सरकार! खुले पड़े हैं बोरवेल और कुएं, क्या हादसों का है इंतजार

आगर पंचायत की लापरवाही : छोटे बच्चों के लिए खतरे का सबब, हो चुके हैं कई हादसे

कस्बाथाना. प्रदेश में आए दिन खुले बोरवेल से हो रहे हादसों से प्रशासन सबक नहीं ले रहा ह। क्षेत्र में दर्जनों बोरवले खुले पड़े हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं। आगर ग्राम पंचायत के रामपुर तलहटी में कई सालों से सडक़ किनारे दो बोरवेल खुले पडे हुए हैं। इनको बंद कराने की जेहमत आज तक किसी ने नहीं उठाई। ये मुख्य सडक़ के पास हैं, ऐसे में यहां हादसे की आशंका ज्याद रहती है। इसके बाद भी ग्राम पंचायत की ओर से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। चार माह पहले रामपुर तलहटी में बिना मुंडेर के कुएं का समाचार प्रकाशित होने के बाद पंचायत ने बाउंड्री के लिए पत्थर डला दिए, लेकिन चार महीने से कोई बाउंड्री का निर्माण नहीं कराया गया। यह लापरवाही है।

ग्रामीण ङ्क्षचतित, जिम्मेदार बेपरवाह

गांवों में खुले कुएं व बोरवेल, हादसों को न्योता देश व प्रदेश में खुले कुएं और बोरवेल में मासूमों के गिरने की घटनाएं ङ्क्षचता का विषय बनी हुई है। इन घटनाओं के बाद चेतना आई और कई जगह बोरवेल और कुएं ढंके गए, लेकिन क्षेत्र में जिम्मेदारों ने अब तक भी सबक नहीं लिया है। एक-दो नहीं सैकड़ों कुएं और बोरवेल ऐसे हैं, जो खुले पड़े हैं और हादसों को न्योता दे रहे हैं। बावजूद इसके कोई इस खतरे की ओर ध्यान नहीं दे रहा। मानो वे हादसा होने का इंतजार कर रहे हैं। आगर पंचायत में जगह-जगह खुले सूखे कुएं व बोरवेल हैं। कई जगह तो ऐसी है जहां पर कुआं होने का आभास भी नहीं होता है। कई कुएं जर्जर हालत में हैं, जिनके पास जाना मौत को बुलावा है। बावजूद इसके जिम्मेदार इस ओर ध्यान हीं दे रहे हैं।

आबादी के आसपास, इससे खतरा ज्यादा

क्षेत्र में अधिकांश कुएं आबादी के आसपास है। पहले ये गांव की प्यास बुझाते थे तो लोग भी सार-संभाल लेते थे, अब इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा। ऐसे में इन पर न तो ढक्कन लगाए गए हैं और ना ही अनुपयोगी होने पर बंद किए गए हैं। आसपास बच्चों के खेलने या पशुओं के जाने पर हादसे का डर रहता है।

कई पशु गिर चुके

क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक घटनाएं पिछले कुछ समय में हुई है, इसमें इन कुओं के पास प्यास बुझाने के गए पशुधन के गिरने से मौत हो चुकी है। कई बार लोगों को जानकारी होती है तो वे मृत पशु को निकाल लेते हैं और कई बार जानकारी के अभाव में कई दिन तक शव पड़ा रहता है। दुर्गंध आने पर ही लोगों को पशुधन के मरने का पता चलता है।

बस चंद रुपए और मिल सकती है सुरक्षा

इन सूखे कुओं व बोरवेल को बंद करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं चाहिए। आठ-दस छीणें और आधा कट्टा सीमेंट। इसके बाद वे बंद हो जाएंगे और लोगों पर से खतरा भी टल सकता है। बावजूद इसके संबंधित ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, प्रशासन कोई भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

पत्थर तो डाल दिए गए हैं। स्वीकृति नहीं मिलने के कारण काम नही हो पाया। काम जल्द से जल्द कराएंगे। कुएं के साथ ही बोरवेल है, उसमें अंदर पत्थर भर रहे हैं। बोरवेल भी बंद है। आगे इसका ढकान करवा देंगे।

पर्वत मेहता, सरपंच प्रतिनिधि, आगर पंचायत

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