बस्तर में घटते नक्सलवाद का असर…:200 रिफ्यूजी परिवार 20 साल से कैंप में रह रहे, बच्चे जवान हो गए और जवान बूढ़े, अब घर लौटने की आस

कासोली कैंप से प्रदीप गौतम अबूझमाड़ में लगातार हो रही मुठभेड़ में पुलिस को मिली बड़ी सफलता के बाद जहां जवानों के हौसले बुलंद हैं। इस सफलता के कारण 200 परिवारों को भी उम्मीद की किरण दिखने लगी है। 2005-2006 में ये परिवार सलवा जुडूम के समय अपना गांव, घर छोड़कर 19 सालों से राहत शिविरों के सुरक्षा घेरे में रह रहे हैं। हालत यह है कि 20 साल में यहां के बच्चे जवान हो चुके हैं और जो जवान थे वे बूढ़े हो गए हैं। सलवा जुडुम के समय नारायणपुर जिले के निराम, सतावा, पल्लेवाया, एरकेल, बेडमा, डोंगा, करकावाड़ा सहित बीजापुर जिले के कोकेरलंका, पीडियाकोट जैसे दर्जनों गांवों के लोगो को दंतेवाड़ा जिले के कासोली के राहत शिविरों में विस्थापित कर दिया गया था। तब से लेकर आज तक इन गांवों में ग्रामीण वापस लौट ही नहीं पाए। आप भी जानिए… क्या कहते हैं ग्रामीण, जो अपने गांव लौटने का इंतजार कर रहे घर छोड़ा तो दूसरे के खेतों में काम तक करना पड़ रहा रात शिविर में रह रही महिलाओं ने बताया कि खुद की कई एकड़ जमीन होने के बावजूद दूसरों के खेतों में काम कर रहे हैं। कासोली पंचायत सचिव रविंद्र सोनी ने बताया कि यहां रह रहीं 75 महिलाओं को महतारी वंदन का फायदा मिल रहा है। बच्चों के लिए दो आंगनबाड़ी केंद्र हैं। सभी के राशन कार्ड बन चुके हैं। बासवराजू की मौत के बाद जागने लगी लोगों में उम्मीद अबूझमाड़ में जवानों ने नक्सलियों के खिलाफ बड़ी सफलता हासिल की, जिसमें नक्सली संगठन के बासवराजू मारा गया। इससे पहले भी यहां 38 हार्डकोर नक्सली मारे गए थे। इसी मुठभेड़ के बाद अब कासोली राहत शिविर में रह रहे परिवारों के लिए गांव लौटने की उम्मीद की किरण नजर आई है। अबूझमाड़ जाने के लिए इंद्रावती नदी पर बने 2 पुल कासोली राहत शिविर में रह रहे लोगों को 2005-06 में अबूझमाड़ से लाया गया था। शिविर में रह रहे लोगों ने बताया जब वे यहां पहुंचे थे, तब माड़ जाने के लिए इंद्रावती नदी पर कोई पुल ही नहीं था। अब छिंदनार में 2 पुल और अब फुंडरी में भी पुल तैयार हो रहा है। ऐसे में गांव तक पहुंच आसान हो जाएगी।

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