30 अक्टूबर को दोपहर के ढाई बज रहे थे। दुलारचंद मोकामा के बसवानचक गांव में कैंपेनिंग कर रहे थे। अचानक फोन की घंटी बजी। दूसरी कॉल पर दुलारचंद का भतीजा था। बोला-अनंत सिंह गांव में घूम रहे हैं। पड़ोस में बैठकर नाश्ता कर रहे हैं। भोज में शामिल हो रहे हैं…। फोन कटते ही दुलारचंद तमतमाकर पीयूष से बोले -विधायकवा (अनंत सिंह) गांव में घूम–घूमकर वोट काट रहा है। काफिला मोड़-गांव में चलना है। बस क्या था, दुलार का इतना कहना-पीयूष का काफिला तारतार गांव की तरफ चल दिया। दुलारचंद को लगा विधायक उनके घर में जाकर, उनके ही वोट वोट बैंक में सेंधमारी कर रहा है। बस इसी एक कॉल ने अनंत सिंह और पीयूष के काफिले को आमने-सामने लाकर खूनी संघर्ष में बदल दिया। भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में पढ़िए और देखिए मोकामा मर्डर मिस्ट्री पर एक और बड़ा खुलासा…। दुलारचंद के गांव में भोज से वोट साध रहे थे अनंत दैनिक भास्कर की टीम मोकामा हत्याकांड के पीछे की वजह खंगालने में जुटी थी। इस दौरान दुलारचंद के गांव तारतर में हमारी मुलाकात फास्ट फूड का स्टॉल लगाने वाले छोटू से हुई। छोटू ने कई अहम राज बताए, जिससे हमारी इन्वेस्टिगेशन आगे बढ़ी। ऑन कैमरा छोटू कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन ऑफ कैमरा उसने अनंत सिंह से जुड़े कई राज खोले हैं। मैं दुकान के पास खड़ा था। इस बीच अनंत सिंह का काफिला गुजर रहा था। मैं भी काफिले में शामिल हो गया। काफिला पहले दुलारचंद के भतीजे मौली यादव के घर पहुंचा। यहां विधायक जी ने नाश्ता किया और वोट की बात करने लगे। यहां लगभग 15 मिनट बिताने के बाद अनंत सिंह ने गाड़ी वहीं छोड़ दी और पैदल जनसंपर्क करने लगे। ऐसा पहली बार हुआ, जब अनंत सिंह यहां पैदल चलकर जनसंपर्क कर रहे थे। वह दुलारचंद के घर के आसपास काफी देर तक घूमते रहे। दुलारचंद के घर से 200 मीटर की दूरी पर दयानंद के घर मुंडन का भोज चल रहा था। दयानंद ने एक साथ अपने 2 लड़कों का मुंडन कराया था। गांव वालों को उसने इसका भोज दिया था। इस भोज में विधायक जी (अनंत सिंह) को भी निमंत्रण था। विधायक जी ने काफिले को सड़क पर रोक दिया और 3 से 4 समर्थकों के साथ दयानंद के घर पहुंच गए। मैं भी विधायक जी के पीछे-पीछे दयानंद के घर पहुंच गया। विधायक जी ने भोज का खाना खाया और वहां से निकल लिए। मैं खाना ही रहा था, अचानक हल्ला हुआ कि विधायक जी के काफिले पर हमला हो गया है। यह सुनते वहां मौजूद लोग तेजी से घटना स्थल की तरफ भागे, मैं भी खाना छोड़कर घटना स्थल पहुंच गया। वहां अफरा-तफरी का माहौल था, लोग इधर-उधर भाग रहे थे। कोई कह रहा था कि दुलारचंद यादव को गोली लगी है, कोई कह रहा था कि कई लोग घायल हो गए हैं। लोग एक-दूसरे को फोन कर सूचना देने में लगे थे। इस दौरान वहां भगदड़ जैसे हालात हो गए। कई गाड़ियों के शीशे टूट गए थे। थोड़ा आगे बढ़ा तो देखा, दुलारचंद सड़क पर पड़े थे। शरीर में कोई जान नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि वह खत्म हो गए हैं। मैं इतना डर गया था कि भागकर सीधा घर आ गया। गांव के लड़के ने दुलारचंद को फोन से दी थी अनंत की सूचना भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि 30 अक्टूबर को घटना के दिन मोकामा में सब कुछ सामान्य चल रहा था। हर दिन की तरह पीयूष समर्थकों के साथ सुबह से ही जनसंपर्क में निकल गए थे। पीयूष दुलारचंद के घर के आसपास जनसंपर्क के बाद गांव से 6 किलोमीटर दूर बसावन चक निकल गए। वहां उनका जनसंपर्क कार्यक्रम चल रहा था। इस बीच अनंत सिंह दुलारचंद के घर के आस-पास घूमकर वोट मांगने लगे। अनंत सिंह का दुलार के भतीजे मौली यादव के घर जाना और नाश्ता-पानी करना दुलार को काफी खराब लगा। यही वजह है, सूचना के बाद वह जनसंपर्क छोड़ काफिले के साथ गांव की तरफ चल दिए थे। दुलारचंद के पड़ोसी युवक ने ऑफ कैमरा फोन वाली घटना का जिक्र किया। वह बोला-दुलारचंद का अपने गांव में दबदबा था। 