अररिया में 6 साल पुराना पुल धंसा:3.80 करोड़ की लागत से बना था, कई गांवों का संपर्क कटा

अररिया में 6 साल पुराना पुल धंसा:3.80 करोड़ की लागत से बना था, कई गांवों का संपर्क कटा

अररिया में फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र के कौआचार घाट पर प्रमाण नदी पर बना एक पुल सोमवार दोपहर अचानक धंस गया। सिर्फ 6 साल पहले 3.80 करोड़ रुपए की लागत से बने इस 129 मीटर लंबे पुल का एक पाया 3-4 फीट नीचे धंस गया, जिससे इसकी संरचना क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना के कारण पुल पर गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। इलाके के 2 दर्जन से अधिक गांवों का जिला मुख्यालय अररिया और प्रखंड मुख्यालय फारबिसगंज से संपर्क कट गया है। यह पुल अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह के पैतृक गांव कौआचार को जोड़ता है। ग्रामीण बोले – अचानक पुल के झुकने की आवाज सुनाई दी स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार दोपहर अचानक पुल के झुकने की आवाज सुनाई दी। चश्मदीदों के अनुसार, पुल का तीसरा पाया धंसने से पूरी संरचना झुक गई। प्रशासन ने पुल के दोनों छोर पर सांकेतिक बोर्ड लगाकर भारी गाड़ियों पर रोक लगा दी है, हालांकि पैदल यात्री और बाइक सवार अभी भी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे हैं। पुल निर्माण में अनियमितताओं का आरोप लगाया ग्रामीणों ने पुल निर्माण में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। नाम न छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि पुल बनते समय ही पायों के नीचे मजबूत बुनियाद नहीं दी गई थी, जिससे शुरू से ही धंसाव हो रहा था। अचानक 3-4 फीट नीचे धंसने से पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। कटाई के समय फसल बचाना मुश्किल होगा – किसान विश्वनाथ यादव किसान विश्वनाथ यादव ने ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी 50 बीघा धान की फसल पुल के उस पार है और अब कटाई के समय फसल बचाना मुश्किल होगा। उन्होंने विभाग से ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की मांग की। स्थानीय निवासी सिराजुद्दीन ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर ध्यान न देने के लिए जिम्मेदार ठहराया। सरकार योजना देती है, लेकिन धरातल पर निगरानी हमारी जिम्मेदारी है। अगर समय रहते सतर्क होते, तो आज यह हाल न होता। पुल क्षतिग्रस्त होने से 20 से ज्यादा गांव कटे वहीं, ध्रुव कुमार साह ने बताया, पुल क्षतिग्रस्त होने से 20 से ज्यादा गांव कट गए। अब जिला या प्रखंड पहुंचने के लिए 10 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। किसानों की फसलें खतरे में हैं, और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर चंद्रशेखर कुमार ने कहा कि पुल धंसाव की सूचना 30 अक्टूबर को ही मिल गई थी। हमने विभाग को पत्र भेजा और DM-SP को सूचित किया। ठेकेदार की 5 साल की गारंटी समाप्त ठेकेदार की 5 साल की गारंटी समाप्त हो चुकी है, लेकिन पुल की आयु और गुणवत्ता की जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई निश्चित है। एस्टीमेट 4.15 करोड़ था, जिसमें 3.80 करोड़ खर्च हुए। ग्रामीणों का आरोप है कि घटिया सामग्री और जल्दबाजी ने पुल को कमजोर बनाया। यह कोई पहली घटना नहीं। जून 2024 में सिकटी विधानसभा के पड़रिया में बकरा नदी पर 12 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे पुल का एक हिस्सा भी धंस गया था। दोनों पुलों का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया ने ही कराया, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। 2 इंजीनियरों को निलंबित किया गया सिकटी पुल में भी ठेकेदार की लापरवाही सामने आई थी, और 2 इंजीनियरों को निलंबित किया गया। चुनावी माहौल में यह घटना एनडीए सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। ग्रामीणों ने कहा, विकास के नाम पर वोट मांगे जाते हैं, लेकिन पुल बनते ही गिर जाते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में इसका करारा जवाब देंगे। प्रदीप सिंह ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता फोन पर सफाई देते नजर आए। विपक्षी दल भी इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बता रहे हैं। 