मवेशी तस्करी करते 2 आरोपी पकड़ाए:बगहा में खेतों के रास्ते मवेशी ले जा रहे थे चोर, ग्रामीणों ने दबोचा, 7 पर मामला दर्ज

मवेशी तस्करी करते 2 आरोपी पकड़ाए:बगहा में खेतों के रास्ते मवेशी ले जा रहे थे चोर, ग्रामीणों ने दबोचा, 7 पर मामला दर्ज

बगहा में रामनगर थाना क्षेत्र के सबुनी मोतीपुर बगीचा सरेह से 2 मवेशी तस्करों को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान सबुनी गांव का साहब मियां (30) और सब्बू खान (32) के रूप में हुई है। रविवार देर रात ग्रामीणों को सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध लोग मवेशियों को खेतों के रास्ते ले जा रहे हैं। ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और 2 तस्करों को मवेशियों के साथ पकड़ लिया। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। तस्करों ने लौरिया और आसपास के क्षेत्र से पशुओं को लाया था। जिसे साबुनी गांव के पास एक बगीचे में इकट्ठा किया जा रहा था। यहां से बॉर्डर पार करना था। 2 नामजद और 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज सबुनी चौक के मुरारी साह ने रामनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें 2 नामजद और 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। थानाध्यक्ष सतीश कुमार ने बताया कि अन्य आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए। पुलिस फरार तस्करों की तलाश कर रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस इलाके में मवेशी चोरी और तस्करी की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। पकड़े गए आरोपियों के पास से दो मवेशी बरामद किए गए हैं। तस्करी के लिए सीमावर्ती इलाके का होता है चयन पशु तस्कर तस्करी के लिए सीमावर्ती इलाके का चयन करते हैं। जिसमें बगहा, रामनगर, नरकटियागंज और गौनाहा आदि सटे नेपाल बॉर्डर के रास्ते हर महीने सैकड़ों मवेशियों की तस्करी की जा रही है। सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय किसानों से सस्ते दाम पर मवेशी खरीदे जाते हैं और नेपाल में दुगुने-तिगुने दामों पर बेच दिए जाते हैं। दूसरे जिलों से भी जुड़ा है तार तस्कर रामनगर, लौरिया, भितहा, ठकराहा, मधुबनी के अलावा दूसरे जिला गोपालगंज, सीवान और पूर्वी चंपारण के आल्हा में उत्तर प्रदेश से भी पशुओं की खेत बाघा और आसपास के क्षेत्र में लाते हैं। फिर इसे नेपाल भेज दिया जाता है। क्यों होती है तस्करी? इसका सबसे बड़ा कारण है मुनाफा। नेपाल में मवेशियों की कीमत भारत के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। इसके साथ ही भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा (Open Border Policy) तस्करों को इस धंधे में सुविधा देती है। नेपाल के कसाईखानों, बाजारों और धार्मिक आयोजनों (जैसे गढ़ीमाई मेला) में इन पशुओं का उपयोग होता है। ये मवेशी नेपाल से आगे बांग्लादेश तक मवेशी पहुंचाए जाते हैं, जहां बीफ इंडस्ट्री में इनका इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि SSB और स्थानीय पुलिस समय-समय पर अभियान चलाकर तस्करों को पकड़ती है और मवेशियों को बरामद भी करती है। बगहा में रामनगर थाना क्षेत्र के सबुनी मोतीपुर बगीचा सरेह से 2 मवेशी तस्करों को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। पकड़े गए आरोपियों की पहचान सबुनी गांव का साहब मियां (30) और सब्बू खान (32) के रूप में हुई है। रविवार देर रात ग्रामीणों को सूचना मिली कि कुछ संदिग्ध लोग मवेशियों को खेतों के रास्ते ले जा रहे हैं। ग्रामीण तुरंत मौके पर पहुंचे और 2 तस्करों को मवेशियों के साथ पकड़ लिया। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। तस्करों ने लौरिया और आसपास के क्षेत्र से पशुओं को लाया था। जिसे साबुनी गांव के पास एक बगीचे में इकट्ठा किया जा रहा था। यहां से बॉर्डर पार करना था। 2 नामजद और 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज सबुनी चौक के मुरारी साह ने रामनगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसमें 2 नामजद और 5 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। थानाध्यक्ष सतीश कुमार ने बताया कि अन्य आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गए। पुलिस फरार तस्करों की तलाश कर रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस इलाके में मवेशी चोरी और तस्करी की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। पकड़े गए आरोपियों के पास से दो मवेशी बरामद किए गए हैं। तस्करी के लिए सीमावर्ती इलाके का होता है चयन पशु तस्कर तस्करी के लिए सीमावर्ती इलाके का चयन करते हैं। जिसमें बगहा, रामनगर, नरकटियागंज और गौनाहा आदि सटे नेपाल बॉर्डर के रास्ते हर महीने सैकड़ों मवेशियों की तस्करी की जा रही है। सीमावर्ती इलाकों में स्थानीय किसानों से सस्ते दाम पर मवेशी खरीदे जाते हैं और नेपाल में दुगुने-तिगुने दामों पर बेच दिए जाते हैं। दूसरे जिलों से भी जुड़ा है तार तस्कर रामनगर, लौरिया, भितहा, ठकराहा, मधुबनी के अलावा दूसरे जिला गोपालगंज, सीवान और पूर्वी चंपारण के आल्हा में उत्तर प्रदेश से भी पशुओं की खेत बाघा और आसपास के क्षेत्र में लाते हैं। फिर इसे नेपाल भेज दिया जाता है। क्यों होती है तस्करी? इसका सबसे बड़ा कारण है मुनाफा। नेपाल में मवेशियों की कीमत भारत के मुकाबले काफी ज्यादा होती है। इसके साथ ही भारत-नेपाल के बीच खुली सीमा (Open Border Policy) तस्करों को इस धंधे में सुविधा देती है। नेपाल के कसाईखानों, बाजारों और धार्मिक आयोजनों (जैसे गढ़ीमाई मेला) में इन पशुओं का उपयोग होता है। ये मवेशी नेपाल से आगे बांग्लादेश तक मवेशी पहुंचाए जाते हैं, जहां बीफ इंडस्ट्री में इनका इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि SSB और स्थानीय पुलिस समय-समय पर अभियान चलाकर तस्करों को पकड़ती है और मवेशियों को बरामद भी करती है।  

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