500 की बस्ती वाले इस गांव में दुलारचंद जो चाहते थे, वही होता था। वोट की बात हो या अन्य कोई मामला, फैसला दुलारचंद का ही माना जाता था। युवक के मुताबिक गांव में दुलारचंद के घर के आसपास अनंत सिंह के जनसंपर्क की सूचना उनके ही परिवार के एक लड़के ने फोन पर दी थी। इसी कॉल के बाद पीयूष ने जनसंपर्क का रुट बदला और दुलारचंद के घर की तरफ काफिला मोड़ दिया। जिस घर में अनंत ने भोज किया वहां ताला लटका है दैनिक भास्कर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम दयानंद के घर पहुंची जहां अनंत सिंह ने घटना से पहले मुंडन का भोज खाया था। दयानंद के घर के पास दो लोग मिले, लेकिन उनके चेहरे पर ऐसा खौफ था कि वह कुछ भी बात करने को तैयार नहीं हुए। लोगों ने यह कहकर बात करने से मना कर दिया कि, दोनों इस गांव के हैं ही नहीं। भास्कर की टीम जब दयानंद के घर के पास पहुंची तो यहां एक-एककर 3 महिलाएं मिलीं। दयानंद के घर का पता बताने का कहने पर वो भी चल दीं। एक 40 साल की महिला बात करने को तैयार हुई। उसने हमें अनंत सिंह के भोज की बात बताई। इशारा कर के दयानंद का घर भी बताया। यह भी कहा कि इसी घर में भोज हुआ था, लेकिन उसी दिन से घर में ताला बंद है। दयानंद और उसके परिवार वाले घर से गायब हैं। अब कहां गए हैं, यह नहीं पता है। कुछ लोगों ने तो यह भी बताया कि घटना के बाद दयानंद बाढ़ में रह रहा है। दैनिक भास्कर की पड़ताल के दौरान दुलारचंद के घर 100 मीटर की दूरी पर हमारी मुलाकात 65 साल के बोधू से हुई। हम अनजान बनकर ऑफ कैमरा बोधू से घटना के बारे में चर्चा करने लगे। बोधू बोला- यहां खाना खाकर ही कांड करके चले गए। दुलारचंद के भतीजे ने ही नाश्ता कराया था। यहां आकर नाश्ता-पानी करके गए, इसके बाद वह सीधे दयानंद यादव के घर पहुंचे थे। गांव के सूरत यादव ने तो यहां तक कहा, जिस थाली में खाए अनंत ने उसी में छेद कर दिया। सूरत ने बताया मोकामा के इतिहास में कई घटनाएं और मर्डर हुए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई जिस घर में खाया, उसी घर के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी। इस घटना ने अलग तरह का संदेश दिया है। ऐसा नहीं होना चाहिए, कम से कम उस घर को बचाना चाहिए था। जहां से नाश्ता करके जा रहे हैं, वहीं के गार्जियन को मार दिया। गांव वालों से बात कर के समझ आया कि डेढ़ घंटे में मोकामा सब कुछ बदल गया गोलियों की आवाज से मच गई थी अफरा-तफरी भास्कर की टीम को इन्वेस्टिगेशन के दौरान दुलारचंद के गांव तरातर के बगल के गांव में कुछ लड़के सन्नाटे में बैठे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया, दोपहर के समय इलाके में अचानक गोलियों की आवाज से अफरा-तफरी मच गई। पहले एक गोली चलने की आवाज आई, जिसके बाद कुछ देर का सन्नाटा छा गया। लेकिन थोड़ी देर बाद तेज शोर के बीच फिर गोली की आवाज आने लगी। गोलियों की आवाज सुनकर आसपास के लोग घरों से बाहर निकल आए और घटनास्थल की ओर