश सेठ, सचिन राव, महेंद्र, कर्ण सिंह जैनावास, राजेश सिहाग, पवन बूरा, विनोद ईशरवाल, लीला ईशरवाल, युवराज, साधुराम, काला और मनीष ईशरवाल सहित बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे। किसानों ने एक स्वर में कहा कि वे अपनी जमीन और फसल की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं।