5 सालों में 10 से ज्यादा पुलों के धंसने की घटनाएं हुई बिहार में पुलों के धंसने का सिलसिला थम नहीं रहा। पिछले 5 सालों में 10 से ज्यादा ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें भागलपुर, सुपौल जैसे जिलों के बड़े पुल शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी तट मजबूती, मिट्टी परीक्षण और निगरानी की कमी मुख्य कारण हैं। सरकार ने जांच समिति गठित करने का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों को तत्काल वैकल्पिक मार्ग और मरम्मत चाहिए। अररिया में फारबिसगंज विधानसभा क्षेत्र के कौआचार घाट पर प्रमाण नदी पर बना एक पुल सोमवार दोपहर अचानक धंस गया। सिर्फ 6 साल पहले 3.80 करोड़ रुपए की लागत से बने इस 129 मीटर लंबे पुल का एक पाया 3-4 फीट नीचे धंस गया, जिससे इसकी संरचना क्षतिग्रस्त हो गई। इस घटना के कारण पुल पर गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई है। इलाके के 2 दर्जन से अधिक गांवों का जिला मुख्यालय अररिया और प्रखंड मुख्यालय फारबिसगंज से संपर्क कट गया है। यह पुल अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह के पैतृक गांव कौआचार को जोड़ता है। ग्रामीण बोले – अचानक पुल के झुकने की आवाज सुनाई दी स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सोमवार दोपहर अचानक पुल के झुकने की आवाज सुनाई दी। चश्मदीदों के अनुसार, पुल का तीसरा पाया धंसने से पूरी संरचना झुक गई। प्रशासन ने पुल के दोनों छोर पर सांकेतिक बोर्ड लगाकर भारी गाड़ियों पर रोक लगा दी है, हालांकि पैदल यात्री और बाइक सवार अभी भी जान जोखिम में डालकर पुल पार कर रहे हैं। पुल निर्माण में अनियमितताओं का आरोप लगाया ग्रामीणों ने पुल निर्माण में अनियमितताओं का आरोप लगाया है। नाम न छापने की शर्त पर एक ग्रामीण ने बताया कि पुल बनते समय ही पायों के नीचे मजबूत बुनियाद नहीं दी गई थी, जिससे शुरू से ही धंसाव हो रहा था। अचानक 3-4 फीट नीचे धंसने से पुल पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। कटाई के समय फसल बचाना मुश्किल होगा – किसान विश्वनाथ यादव किसान विश्वनाथ यादव ने ठेकेदार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी 50 बीघा धान की फसल पुल के उस पार है और अब कटाई के समय फसल बचाना मुश्किल होगा। उन्होंने विभाग से ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई की मांग की। स्थानीय निवासी सिराजुद्दीन ने जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के साथ-साथ आम लोगों को भी निर्माण के दौरान गुणवत्ता पर ध्यान न देने के लिए जिम्मेदार ठहराया। सरकार योजना देती है, लेकिन धरातल पर निगरानी हमारी जिम्मेदारी है। अगर समय रहते सतर्क होते, तो आज यह हाल न होता। पुल क्षतिग्रस्त होने से 20 से ज्यादा गांव कटे वहीं, ध्रुव कुमार साह ने बताया, पुल क्षतिग्रस्त होने से 20 से ज्यादा गांव कट गए। अब जिला या प्रखंड पहुंचने के लिए 10 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है। किसानों की फसलें खतरे में हैं, और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। ग्रामीण कार्य विभाग के इंजीनियर चंद्रशेखर कुमार ने कहा कि पुल धंसाव की सूचना 30 अक्टूबर को ही मिल गई थी। हमने विभाग को पत्र भेजा और DM-SP को सूचित किया। ठेकेदार की 5 साल की गारंटी समाप्त ठेकेदार की 5 साल की गारंटी समाप्त हो चुकी है, लेकिन पुल की आयु और गुणवत्ता की जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई निश्चित है। एस्टीमेट 4.15 करोड़ था, जिसमें 3.80 करोड़ खर्च हुए। ग्रामीणों का आरोप है कि घटिया सामग्री और जल्दबाजी ने पुल को कमजोर बनाया। यह कोई पहली घटना नहीं। जून 2024 में सिकटी विधानसभा के पड़रिया में बकरा नदी पर 12 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे पुल का एक हिस्सा भी धंस गया था। दोनों पुलों का निर्माण ग्रामीण कार्य विभाग, अररिया ने ही कराया, जिससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए। 2 इंजीनियरों को निलंबित किया गया सिकटी पुल में भी ठेकेदार की लापरवाही सामने आई थी, और 2 इंजीनियरों को निलंबित किया गया। चुनावी माहौल में यह घटना एनडीए सरकार के लिए मुश्किल खड़ी कर रही है। ग्रामीणों ने कहा, विकास के नाम पर वोट मांगे जाते हैं, लेकिन पुल बनते ही गिर जाते हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में इसका करारा जवाब देंगे। प्रदीप सिंह ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता फोन पर सफाई देते नजर आए। विपक्षी दल भी इसे भ्रष्टाचार का प्रतीक बता रहे हैं। 5 सालों में 10 से ज्यादा पुलों के धंसने की घटनाएं हुई बिहार में पुलों के धंसने का सिलसिला थम नहीं रहा। पिछले 5 सालों में 10 से ज्यादा ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें भागलपुर, सुपौल जैसे जिलों के बड़े पुल शामिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी तट मजबूती, मिट्टी परीक्षण और निगरानी की कमी मुख्य कारण हैं। सरकार ने जांच समिति गठित करने का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों को तत्काल वैकल्पिक मार्ग और मरम्मत चाहिए।  

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