भागे। मछली मार रहे लड़कों का डंडा छीनकर हमला गांव के लोगों ने बताया कि घटना के समय आसपास के तालाब में मछली मारने के लिए कुछ लड़कों ने जाल लगाया था। स्थानीय युवकों के मुताबिक इसी दौरान गांव के भीतर किसी बात को लेकर कहासुनी शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे मारपीट में बदल गई। देखते ही देखते दुलारचंद के कुछ समर्थक तालाब किनारे मौजूद उन लड़कों के पास पहुंचे, उनके हाथों से डंडे छीन लिए और उन्हीं डंडों से सामने वाले गुट पर हमला कर दिया। गांव वालों का कहना है कि विवाद शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर माहौल इतना बिगड़ गया कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। बारिश में घटना से जुड़े कई सबूत धुल गए दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में यह भी खुलासा हुआ है कि फोरेंसिक जांच टीम को गोली का बारूद भी नहीं मिला है। जहां दुलारचंद सड़क पर गिरे थे, वहां पानी था। पैर की गोली वाला पूरा बारूद पानी में धुल गया। इस कारण फोरेंसिक टीम को बारूद नहीं मिल सका है। जहां कुछ घंटे पहले अफरातफरी और खून फैला हुआ था, वहां अब सिर्फ भीगी ज़मीन और मिट्टी दिख रही है। स्थानीय लोगों ने बताया, अगर बारिश नहीं होती तो खून के धब्बे अब भी दिख जाते। गांव वालों का कहना है कि अनुसार, मूसलाधार बारिश ने न केवल साक्ष्य मिटा दिए, बल्कि पुलिस जांच को भी मुश्किल बना दिया था। गांव वालों ने तो यह भी बताया कि विवाद कोई नया नहीं था। दुलारचंद और अनंत सिंह के परिवार के बीच राजनीतिक टकराव पुराना है। चुनावी मौसम में यह रंजिश फिर से गंभीर हो गई। पीयूष बोले-घटना के पीछे साजिश से इनकार नहीं दैनिक भास्कर ने पड़ताल के दौरान मोकामा से जनसुराज के कैंडिडेट पीयूष प्रियदर्शी से भी बात की है। दुलारचंद के पास किसका कॉल आया, ये उन्हें भी नहीं पता है। हालांकि वह इसके पीछे किसी साजिश होने की आशंका जता रहे हैं। हालांकि पीयूष प्रियदर्शी की बात में एक बड़ा सवाल निकलकर सामने आया है। पीयूष ने कहा- दुलारचंद के गांव में जहां अनंत सिंह घटना से पहले जनसंपर्क कर रहे थे वहां मैं एक दिन पहले ही कार्यक्रम कर चुका था। वह दावा करते हैं कि उनका कार्यक्रम काफी सफल हुआ था। पीयूष ने ये भी दावा किया कि अनंत सिंह का दुलारचंद के गांव में अनंत सिंह का स्वागत नहीं हुआ है। वह धानुक समाज का गांव है, इस कारण से भी अनंत सिंह काफी नाराज हो गए थे। अब बड़ा सवाल ये है कि जिस गांव में पीयूष एक दिन पहले सफल कार्यक्रम कर चुके थे, वहां वह दोबारा क्यों गए। विधानसभा में इतना समय नहीं होता है कि एक विधानसभा में एक ही गांव में कैंडिडेट्स दो दो दिन कोई कार्यक्रम या जनसंपर्क कर पाए। पीयूष के इस जवाब ने कई सवाल खड़े किए हैं। स्वागत नहीं होने से नाराज अनंत ने दिया घटना को अंजाम दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान पीयूष प्रियदर्शी ने कहा, घटना के पीछे अनंत सिंह का इगो है। वह दुलारचंद के गांव में गए थे, वहां उनका जब स्वागत सत्कार नहीं हुआ तो वह बौखला गए। इसी बौखलाहट में घटना को अंजाम दे दिए। दुलारचंद के गांव तारतर में जिस व्यक्ति ने अनंत सिंह को बुलाया था, उसका गांव वालों ने विरोध भी किया है। पीयूष के इस जवाब से मुंडन वाले घर में तालाबंदी होने का भी जवाब मिल गया। अनंत सिंह ने दयानंद के घर मुंडन का भोज खाया था और घटना के बाद से वह गांव में नहीं है। ऐसा हो सकता