कानपुर के राणा प्रताप नगर में डॉ. राकेश सिंह के मकान है। यहां पिछले चार महीने से उन्नाव के बांगरमऊ निवासी सूरज कुशवाहा, पत्नी रोशनी और दो बेटों, तीन वर्षीय कृष्णा और दो वर्षीय सितांश के साथ किराए पर रह रहे थे। सूरज ने बिलखते हुए बताया कि शुक्रवार रात को सब कुछ सामान्य था। रोशनी ने उसे 100 रुपये देकर बाजार से कुछ सामान लाने के लिए भेजा।
पति घर लौटा तो अंदर से बंद मिला दरवाजा
करीब एक घंटे बाद जब वह घर लौटा तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था। कई बार दरवाजा खटखटाने के बाद भी रोशनी ने कोई जवाब नहीं दी। जब उसे कमरे के भीतर से अपने बच्चों के जोर-जोर से रोने की आवाज सुनाई दी, तो उसका दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा। उसने घबराकर बच्चों को पुकारना शुरू किया और किसी तरह दरवाजा खोलने के लिए कहा।
दरवाजे की कुंडी तक ऐसे पहुंचा बेटा
उसने बच्चें से किसी तरह गेट खोलने को कहा। इस पर तीन साल के कृष्णा ने कमरे में रखे तसले और अन्य बर्तनों को एक के ऊपर एक रखा। इसके बाद उस पर चढ़कर दरवाजे की ऊंची कुंडी तक पहुंचा और उसे खोला दिया।
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फंदे पर लटकी मिली पत्नी
दरवाजा खुलते ही सूरज जब अंदर पहुंचा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। सामने पत्नी रोशनी का शव पंखे से लटक रहा था और उसके दोनों बच्चे सहमे हुए रो रहे थे। उस भयावह मंजर के बीच, सूरज ने पहले खुद को संभाला और फिर अपने बच्चों को सीने से लगा लिया। उसने तुरंत घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है और आत्महत्या के कारणों की जांच में जुट गई है।
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