बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां अपने चरम पर है। 6 नवंबर को पहले चरण का मतदान होने वाला है, जहां 121 सीटों पर किस्मत का फैसला होगा। मगर, 1600 किलोमीटर दूर पंजाब के खेतों, कारखानों और शहरों में काम करने वाले बिहार के 25-30 लाख प्रवासी मजदूरों की कहानी इस चुनाव को नया मोड़ दे रही है। ये वे लोग हैं जो पंजाब की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। फसल काटने से लेकर फैक्टरियों में पसीना बहाने तक, लेकिन राजनीतिक बयानबाजी में वे अक्सर निशाने पर आ जाते हैं। इसके अलावा वहां पंजाब के नेताओं और मुद्दों का भी खूब जिक्र हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में छपरा की एक रैली में इस मुद्दे को गरमाया। उन्होंने विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए कहा- “कांग्रेस का एक पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने खुलेआम घोषणा की थी कि बिहार के लोगों को पंजाब में घुसने नहीं देंगे”। मोदी ने इसे “इंडिया गठबंधन का बिहारियों के प्रति अपमान” करार दिया, जो बिहार के प्रवासियों की पीड़ा को चुनावी हथियार बना रहा है। पीएम के इस बयान के बाद पूर्व सीएम चन्नी ने सोशल मीडिया पर लाइव आकर सफाई दी। राजनीति की इस बिसात में बीजेपी पंजाब में रह रहे बिहार के लोगों को लेकर ऐसे ही मुद्दों को लगातार उठा रही है। सूत्रों के अनुसार, बीजेपी की इसी घेराबंदी के चलते पूर्व सीएम चन्नी का नाम उस स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटाया दिया गया, जो बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस हाईकमान ने तैयार की थी। पहले जानिए पंजाब से जुड़े वे दो मुद्दे, जिन्हें पीएम ने उठाया… पीएम ने पंजाब के पूर्व सीएम चन्नी को घेरा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार चुनाव प्रचार में 30 अक्टूबर को पंजाब के पूर्व सीएम व कांग्रेस नेता चरणजीत सिंह चन्नी को घेरा। यह हमला छपरा (सारण जिला) में उन्होंने किया। इसमें उन्होंने पंजाब के रोपड़ में चुनाव रैली के दौरान दिए गए विवादित बयानों का जिक्र किया, जिसमें प्रियंका गांधी उनके साथ थीं। मोदी का कहना था कि उन्होंने बयान से बिहार के लोगों का अपमान किया है। हालांकि चरणजीत सिंह चन्नी ने इस पर कहा था कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने कभी भी बिहार के लोगों का अपमान नहीं किया। पीएम ने सिख दंगों का मुद्दा उठाया
इसी तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 नवंबर को चुनाव प्रचार के लिए बिहार पहुंचे हुए थे। इस दौरान उन्होंने 1984 में हुए सिख दंगों का मुद्दा उठाया। कहा कि कई जगह सिखों को निशाना बनाया गया था। कांग्रेस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगे थे। अब कांग्रेस वाले सहिष्णुता के मुद्दे पर भाषण दे रहे हैं। पंजाब सीएम बोले- पीएम टाइम दे हम बिहार चले जाएंगे
सीएम भगवंत मान ने छह दिन पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इसमें जब मीडिया ने उनसे सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री ने उन्हें बाढ़ के मुद्दे पर मिलने का समय दिया है? तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का शेड्यूल तो प्रधानमंत्री कार्यालय को देखना है। शायद उनकी बिहार में एक्टिविटी ज्यादा है, क्योंकि प्रधानमंत्री साहिब रैली प्रधानमंत्री भी साथ में हैं। आगे कहा कि जब किसी राज्य में चुनाव होता है, तो वह वहां जाकर बैठ जाते हैं। वह बिहार में ही टाइम दें, तो वहीं चले जाएंगे, जहां भी समय देंगे, वहां चले जाएंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री को रैली प्रधानमंत्री तक कह दिया। साथ ही कहा कि वे तो वोटर भी अपने बना रहे हैं। स्टार प्रचारकों में सीएम भगवंत मान से लेकर चन्नी तक
जहां तक बिहार इलेक्शन में स्टार प्रचारकों की बात करें तो उनमें पंजाब के नेता कम हैं। मगर, सभी पार्टियों ने बडे़ नेताओं के नाम इसमें शामिल किए है। बीजेपी की तरफ से कई टीमें चुनाव के लिए भेजी गईं। लेकिन सूची में कोई पंजाब का नेता शामिल नहीं है। चुनाव से ठीक छह महीने पहले बिहार के कई नेताओं के लगातार पंजाब में दौरे हुए थे। इसमें उन्होंने वोटरों का दिल जीतने की कोशिश की थी। इसी तरह कांग्रेस ने पहले चरण के चुनाव में चरणजीत सिंह चन्नी और प्रभारी भूपेश बघेल को प्रचारकों की सूची में शामिल किया था। मगर, दूसरे चरण में पंजाब के नेताओं की छुट्टी हो गई है। वहीं, हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की एंट्री हुई है। जबकि, आम आदमी पार्टी की तरफ से घोषित स्टार प्रचारकों की सूची में पंजाब सीएम भगवंत मान, प्रधान अमन अरोड़ा, पंजाब प्रभारी व दिल्ली के प्रभारी मनीष सिसोदिया और राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक शामिल हैं। सीएम भी प्रचार के लिए जांएगे। छठ पूजा में बिहार पर फोकस
छठ पूजा पर भी वोटरों का दिल जीतने की कोशिश की गई। 25 से 28 अक्टूबर तक छठ पूजा थी। पंजाब से लेकर चंडीगढ़ तक सभी पार्टियों के नेताओं ने इन लोगों का दिल जीतने की कोशिश की। छठ को लेकर स्पेशल गाड़ियां चलाई गईं। इन स्पेशल रेलगाड़ियों की व्यवस्था पंजाब के सभी शहरों से की गई थी। दूसरी पार्टियों के नेता भी इन समागमों में पहुंचे। किसी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। पंजाब में प्रवासियों को लेकर विवाद भी हो चुके… पंजाब में प्रवासी मजदूरों को क्या मिलता है?
साल 2022 में पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के कुछ प्रोफेसर्स ने मिलकर पंजाब में रहने वाले प्रवासी मजदूरों पर एक रिसर्च किया था। इस रिसर्च में 1567 प्रवासी मजदूरों को शामिल किया गया था, जिसके जरिए इन मजदूरों के काम करने के तरीके उनकी आमदनी और रहन-सहन की जानकारी हासिल की गई। इसमें पाया गया कि पंजाब में दिन-रात काम करने वाले 58% से ज्यादा प्रवासियों की आमदनी 8 हजार रुपए से कम है। महज 18.39% प्रवासी कामगारों को सप्ताह में एक दिन की छुट्टी मिल पाती है। EPF के तहत भविष्य निधि में महज 5.55% प्रवासी मजदूरों का पैसा जमा होता है।
पंजाब के मुद्दों पर बिहार के विधानसभा चुनाव में सियासत:PM ने प्रवासियों और सिखों दंगों पर कांग्रेस को घेरा; 30 लाख वोटर हैं टारगेट