है, गांव वालों के विरोध के बाद वह घर छोड़ बाढ़ चला गया हो। पीयूष के मुताबिक जानबूझकर अनंत सिंह को बुलाया गया था, जबकि उनका वहां कोई वोट बैंक ही नहीं है। रुट चेंज करने को लेकर पीयूष ने इनकार किया है, उन्होंने कहा बाटा चौक जाना था, तो स्वाभाविक तौर पर भूसौली होते हुए ही जाया जा सकता है। दैनिक भास्कर ने पीयूष से उस कॉल के बारे में जानना चाहा कि दुलारचंद को गांव और उनके घर के आसपास अनंत सिंह के जाने की सूचना किसने दी थी। इस पर पीयूष ने कहा, फोन तो बहुत आते रहते हैं। किसका आया मुझे नहीं पता है। इतना पता है कि अनंत सिंह का स्वागत नहीं हुआ जिससे वह नाराज हो गए। हो सकता है कि उसकी नाराजगी में ही यह कोई साजिश रही हो। पीयूष बोले-बाउंसर ने बचा ली जान भास्कर से बातचीत के दौरान पीयूष ने बताया कि अनंत सिंह का गुस्सा मेरे ऊपर भी उतरता। वह मुझे भी मार डालता, लेकिन मुझे मेरे बाउंसरों ने बचा लिया। अगर मेरे साथ मेरी सुरक्षा में निजी बाउंसर नहीं होते तो जान बचाना मुश्किल था। जब भास्कर ने ये सवाल किया कि आपकी गाड़ी में आपके साथ दुलारचंद भी थे तो उन्हें बाउंसरों से सुरक्षा क्यों नहीं मिल पाई। इस पर वह बोले मेरी गाड़ी आगे निकल गई और दुलार चाचा को लोगों ने घेर लिया। वीडियो में दुलारचंद के पत्थर चलाते वायरस हो रहे वीडियो के सवाल पर पीयूष ने कहा, उधर से गोली चल रही थी तो हम लोग बचाव में सड़क से पत्थर उठाकर मार रहे थे। हालांकि पीयूष भी इस घटना से डरे हुए हैं। पीयूष के खिलाफ भी पुलिस केस हुआ है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में घूम रहे हैं, लेकिन दहशत की स्थिति बनी हुई है। दुलारचंद के घर कड़ी चौकसी, बाहरी को घर के अंदर एंट्री नहीं इन्वेस्टिगेशन के दौरान भास्कर की टीम दुलारचंद के घर भी पहुंची। यहां गली से लेकर घर तक पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बाहरी लोगों को घर में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। परिवार से जुड़े क्लोज व्यक्ति ही घर में प्रवेश पा रहे हैं। सुरक्षा को लेकर 12 पुलिस कर्मियों को लगाया गया है। दुलारचंद के घर के आस पास चौकसी देखने को मिली है। घर के बाहर पुलिसकर्मी लगातार गश्त कर रहे हैं, जबकि अंदर दो लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सिर्फ नजदीकी रिश्तेदारों और परिचितों को ही सत्यापन के बाद घर में आने जाने दिया जा रहा है। भास्कर रिपोर्टर जब दुलारचंद के घर में दाखिल हुए तो वहां आंगन में कुछ परिजन गम और सदमे में चुपचाप बैठे दिखे। यहां हमारी मुलाकात दुलारचंद के पोते नीरज से हुई। अनंत पर दुलारचंद की बौखलाहट की बड़ी वजह अनंत सिंह पर दुलारचंद की बौखलाहट का बड़ा कारण उनका बड़ा वोट बैंक है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं कि, मोकामा में वोट का जातीय समीकरण बड़ा मायने रखता है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र में धानुक समाज के करीब 70 से 80 हजार वोटर हैं। इनमें से चकजलाल गांव और टाल के इंटीरियर इलाके के 52 गांवों में धानुक समाज का गहरा प्रभाव है। यहां 70 से 80 प्रतिशत आबादी धानुक समुदाय की है, जिससे पीयूष प्रियदर्शी खुद आते हैं। यही कारण है कि वे लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय रहकर अपने समाज के वोट को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं। दुलारचंद का भी बड़ा प्रभाव रहता है। वहीं मोकामा की बात करें तो इस क्षेत्र में करीब 40 हजार यादव मतदाता हैं, जिन पर दुलारचंद यादव की मजबूत पकड़ थी। 