वाराणसी के लोहता में 7 साल पहले अपनी ही 14 साल की पुत्री से दरिंदगी और हवस का शिकार बनाने वाले दुष्कर्मी पिता को कोर्ट ने सजा सुनाई। दुष्कर्मी को उसके कर्मों के लिए 20 साल का कठोर कारावास दिया, साथ ही 11 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया। कोर्ट ने अर्थदंड नहीं देने पर 3 महीने अतिरिक्त कारावास का प्रावधान किया। थाने में बेटी के साथ जाकर केस दर्ज कराने वाली मां के बयान बदलने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर मिथ्या गवाही और साक्ष्य देने का दोषी माना। पति को बचाने के लिए पक्षद्रोही हुई पत्नी को कोर्ट दंडित करेगा। जज ने पीड़िता की मां को नोटिस भेजकर 13 दिसंबर को तलब किया। विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने प्रभावी पैरवी करते हुए आजीवन कारावास की सजा की मांग की, जिस पर कोर्ट ने 20 साल सश्रम कारावास का आदेश दिया। हालांकि कोर्ट के कटघरे में दुष्कर्मी सजा मिलने पर रोने लगा, अपने कुकृत्य पर पश्चाताप करते हुए कोर्ट की सजा पर खामोश रहा। पहले जानिए कोर्ट में अभियोजन की दलीलें वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो-2) नितिन पांडे ने सात साल से लंबित केस में बुधवार शाम जजमेंट दिया। केस में पिता पर अपनी मासूम नाबालिग बेटी से दुष्कर्म का आरोप था और केस दर्ज कराने वाली पीड़िता की मां ने कोर्ट में अपना बयान बदल दिया। पति के पक्ष में अपना बयान देकर रिहाई की गुहार लगाई। कोर्ट में अभियोजन के वकील संतोष कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2019 में लोहता थाना क्षेत्र के एक गांव के निवासी सरफराज अहमद की नीयत घर में अपनी ही बेटी पर बिगड़ गई। उसने घर में बेटी को अकेला पाकर उससे दरिंदगी की वारदात को अंजाम दिया। पिता की बदनीयती का सिलसिला देखकर बेटी ने अपनी मां को पूरी बात बताई तो मां ने पिता से झगड़ा किया तो उसने उसे भी पीटा। इसके बाद मां-बेटी लोहता थाने पहुंचे और तहरीर देकर सरफराज अहमद के खिलाफ केस दर्ज कराया। पुलिस ने तहरीर लेकर केस दर्ज किया और पीड़िता का मेडिकल कराकर मजिस्ट्रेटी बयान करवाए। पुलिस ने दबिश देकर आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया और विवेचना शुरू कर दी। कोर्ट में पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और गवाहों के साथ कई मजबूत साक्ष्य भी पेश किए। पति से मिलने जेल गई पीड़िता की मां का मन बदल गया और उसने कोर्ट में आकर अपनी गवाही बदल दी। तहरीर में दिए बयान से महिला पलट गई। कोर्ट ने महिला को पक्षद्रोही मानते हुए अन्य 6 गवाहों के बयान सुने, पुलिस विवेचक दरोगा और डॉक्टर की गवाही को मजबूत माना। इसके अलावा कुछ 7 गवाह कोर्ट में पेश हुए, जिनके आधार पर वारदात का आरोपी ही दोषी सिद्ध हो गया। विशेष लोक अभियोजक संतोष कुमार सिंह ने जिरह में दलील दी कि सरफराज अहमद ने अपनी ही 14वर्षीय नाबालिग पुत्री से दुष्कर्म किया। इसे आजीवन कारावास जैसा कठोर दंड दिया जाना चाहिए ताकि समाज में कठोर संदेश जाए। इसके बाद जज नितिन पांडे ने पिता का घर में बेटी से दुष्कर्म करने के दुस्साहस को विकृत मानसिकता और विवेकहीन कृत्य बताया। कोर्ट ने अभियुक्त सरफराज अहमद को 20 वर्ष की कैद और जुर्माने से दंडित किया है। इसके साथ ही पक्षद्रोही हुई पत्नी को नोटिस देकर तलब करते हुए दंड देने की बात कही।


