औरंगाबाद समाहरणालय परिसर स्थित सभाकक्ष में रविवार को विश्व प्रेस दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था गलत सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की रक्षा करना। जिस पर पत्रकारों, अधिकारियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने विस्तृत विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ एडीएम अनुग्रह नारायण सिंह एवं आपदा प्रभारी अंतरा कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। संगोष्ठी में उपस्थित पत्रकारों ने कहा कि आज डिजिटल युग में खबरों की ‘ब्रेकिंग’ की होड़ तेजी से बढ़ी है, जिसके कारण कभी-कभी बिना पुष्टि की गई सूचनाएँ भी प्रसारित हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि किसी भी समाचार को प्रसारित करने से पहले उसके तथ्यों की सही जांच की जाए। एडीएम बोले- सच्चाई की कलम ही देश की असली ताकत है कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एडीएम अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि सच्चाई की कलम देश की असली ताकत है। एक स्पष्ट, तथ्यपरक और सत्य समाचार ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। उन्होंने कहा कि जनता को निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता पर भरोसा रहता है। प्रेस की आजादी वास्तव में जनता की आवाज होती है, इसलिए पत्रकारों को निडर होकर तथ्य आधारित रिपोर्टिंग करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार प्रशासन को महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से मिलती है, जिसके बाद तुरंत कार्रवाई की जाती है। इसलिए खबरों का सटीक होना न केवल पत्रकारिता बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। नए पत्रकारों से उन्होंने आग्रह किया कि वे वरिष्ठों से निरंतर सीखते रहें और रिपोर्टिंग में सत्यता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का पालन करें। आपदा प्रभारी बोलीं- निडर कलम समाज में जागरूकता का सबसे बड़ा माध्यम आपदा प्रभारी अंतरा कुमारी ने कहा कि निडर कलम समाज में जागरूकता का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने कहा कि सत्य की खोज प्रेस का सबसे बड़ा धर्म है और इसी कारण प्रेस को लोकतंत्र में बोलने की आजादी का विशेष स्थान प्राप्त है। गलत या अधूरी सूचना न केवल पत्रकारिता को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज में भ्रम और नकारात्मकता भी बढ़ाती है। इसलिए तथ्य आधारित खबर ही प्रकाशित होनी चाहिए। संगोष्ठी के दौरान यह बात विशेष रूप से उभरकर सामने आई कि ‘ब्रेकिंग न्यूज’ की जल्दबाजी पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। प्रतिभागियों ने सुझाव दिया कि किसी भी खबर को तभी प्रकाशित किया जाए जब उसकी पुष्टि विभिन्न स्रोतों से हो जाए।कार्यक्रम में जिले के कई वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। औरंगाबाद समाहरणालय परिसर स्थित सभाकक्ष में रविवार को विश्व प्रेस दिवस के अवसर पर जिला प्रशासन द्वारा एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी का विषय था गलत सूचनाओं के बीच प्रेस की विश्वसनीयता की रक्षा करना। जिस पर पत्रकारों, अधिकारियों और मीडिया प्रतिनिधियों ने विस्तृत विचार रखे। कार्यक्रम का शुभारंभ एडीएम अनुग्रह नारायण सिंह एवं आपदा प्रभारी अंतरा कुमारी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। संगोष्ठी में उपस्थित पत्रकारों ने कहा कि आज डिजिटल युग में खबरों की ‘ब्रेकिंग’ की होड़ तेजी से बढ़ी है, जिसके कारण कभी-कभी बिना पुष्टि की गई सूचनाएँ भी प्रसारित हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि किसी भी समाचार को प्रसारित करने से पहले उसके तथ्यों की सही जांच की जाए। एडीएम बोले- सच्चाई की कलम ही देश की असली ताकत है कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एडीएम अनुग्रह नारायण सिंह ने कहा कि सच्चाई की कलम देश की असली ताकत है। एक स्पष्ट, तथ्यपरक और सत्य समाचार ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाता है। उन्होंने कहा कि जनता को निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकारिता पर भरोसा रहता है। प्रेस की आजादी वास्तव में जनता की आवाज होती है, इसलिए पत्रकारों को निडर होकर तथ्य आधारित रिपोर्टिंग करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार प्रशासन को महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स से मिलती है, जिसके बाद तुरंत कार्रवाई की जाती है। इसलिए खबरों का सटीक होना न केवल पत्रकारिता बल्कि प्रशासनिक दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। नए पत्रकारों से उन्होंने आग्रह किया कि वे वरिष्ठों से निरंतर सीखते रहें और रिपोर्टिंग में सत्यता, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी का पालन करें। आपदा प्रभारी बोलीं- निडर कलम समाज में जागरूकता का सबसे बड़ा माध्यम आपदा प्रभारी अंतरा कुमारी ने कहा कि निडर कलम समाज में जागरूकता का सबसे बड़ा माध्यम है। उन्होंने कहा कि सत्य की खोज प्रेस का सबसे बड़ा धर्म है और इसी कारण प्रेस को लोकतंत्र में बोलने की आजादी का विशेष स्थान प्राप्त है। गलत या अधूरी सूचना न केवल पत्रकारिता को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि समाज में भ्रम और नकारात्मकता भी बढ़ाती है। इसलिए तथ्य आधारित खबर ही प्रकाशित होनी चाहिए। संगोष्ठी के दौरान यह बात विशेष रूप से उभरकर सामने आई कि ‘ब्रेकिंग न्यूज’ की जल्दबाजी पत्रकारिता की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है। प्रतिभागियों ने सुझाव दिया कि किसी भी खबर को तभी प्रकाशित किया जाए जब उसकी पुष्टि विभिन्न स्रोतों से हो जाए।कार्यक्रम में जिले के कई वरिष्ठ पत्रकार, मीडिया संस्थानों के प्रतिनिधि एवं छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे। संगोष्ठी का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