30 अक्टूबर को दोपहर के ढाई बज रहे थे। दुलारचंद मोकामा के बसवानचक गांव में कैंपेनिंग कर रहे थे। अचानक फोन की घंटी बजी। दूसरी कॉल पर दुलारचंद का भतीजा था। बोला-अनंत सिंह गांव में घूम रहे हैं। पड़ोस में बैठकर नाश्ता कर रहे हैं। भोज में शामिल हो रहे हैं…। फोन कटते ही दुलारचंद तमतमाकर पीयूष से बोले -विधायकवा (अनंत सिंह) गांव में घूम–घूमकर वोट काट रहा है। काफिला मोड़-गांव में चलना है। बस क्या था, दुलार का इतना कहना-पीयूष का काफिला तारतार गांव की तरफ चल दिया। दुलारचंद को लगा विधायक उनके घर में जाकर, उनके ही वोट वोट बैंक में सेंधमारी कर रहा है। बस इसी एक कॉल ने अनंत सिंह और पीयूष के काफिले को आमने-सामने लाकर खूनी संघर्ष में बदल दिया। भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में पढ़िए और देखिए मोकामा मर्डर मिस्ट्री पर एक और बड़ा खुलासा…। दुलारचंद के गांव में भोज से वोट साध रहे थे अनंत दैनिक भास्कर की टीम मोकामा हत्याकांड के पीछे की वजह खंगालने में जुटी थी। इस दौरान दुलारचंद के गांव तारतर में हमारी मुलाकात फास्ट फूड का स्टॉल लगाने वाले छोटू से हुई। छोटू ने कई अहम राज बताए, जिससे हमारी इन्वेस्टिगेशन आगे बढ़ी। ऑन कैमरा छोटू कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन ऑफ कैमरा उसने अनंत सिंह से जुड़े कई राज खोले हैं। मैं दुकान के पास खड़ा था। इस बीच अनंत सिंह का काफिला गुजर रहा था। मैं भी काफिले में शामिल हो गया। काफिला पहले दुलारचंद के भतीजे मौली यादव के घर पहुंचा। यहां विधायक जी ने नाश्ता किया और वोट की बात करने लगे। यहां लगभग 15 मिनट बिताने के बाद अनंत सिंह ने गाड़ी वहीं छोड़ दी और पैदल जनसंपर्क करने लगे। ऐसा पहली बार हुआ, जब अनंत सिंह यहां पैदल चलकर जनसंपर्क कर रहे थे। वह दुलारचंद के घर के आसपास काफी देर तक घूमते रहे। दुलारचंद के घर से 200 मीटर की दूरी पर दयानंद के घर मुंडन का भोज चल रहा था। दयानंद ने एक साथ अपने 2 लड़कों का मुंडन कराया था। गांव वालों को उसने इसका भोज दिया था। इस भोज में विधायक जी (अनंत सिंह) को भी निमंत्रण था। विधायक जी ने काफिले को सड़क पर रोक दिया और 3 से 4 समर्थकों के साथ दयानंद के घर पहुंच गए। मैं भी विधायक जी के पीछे-पीछे दयानंद के घर पहुंच गया। विधायक जी ने भोज का खाना खाया और वहां से निकल लिए। मैं खाना ही रहा था, अचानक हल्ला हुआ कि विधायक जी के काफिले पर हमला हो गया है। यह सुनते वहां मौजूद लोग तेजी से घटना स्थल की तरफ भागे, मैं भी खाना छोड़कर घटना स्थल पहुंच गया। वहां अफरा-तफरी का माहौल था, लोग इधर-उधर भाग रहे थे। कोई कह रहा था कि दुलारचंद यादव को गोली लगी है, कोई कह रहा था कि कई लोग घायल हो गए हैं। लोग एक-दूसरे को फोन कर सूचना देने में लगे थे। इस दौरान वहां भगदड़ जैसे हालात हो गए। कई गाड़ियों के शीशे टूट गए थे। थोड़ा आगे बढ़ा तो देखा, दुलारचंद सड़क पर पड़े थे। शरीर में कोई जान नहीं दिख रही थी, ऐसा लग रहा था कि वह खत्म हो गए हैं। मैं इतना डर गया था कि भागकर सीधा घर आ गया। गांव के लड़के ने दुलारचंद को फोन से दी थी अनंत की सूचना भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में पता चला कि 30 अक्टूबर को घटना के दिन मोकामा में सब कुछ सामान्य चल रहा था। हर दिन की तरह पीयूष समर्थकों के साथ सुबह से ही जनसंपर्क