साइबर जालसाजों ने एटीएस अधिकारी बनकर 72 साल के सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी को तीन दिन तक ‘‘डिजिटल अरेस्ट’’ में रखकर उनसे 21.5 लाख रुपये ऐंठ लिए। जबलपुर पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
शिकायतकर्ता अविनाश चंद्रा, नेपियर टाउन के रहने वाले हैं।
उन्हें एक दिसंबर को एक व्यक्ति का फोन आया जिसने खुद को पुणे का एटीएस अधिकारी बताया। फोन करने वाले ने दावा किया कि चंद्रा के बैंक खाते और आधार नंबर का इस्तेमाल ‘आतंकवाद के वित्तपोषण’ में किया गया है।
‘एटीएस अधिकारी’ ने चंद्रा को वाट्सएप पर कुछ दस्तावेज भेजे और धमकी दी कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उन्हें और उनके बेटे को गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उनकी संपत्ति जब्त कर ली जाएगी।
पुलिस ने बताया कि उन्होंने चंद्रा को तीन दिन तक रोज सुबह नौ बजे से शाम सात बजे तक वीडियो कॉल पर रखा। उनकी हरकतों पर नजर रखी और उन्हें किसी से संपर्क करने से रोका।
आरोपियों ने कथित तौर पर उन्हें बैंक खातों के नंबर भेजे और तीन किश्तों में पैसे भेजने के लिए मजबूर किया।
पुलिस के मुताबिक, ठगों ने कथित तौर पर उनसे कहा कि रकम ‘‘कुछ समय के लिए’’ रखी जा रही है और छह दिनों में वापस कर दी जाएगी।
धोखेबाजों ने जानकारी न देने पर 18 साल की जेल और भारी जुर्माना लगाने की धमकी देकर उनकी संपत्ति की जानकारी भी हासिल कर ली। उन्होंने उनका भरोसा जीतने के लिए रक्षा मंत्रालय के कथित तौर पर जाली दस्तावेज भेजे।
पुलिस ने कहा कि जब चंद्रा के परिवार ने शिकायत दर्ज कराने के लिए साइबर पुलिस से संपर्क किया, तो धोखेबाजों ने कथित तौर पर फिर से फोन किया और कहा कि पैसे वापस नहीं किए जाएंगे।
पुलिस ने बताया कि अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।


