बहादुरगढ़ शहर में छठ पूजा की तैयारियाँ जोरों पर हैं। शनिवार, 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ इस महापर्व की शुरुआत होगी। विभिन्न स्थानों पर छठ पूजा घाटों को सजाने-संवारने का कार्य तेजी से चल रहा है। कोई मिट्टी और ईंट से वेदी बना रहा है तो कोई सीमेंट और कंक्रीट से। तैयार वेदियों पर पेंट कर उन्हें आकर्षक रूप दिया जा रहा है।
नगर परिषद की ओर से भी सफाई अभियान चलाया जा रहा है ताकि श्रद्धालु स्वच्छ वातावरण में पूजा कर सकें। पूर्वांचल समाज की बड़ी आबादी वाले बहादुरगढ़ में हर साल की तरह इस बार भी 20 से 22 छठ पूजा घाट तैयार किए जा रहे हैं। मुख्य घाट महाबीर पार्क के पास जलघर के समीप स्थित नहर पर बनाया जा रहा है। यहां विशेष रूप से पानी छोड़ा जाएगा ताकि व्रती सुरक्षित रूप से सूर्य देव को अर्घ्य दे सकें। छठ पूजा घाटों की सफाई, सुरक्षा के होंगे अतिरिक्त प्रबंध
नगर परिषद ने घाट की सफाई पूरी कर ली है और पानी की व्यवस्था की जा रही है। सुरक्षा के लिए पुलिस की ओर से अतिरिक्त प्रबंध किए जाएंगे। पूर्वांचल समाज के प्रतिनिधि प्रदीप सिन्हा ने बताया कि छठ पर्व यहां हर साल की तरह श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। 27 और 28 अक्टूबर को व्रती क्रमशः अस्ताचलगामी और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे।
छठ पूजा की खरीदारी जोरों पर
फिलहाल बाजारों में छठ पूजा की खरीदारी जोरों पर है। सब्जी मंडी के पास छठ पूजा से जुड़ा विशेष बाजार सज चुका है, जहां बांस की डलिया, सूप, ठेकुआ बनाने का सामान, फल, पूजा सामग्री आदि की दुकानें लगी हैं।
बहादुरगढ़ में लगभग 7 से 8 हजार फैक्ट्रियां हैं, जिनमें देश का सबसे बड़ा फुटवियर पार्क भी शामिल है। यहां 2 से 3 लाख वर्कर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम करते हैं, जिनमें अधिकांश लोग बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के हैं। ऐसे में छठ पूजा उनके लिए घर-परिवार और आस्था से जुड़ा सबसे विशेष पर्व है। बहुत से वर्कर अपने गृह नगर लौटकर परिवार के साथ यह त्योहार मनाने की तैयारी कर रहे हैं। छठ पूजा का चार दिवसीय क्रम:
नहाय-खाय (25 अक्टूबर, शनिवार): छठ पूजा का पहला दिन, जब व्रती स्नान कर व्रत की शुरुआत करते हैं और घर की साफ-सफाई करते हैं।
खरना (26 अक्टूबर, रविवार): दूसरे दिन व्रती दिनभर उपवास रखकर शाम को खीर, रोटी और केले का प्रसाद ग्रहण करते हैं।
संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार): तीसरे दिन व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को जल अर्पित करते हैं।
उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार): अंतिम दिन व्रती उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं।