में निकल गए थे। पीयूष दुलारचंद के घर के आसपास जनसंपर्क के बाद गांव से 6 किलोमीटर दूर बसावन चक निकल गए। वहां उनका जनसंपर्क कार्यक्रम चल रहा था। इस बीच अनंत सिंह दुलारचंद के घर के आस-पास घूमकर वोट मांगने लगे। अनंत सिंह का दुलार के भतीजे मौली यादव के घर जाना और नाश्ता-पानी करना दुलार को काफी खराब लगा। यही वजह है, सूचना के बाद वह जनसंपर्क छोड़ काफिले के साथ गांव की तरफ चल दिए थे। दुलारचंद के पड़ोसी युवक ने ऑफ कैमरा फोन वाली घटना का जिक्र किया। वह बोला-दुलारचंद का अपने गांव में दबदबा था। 500 की बस्ती वाले इस गांव में दुलारचंद जो चाहते थे, वही होता था। वोट की बात हो या अन्य कोई मामला, फैसला दुलारचंद का ही माना जाता था। युवक के मुताबिक गांव में दुलारचंद के घर के आसपास अनंत सिंह के जनसंपर्क की सूचना उनके ही परिवार के एक लड़के ने फोन पर दी थी। इसी कॉल के बाद पीयूष ने जनसंपर्क का रुट बदला और दुलारचंद के घर की तरफ काफिला मोड़ दिया। जिस घर में अनंत ने भोज किया वहां ताला लटका है दैनिक भास्कर की स्टेट इन्वेस्टिगेशन टीम दयानंद के घर पहुंची जहां अनंत सिंह ने घटना से पहले मुंडन का भोज खाया था। दयानंद के घर के पास दो लोग मिले, लेकिन उनके चेहरे पर ऐसा खौफ था कि वह कुछ भी बात करने को तैयार नहीं हुए। लोगों ने यह कहकर बात करने से मना कर दिया कि, दोनों इस गांव के हैं ही नहीं। भास्कर की टीम जब दयानंद के घर के पास पहुंची तो यहां एक-एककर 3 महिलाएं मिलीं। दयानंद के घर का पता बताने का कहने पर वो भी चल दीं। एक 40 साल की महिला बात करने को तैयार हुई। उसने हमें अनंत सिंह के भोज की बात बताई। इशारा कर के दयानंद का घर भी बताया। यह भी कहा कि इसी घर में भोज हुआ था, लेकिन उसी दिन से घर में ताला बंद है। दयानंद और उसके परिवार वाले घर से गायब हैं। अब कहां गए हैं, यह नहीं पता है। कुछ लोगों ने तो यह भी बताया कि घटना के बाद दयानंद बाढ़ में रह रहा है। दैनिक भास्कर की पड़ताल के दौरान दुलारचंद के घर 100 मीटर की दूरी पर हमारी मुलाकात 65 साल के बोधू से हुई। हम अनजान बनकर ऑफ कैमरा बोधू से घटना के बारे में चर्चा करने लगे। बोधू बोला- यहां खाना खाकर ही कांड करके चले गए। दुलारचंद के भतीजे ने ही नाश्ता कराया था। यहां आकर नाश्ता-पानी करके गए, इसके बाद वह सीधे दयानंद यादव के घर पहुंचे थे। गांव के सूरत यादव ने तो यहां तक कहा, जिस थाली में खाए अनंत ने उसी में छेद कर दिया। सूरत ने बताया मोकामा के इतिहास में कई घटनाएं और मर्डर हुए हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब कोई जिस घर में खाया, उसी घर के परिवार के सदस्य की हत्या कर दी। इस घटना ने अलग तरह का संदेश दिया है। ऐसा नहीं होना चाहिए, कम से कम उस घर को बचाना चाहिए था। जहां से नाश्ता करके जा रहे हैं, वहीं के गार्जियन को मार दिया। गांव वालों से बात कर के समझ आया कि डेढ़ घंटे में मोकामा सब कुछ बदल गया गोलियों की आवाज से मच गई थी अफरा-तफरी भास्कर की टीम को इन्वेस्टिगेशन के दौरान दुलारचंद के गांव तरातर के बगल के गांव में कुछ लड़के सन्नाटे में बैठे थे। बातचीत के दौरान उन्होंने बताया, दोपहर के समय इलाके में अचानक गोलियों की आवाज से अफरा-तफरी मच गई। पहले एक गोली चलने की आवाज आई, जिसके बाद कुछ देर का सन्नाटा छा गया। लेकिन थोड़ी देर बाद तेज शोर के बीच फिर गोली की आवाज आने लगी। गोलियों की आवाज सुनकर आसपास के लोग घरों से बाहर निकल आए और