सहरसा के सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक बने रत्नेश सदा के बिहार की नई सरकार में मंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं। 20 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 10वीं बार शपथ ग्रहण के साथ ही उनके कैबिनेट मंत्रियों की सूची में रत्नेश सादा का नाम भी शामिल होने की संभावना है। इसे लेकर जिले में JDU कार्यकर्ताओं और समर्थकों में काफी उत्साह है। रत्नेश सदा ने 2010 में सोनवर्षा विधानसभा सीट से पहली बार JDU के टिकट पर चुनाव जीता था, जब यह सीट सुरक्षित घोषित हुई थी। इसके बाद, उन्होंने 2015 और 2020 में भी लगातार जीत हासिल की। 2020 के चुनाव में वे 10,454 मतों से विजयी घोषित हुए थे। 2023 में भी मंत्री बनने का अवसर मिला था उन्हें 2023 में भी मंत्री बनने का अवसर मिला था। उस समय, जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन के नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद, महादलित समुदाय से आने वाले रत्नेश सादा को बिहार सरकार में उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री का पदभार सौंपा गया था। बलिया सिमर गांव के मूल निवासी 54 साल के रत्नेश सदा सहरसा के महिषी प्रखंड की कुंदह पंचायत के बलिया सिमर गांव के मूल निवासी हैं। उनके पिता एक किसान थे। रत्नेश सादा तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं और उनके पांच बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं। 2009 में सहरसा के पटेल मैदान में आयोजित महादलित सम्मेलन के बाद रत्नेश सादा एक प्रमुख महादलित नेता के रूप में उभरे थे। जदयू से जुड़ने से पहले, वे एक ग्रामीण चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे। सहरसा के सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार विधायक बने रत्नेश सदा के बिहार की नई सरकार में मंत्री बनने की अटकलें तेज हो गई हैं। 20 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 10वीं बार शपथ ग्रहण के साथ ही उनके कैबिनेट मंत्रियों की सूची में रत्नेश सादा का नाम भी शामिल होने की संभावना है। इसे लेकर जिले में JDU कार्यकर्ताओं और समर्थकों में काफी उत्साह है। रत्नेश सदा ने 2010 में सोनवर्षा विधानसभा सीट से पहली बार JDU के टिकट पर चुनाव जीता था, जब यह सीट सुरक्षित घोषित हुई थी। इसके बाद, उन्होंने 2015 और 2020 में भी लगातार जीत हासिल की। 2020 के चुनाव में वे 10,454 मतों से विजयी घोषित हुए थे। 2023 में भी मंत्री बनने का अवसर मिला था उन्हें 2023 में भी मंत्री बनने का अवसर मिला था। उस समय, जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन के नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देने के बाद, महादलित समुदाय से आने वाले रत्नेश सादा को बिहार सरकार में उत्पाद, मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री का पदभार सौंपा गया था। बलिया सिमर गांव के मूल निवासी 54 साल के रत्नेश सदा सहरसा के महिषी प्रखंड की कुंदह पंचायत के बलिया सिमर गांव के मूल निवासी हैं। उनके पिता एक किसान थे। रत्नेश सादा तीन भाइयों में सबसे बड़े हैं और उनके पांच बच्चे हैं, जिनमें दो बेटियां और तीन बेटे शामिल हैं। 2009 में सहरसा के पटेल मैदान में आयोजित महादलित सम्मेलन के बाद रत्नेश सादा एक प्रमुख महादलित नेता के रूप में उभरे थे। जदयू से जुड़ने से पहले, वे एक ग्रामीण चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते थे।


