Ahmedabad. गुजरात में गर्मी की शुरूआत होते ही बांधों का पानी भी सूखने लगा है। ऐसे में राज्य में लोगों को पीने के पानी की समस्या का सामना नहीं करना पड़े इसको लेकर मंगलवार को मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने गांधीनगर में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। इसमें राज्य के बांधों और नर्मदा बांध में मौजूद पानी और क्षेत्र वार बांधों में मौजूद पानी, पेयजल की उपलब्धता और सिंचाई के लिए उपलब्ध जल की समीक्षा की।
बैठक में जलापूर्ति मंत्री कुंवरजी बावलिया, राज्यमंत्री मुकेश पटेल, मुख्य सचिव पंकज जोशी, नर्मदा निगम सीएमडी मुकेश परी, अतिरिक्त सचिव सी वी सोम और वरिष्ठ सचिव उपस्थित रहे।
बैठक में निर्णय किया गया कि राज्य में उत्तर गुजरात के आठ, मध्य गुजरात के छह, दक्षिण गुजरात के चार और सौराष्ट्र के 35 तथा कच्छ के 9 जलाशयों सहित कुल 62 जलाशयों का पानी पीने के लिए आरक्षित रहेगा। इसे सिंचाई के लिए उपयोग में नहीं लिया जा सकेगा।
तीन विभाग मिलकर करेंगे जलापूर्ति का प्रबंध
मुख्यमंत्री में बैठक में निर्देश दिया कि राज्य में लोगों को पीने के पानी की कोई दिक्कत न हो , उन्हें समय पर पेयजल मिले इसकी जिम्मेदारी जलापूर्ति विभाग, जल संपत्ति विभाग और सरदार सरोवर नर्मदा निगम तीनों ही की रहेगी। संयुक्त रूप से तीनों विभागों को मिलकर आयोजन करने का निर्देश दिया है।
राज्य के बांधों में 14 मिलियन घन मीटर पानी
बैठक में बताया गया कि नर्मदा बांध सहित राज्य के 207 बांधों में मौजूदा स्थिति में 14269 मिलियन घन मीटर पानी है। राज्य में 18152 गांव में से 15720 गांव, 292 शहरों में से 251 शहर, 372 समूह योजनाओं के जरिए पानी पहुंचाया जाता है। 10659 गांव और 190 शहरों को नर्मदा का जल, 5061 गांव और 61 शहरों को बांधों से जल दिया जाता है।
पानी की समस्या को टोलफ्री नंबर घोषित
पानी की स्थिति पर दिन, रात नजर रखने के लिए कंट्रोलरूम बनाया गया है। इसके अलावा 1916 टोल फ्री नंबर कार्यरत किया हैस, जिस पर जल संकट की शिकायत की जा सकती है। हेंड पंप की मरम्मत के लिए 119 टीमें बनाई हैं।
कच्छ को टप्पर बांध से दिया जाएगा नर्मदा का पानी
सीएम ने निर्देश दिया कि कच्छ के लोगों को पीने के पानी की समस्या न हो इसके लिए टप्पर बांध से सालभर जरूरत जितना पानी नर्मदा केनाल से दिया जाए। सौराष्ट्र में वल्लभीपुर ब्रांच केनाल से नर्मदा पानी दिया जाए।
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