घटनास्थल की ओर भागे। मछली मार रहे लड़कों का डंडा छीनकर हमला गांव के लोगों ने बताया कि घटना के समय आसपास के तालाब में मछली मारने के लिए कुछ लड़कों ने जाल लगाया था। स्थानीय युवकों के मुताबिक इसी दौरान गांव के भीतर किसी बात को लेकर कहासुनी शुरू हो गई, जो धीरे-धीरे मारपीट में बदल गई। देखते ही देखते दुलारचंद के कुछ समर्थक तालाब किनारे मौजूद उन लड़कों के पास पहुंचे, उनके हाथों से डंडे छीन लिए और उन्हीं डंडों से सामने वाले गुट पर हमला कर दिया। गांव वालों का कहना है कि विवाद शुरू होने के कुछ ही मिनटों के भीतर माहौल इतना बिगड़ गया कि लोगों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। बारिश में घटना से जुड़े कई सबूत धुल गए दैनिक भास्कर की इन्वेस्टिगेशन में यह भी खुलासा हुआ है कि फोरेंसिक जांच टीम को गोली का बारूद भी नहीं मिला है। जहां दुलारचंद सड़क पर गिरे थे, वहां पानी था। पैर की गोली वाला पूरा बारूद पानी में धुल गया। इस कारण फोरेंसिक टीम को बारूद नहीं मिल सका है। जहां कुछ घंटे पहले अफरातफरी और खून फैला हुआ था, वहां अब सिर्फ भीगी ज़मीन और मिट्टी दिख रही है। स्थानीय लोगों ने बताया, अगर बारिश नहीं होती तो खून के धब्बे अब भी दिख जाते। गांव वालों का कहना है कि अनुसार, मूसलाधार बारिश ने न केवल साक्ष्य मिटा दिए, बल्कि पुलिस जांच को भी मुश्किल बना दिया था। गांव वालों ने तो यह भी बताया कि विवाद कोई नया नहीं था। दुलारचंद और अनंत सिंह के परिवार के बीच राजनीतिक टकराव पुराना है। चुनावी मौसम में यह रंजिश फिर से गंभीर हो गई। पीयूष बोले-घटना के पीछे साजिश से इनकार नहीं दैनिक भास्कर ने पड़ताल के दौरान मोकामा से जनसुराज के कैंडिडेट पीयूष प्रियदर्शी से भी बात की है। दुलारचंद के पास किसका कॉल आया, ये उन्हें भी नहीं पता है। हालांकि वह इसके पीछे किसी साजिश होने की आशंका जता रहे हैं। हालांकि पीयूष प्रियदर्शी की बात में एक बड़ा सवाल निकलकर सामने आया है। पीयूष ने कहा- दुलारचंद के गांव में जहां अनंत सिंह घटना से पहले जनसंपर्क कर रहे थे वहां मैं एक दिन पहले ही कार्यक्रम कर चुका था। वह दावा करते हैं कि उनका कार्यक्रम काफी सफल हुआ था। पीयूष ने ये भी दावा किया कि अनंत सिंह का दुलारचंद के गांव में अनंत सिंह का स्वागत नहीं हुआ है। वह धानुक समाज का गांव है, इस कारण से भी अनंत सिंह काफी नाराज हो गए थे। अब बड़ा सवाल ये है कि जिस गांव में पीयूष एक दिन पहले सफल कार्यक्रम कर चुके थे, वहां वह दोबारा क्यों गए। विधानसभा में इतना समय नहीं होता है कि एक विधानसभा में एक ही गांव में कैंडिडेट्स दो दो दिन कोई कार्यक्रम या जनसंपर्क कर पाए। पीयूष के इस जवाब ने कई सवाल खड़े किए हैं। स्वागत नहीं होने से नाराज अनंत ने दिया घटना को अंजाम दैनिक भास्कर से बातचीत के दौरान पीयूष प्रियदर्शी ने कहा, घटना के पीछे अनंत सिंह का इगो है। वह दुलारचंद के गांव में गए थे, वहां उनका जब स्वागत सत्कार नहीं हुआ तो वह बौखला गए। इसी बौखलाहट में घटना को अंजाम दे दिए। दुलारचंद के गांव तारतर में जिस व्यक्ति ने अनंत सिंह को बुलाया था, उसका गांव वालों ने विरोध भी किया है। पीयूष के इस जवाब से मुंडन वाले घर में तालाबंदी होने का भी जवाब मिल गया। अनंत सिंह ने दयानंद के घर मुंडन का भोज खाया था और घटना के बाद से वह गांव में नहीं है। ऐसा हो सकता है, गांव वालों के विरोध के बाद वह घर छोड़ बाढ़ चला गया हो। पीयूष के मुताबिक जानबूझकर अनंत सिंह को बुलाया गया था, जबकि उनका वहां कोई वोट बैंक ही नहीं है। रुट चेंज करने को लेकर पीयूष ने इनकार किया है, उन्होंने कहा बाटा चौक जाना था, तो स्वाभाविक तौर पर भूसौली होते हुए ही जाया जा सकता है। दैनिक भास्कर ने पीयूष से उस कॉल के बारे में जानना चाहा कि दुलारचंद को गांव और उनके घर के आसपास अनंत सिंह के जाने की सूचना किसने दी थी। इस पर पीयूष ने कहा, फोन तो बहुत आते रहते हैं। किसका आया मुझे नहीं पता है। इतना पता है कि अनंत सिंह का स्वागत नहीं हुआ जिससे वह नाराज हो गए। हो सकता है कि उसकी नाराजगी में ही यह कोई साजिश रही हो। पीयूष बोले-बाउंसर ने बचा ली जान भास्कर से बातचीत के दौरान पीयूष ने बताया कि अनंत सिंह का गुस्सा मेरे ऊपर भी उतरता। वह मुझे भी मार डालता, लेकिन मुझे मेरे बाउंसरों ने बचा लिया। अगर मेरे साथ मेरी सुरक्षा में निजी बाउंसर नहीं होते तो जान बचाना मुश्किल था। जब भास्कर ने ये सवाल किया कि आपकी गाड़ी में आपके साथ दुलारचंद भी थे तो उन्हें बाउंसरों से सुरक्षा क्यों नहीं मिल पाई। इस पर वह बोले मेरी गाड़ी आगे निकल गई और दुलार चाचा को लोगों ने घेर लिया। वीडियो में दुलारचंद के पत्थर चलाते वायरस हो रहे वीडियो के सवाल पर पीयूष ने कहा, उधर से गोली चल रही थी तो हम लोग बचाव में सड़क से पत्थर उठाकर मार रहे थे। हालांकि पीयूष भी इस घटना से डरे हुए हैं। पीयूष के खिलाफ भी पुलिस केस हुआ है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में घूम रहे हैं, लेकिन दहशत की स्थिति बनी हुई है। दुलारचंद के घर कड़ी चौकसी, बाहरी को घर के अंदर एंट्री नहीं इन्वेस्टिगेशन के दौरान भास्कर की टीम दुलारचंद के घर भी पहुंची। यहां गली से लेकर घर तक पुलिस की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बाहरी लोगों को घर में जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। परिवार से जुड़े क्लोज व्यक्ति ही घर में प्रवेश पा रहे हैं। सुरक्षा को लेकर 12 पुलिस कर्मियों को लगाया गया है। दुलारचंद के घर के आस पास चौकसी देखने को मिली है। घर के बाहर पुलिसकर्मी लगातार गश्त कर रहे हैं, जबकि अंदर दो लेयर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सिर्फ नजदीकी रिश्तेदारों और परिचितों को ही सत्यापन के बाद घर में आने जाने दिया जा रहा है। भास्कर रिपोर्टर जब दुलारचंद के घर में दाखिल हुए तो वहां आंगन में कुछ परिजन गम और सदमे में चुपचाप बैठे दिखे। यहां हमारी मुलाकात दुलारचंद के पोते नीरज से हुई। अनंत पर दुलारचंद की बौखलाहट की बड़ी वजह अनंत सिंह पर दुलारचंद की बौखलाहट का बड़ा कारण उनका बड़ा वोट बैंक है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट लव कुमार मिश्रा बताते हैं कि, मोकामा में वोट का जातीय समीकरण बड़ा मायने रखता है। मोकामा विधानसभा क्षेत्र में धानुक समाज के करीब 70 से 80 हजार वोटर हैं। इनमें से चकजलाल गांव और टाल के इंटीरियर इलाके के 52 गांवों में धानुक समाज का गहरा प्रभाव है। यहां 70 से 80 प्रतिशत आबादी धानुक समुदाय की है, जिससे पीयूष प्रियदर्शी खुद आते हैं। यही कारण है कि वे लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय रहकर अपने समाज के वोट को एकजुट रखने की कोशिश कर रहे हैं। दुलारचंद का भी बड़ा प्रभाव रहता है। वहीं मोकामा की बात करें तो इस क्षेत्र में करीब 40 हजार यादव मतदाता हैं, जिन पर दुलारचंद यादव की मजबूत पकड़ थी।


